सामाजिक आंदोलनों के गुरु अनिल चौधरी की याद में यातना पीड़ितों का सम्मान
कार्यक्रम को संबोधित करते डॉ. लेनिन रघुवंशी
वाराणसी:
"पीड़ितों का इलाज चौधरी साहब इस तरह करते थे कि अपने आखिरी दिनों तक भी जख्मों पर मरहम लगा कर सामने वाले को राहत का अहसास करवाते थे। चौधरी साहब तीन बातों के लिए जाने जाएंगे संसार में: एक था सांप्रदायिकता का विनाश करो। दूसरा था लोकतंत्र की रक्षा में खड़े हो। तीसरा था भूमंडलीकरण का प्रतिरोध करो। इन तीन मंत्रों पर काम करने वाले भारत भर में उनके कई कमांडर मौजूद हैं!"
सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों के शिक्षक व PEACE संस्था के संस्थापक रहे श्री अनिल चौधरी की स्मृति में बनारस के पराड़कर भवन में आयोजित सभा की अध्यक्षता करते हुए गांधीवादी इतिहासकार डॉक्टर मोहम्मद आरिफ ने यह बात कही।
जनमित्र न्यास, PVCHR, IRCT, GHPF, JUSTER और संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNVFVT के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित स्मृति सभा को संबोधित करते हुए डॉक्टर आरिफ ने कहा, "चौधरी साहब के जीवन का एक ही मकसद था, इंसाफ का राज कायम किया जाए ताकि कोई किसी का शोषण न कर सके और किसी के अधिकारों का क्षरण न होने पाए।"
यह सभा PVCHR के वार्षिक सम्मेलन के साथ साथ यातना पीड़ित व्यक्तियों को सम्मानित करने का भी अवसर था। स्मृति सभा का पहला हिस्सा श्री अनिल चौधरी के स्मरण का था, जिनका बीते 14 अप्रैल को दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। सभा का आरम्भ श्री अनिल चौधरी की तस्वीर पर माल्यार्पण से हुआ।
इसके बाद सभा की भूमिका बांधते हुए सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर लेनिन ने श्री अनिल चौधरी की शख्शियत और अहमियत पर विस्तार से रोशनी डाली और उनकी याद में PEACE के कार्यकर्ताओं को भविष्य में द्विवार्षिक वजीफा और नवदलित सम्मान देने की घोषणा की।
डॉक्टर लेनिन ने कहा कि केवल दो शख्सियतें थीं जो हमेशा मंच के पीछे रहते हुए लोगों को छोटे छोटे प्रशिक्षण देने में विश्वास करते थे। एक अनिल चौधरी और दूसरे, शंकर गुहा नियोगी। पहचान की राजनीति और खंडित नजरिए पर अनिल चौधरी की आलोचना को रखते हुए उन्होंने कहा, "गुरु कहते थे कि जो पैसे के पीछे भागते हैं वे उल्लू हैं। गुरुजी बताते थे कि उल्लू से कैसे बचा जाए।"
इस कार्यक्रम में दिल्ली से आए PEACE के कार्यकारी निदेशक श्री जितेंद्र चाहर ने अपने विशिष्ट संबोधन में बहुत विस्तार से अनिल चौधरी की वैचारिक दृष्टि को रेखांकित किया और अपने निजी व पेशेवर अनुभव सुनाए। उन्होंने कहा, "अनिल जी कहते थे कि सामाजिक परिवर्तन कोई प्रोजेक्ट नहीं है, निरंतर चलने वाली एक सामाजिक प्रक्रिया है।"
दिल्ली से ही आए पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने समुदायों के निर्माण और उनके भीतर उम्मीद का संचार करने के संदर्भ में अनिल चौधरी के कुछ जरूरी सबक और मंत्र गिनवाए। इसके बाद बनारस के वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय विनीत ने पत्रकारिता के अपने निजी अनुभव सुनाए। सभा में फ्रंटपेज प्रकाशन, लंदन के प्रमुख श्री अभिजीत मजूमदार का अंग्रेजी में संक्षिप्त संबोधन हुआ।
सभा का दूसरा हिस्सा सोनभद्र जिले के विभिन्न वंचित समुदायों के यातना पीड़ितों को PVCHR की ओर से सम्मानित किया जाना था। इन यातना पीड़ितों की विस्तृत गवाहियां सभा में पढ़ी गईं जो बेहद मार्मिक थीं और वंचितों के साथ होने वाले अन्याय के प्रसंगों को प्रकाशित करती हैं। इन पीड़ितों में जटई, सोनू, नंदलाल, दिनेश और शिवशंकर हैं जिन्हें मंचस्थ अतिथियों ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
सभा की शुरुआत में श्री विजय विनीत को उनकी पत्रकारिता के लिए नवदलित सम्मान दिया गया तथा कवि श्री व्योमेश शुक्ल, कमलेंद्र कुमार सिंह, अधिवक्ता चे ग्वारा रघुवंशी और सामाजिक कार्यकर्ता पिंटू गुप्ता को जनमित्र सम्मान दिया गया।
डॉक्टर लेनिन ने सभा में आए वरिष्ठ संपादक श्री एके लारी, सामाजिक कार्यकर्ता श्री अरविंद मूर्ति, लखनऊ से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं आशीष अवस्थी और ज्ञान जी को गमछा पहनाकर विशेष रूप से सम्मानित किया। सभी सम्मानित व्यक्ति किसी न किसी रूप में अनिल चौधरी के साथ लंबे समय तक जुड़े हुए थे।
सभा में आए लोगों का धन्यवाद ज्ञापन PVCHR की प्रमुख श्रुति नागवंशी ने की।
वर्डप्रेस के वेब डेवलपर मांगते हैं हर साल पैसा, मेनटीनेंस के नाम पर बनाते हैं अलग से भौकाल
प्रतीकात्मक चित्र।
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इप्टा की इंदौर इकाई द्वारा ‘तराना-ए-आज़ादी’ की विशेष प्रस्तुति 12 अगस्त को नई दिल्ली में
पोस्टर।
नई दिल्लीः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायक गाथा को जनमानस तक पहुँचाने के उद्देश्य से एक विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति ‘तराना-ए-आज़ादी’ का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 12 अगस्त को शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे तक जवाहर भवन, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मार्ग, नई दिल्ली में आयोजित होगा। प्रवेश निशुल्क है।
यह प्रस्तुति भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर 15 अगस्त 1947 तक के संघर्ष को नाट्य रूप में प्रस्तुत करेगी। इसमें गोवालिया टैंक मैदान (मुंबई), चिमूर, बलिया और मिदनापुर जैसे ऐतिहासिक स्थलों की घटनाओं को जीवंत किया जाएगा। मजदूर, किसान, विद्यार्थी, महिलाएं और विभिन्न धर्मों व क्षेत्रों के लोग इस कार्यक्रम में भाग लेंगे — एक सच्चे जनांदोलन की भावना के साथ।
रचनात्मक टीम:
आंकलन: जया मेहता
पटकथा: विनीत तिवारी
निर्देशन: फरीद बोस
सह निर्देशन: गुलज़ार खान, साकिब श्रीवास्तव
प्रस्तुति: इप्टा, इंदौर
सहयोगी संस्थाएं: भारतीय महिला फेडरेशन (NFIW), बलिया ट्रस्ट, अहमद
आर्थिक सहयोग की अपील:
यह कार्यक्रम पूर्णतः जनसहयोग से संचालित किया जा रहा है। यदि आप इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक प्रयास में आर्थिक सहयोग देना चाहते हैं, तो आपका योगदान अत्यंत सराहनीय होगा। सहयोग राशि कार्यक्रम की व्यवस्थाओं, कलाकारों की यात्रा, मंच सज्जा और प्रचार सामग्री में उपयोग की जाएगी।
संपर्क करें: मोबाइल: 9289190602
आइए, हम सब मिलकर आज़ादी के मूल्यों को फिर से जीवंत करें और इस जनांदोलन का हिस्सा बनें।
साझा संस्कृति मंच ने फिलिस्तीनी अवाम के प्रति एकजुटता दिखाते हुए किया प्रदर्शन, अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के प्रति भी जताई चिंता
जाने-माने इतिहासकार और सुप्रसिद्ध गाँधीवादी डॉ. मोहम्मद आरिफ की प्रेरणा से मार्च में हिस्सा लेने आए इंसाफपंसद लोग।
वाराणसीः साझा संस्कृति मंच, वाराणसी ने कैंटोनमेंट स्थित नदेसर चौराहे से कचहरी स्थित अम्बेडकर मूर्ति तक एक शांति मार्च का आयोजन किया। इस मार्च का उद्देश्य भारत में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बढ़ते दमन का विरोध करना और फ़िलिस्तीन के संघर्ष के प्रति एकजुटता व्यक्त करना था।
भारत में अल्पसंख्यकों पर दमन की घटनाएँ चिंताजनक स्तर पर बढ़ रही हैं:
हाल के महीनों में, भारत के कई हिस्सों में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मुस्लिम और ईसाई समुदाय के विरुद्ध बढ़ते दमन और धार्मिक हिंसा की घटनाएँ सामने आई हैं।
जून 2024 से जून 2025 के बीच 2,600 से अधिक हेट क्राइम या हेट स्पीच के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 79.9% घटनाएँ भाजपा-शासित राज्यों में हुईं।
ईसाई विरोधी हिंसा की घटनाएँ 2023 में 601 से बढ़कर 2024 में 840 हो गईं।
वर्ष 2024 में 63 लोगों की न्यायेतर हत्याएं (extra-judicial killings) हुई हैं। केवल उत्तर प्रदेश में ही 56 से अधिक मुस्लिमों के साथ 'हाफ एनकाउंटर' की घटनाएं हुई हैं, जिनमें वे आंशिक या पूर्ण रूप से अपंग हो गए।
मार्च 2025 में नागपुर में औरंगजेब की समाधि पर हुए विवाद के बाद फैली हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई और 30 से अधिक लोग घायल हुए।
मणिपुर में 258 लोग मारे गए, 60,000 से अधिक विस्थापित हुए, और 400 से अधिक चर्च तथा 132 मंदिर क्षतिग्रस्त हुए या तोड़ दिए गए।
फ़िलिस्तीन (गाज़ा) में मानवीय संकट के प्रमुख आँकड़े:
गाज़ा में अब तक 60,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। गत जुलाई में भूख से 89 बच्चों की मौत दर्ज की गई। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लगभग 5 लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं। फ़िलिस्तीन में हो रही इसी हिंसा और मानवीय संकट के मद्देनज़र यह आयोजन किया गया। बनारस के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाने के लिए यह शांति मार्च आयोजित किया। मार्च का समापन कचहरी स्थित अम्बेडकर मूर्ति पर मोमबत्ती जलाकर किया गया।
बनारस में हुए आयोजन में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई:
अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने हेतु केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा ठोस कदम उठाए जाएँ।
भारत सरकार फ़िलिस्तीन संघर्ष के संदर्भ में अपनी पारंपरिक ‘दो-राष्ट्र समाधान’ नीति और मानवीय दृष्टिकोण स्थापित करे। शांति स्थापना के लिए पहल हो और विपत्तिग्रस्त आम नागरिकों को ज़रूरी मदद मुहैया कराई जाए।
परंपरागत मित्र राष्ट्र फ़िलिस्तीन में भूख से मर रहे और बर्बर दमन झेल रहे नागरिकों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने वाले सभी आयोजनों के लिए संवैधानिक सुरक्षा एवं अनुमति सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जाए।
सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखते हुए, मानवाधिकारों की रक्षा के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच समितियों की स्थापना की जाए।
हाथों में मोमबत्तियाँ और गले में शांति-सद्भाव के नारे लिखी तख्तियाँ लटकाए, अमनपसंद नागरिकों ने अम्बेडकर मूर्ति पर पहुँचकर निम्नलिखित संकल्प दोहराया: “हम भारत में बहुसांस्कृतिकता और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को बचाने के लिए खड़े हैं। फ़िलिस्तीन में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए हमारा समर्थन मानवता के आधार पर है।”
साथ ही, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते प्रयासों को गंभीरता से लिया जाए। शांति, न्याय और आजादी के लिए यह हमारा शांतिपूर्ण आग्रह है।”
शांतिमार्च में प्रमुख रूप से नंदलाल मास्टर, नीति भाई, फादर जयंत, जागृति राही, प्रो. महेश विक्रम सिंह, वल्लभाचार्य पांडेय, प्रेम नट, धनञ्जय, एड. अब्दुल्लाह, सरफ़राज़, उर्फी, महेश चंद्र महेश्वरी, एड. अबु हाशिम, इन्दु पांडेय, मो. मूसा आज़मी, हिफाजत हुसैन आलम, सिस्टर जोशलिना, नीति, अमीनुद्दीन भाई, विद्याधर, प्रमोद, सिस्टर नतालिया, सिस्टर फ़्लोरिन, सिस्टर फ्रॉनसिस्का, अमीनुद्दीन आदि मौजूद रहे।
प्रेषक धनञ्जय त्रिपाठी, साझा संस्कृति मंच 7376848410
जम्मू-कश्मीर में पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय अलोकतांत्रिक, निंदनीय एवं असहनीय: PWA
मीडिया को जारी पत्र।
चंडीगढ़: अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) ने जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा 25 पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की तानाशाही नीतियों का परिचायक यह निर्णय घोर-निंदनीय ही नहीं असहनीय भी है। इन प्रतिबंधित पुस्तकों में ए.जी. नूरानी, अनुराधा भसीन, अरुंधति रॉय समेत उन अन्य प्रतिष्ठित लेखकों की कृतियां शामिल हैं जिनमें कश्मीर के इतिहास और वर्तमान समस्याओं की जड़ों की तार्किक तलाश का प्रयास किया गया है।
प्रलेस के अध्यक्ष पी. लक्ष्मीनारायणा, कार्यकारी अध्यक्ष विभूति नारायण राय व महासचिव डॉ. सुखदेव सिंह सिरसा ने कहा है कि 'अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने' के बहाने थोपा गया यह निर्णय असंवैधानिक और अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक पर प्रत्यक्ष कुठाराघात है।
प्रलेस पदाधिकारियों ने इन पुस्तकों पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करते हुए जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने, वहां जनतांत्रिक अधिकारों की बहाली और पूर्ण स्वायत्तता की मांग को दोहराया है। उन्होंने विश्वास जताया है कि इन उपायों के माध्यम से ही जम्मू और कश्मीर की जनता का विश्वास पुनः प्राप्त करते हुए वहां अमन बहाल किया जा सकता है।
प्रलेस पदाधिकारियों ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के इस निर्णय को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस निर्णय के ख़िलाफ़ आजन को लामबंद करते हुए संघर्ष की रूपरेखा तय करने हेतु सम-वैचारिक, प्रगतिशील एवं जनवादी संगठनों को एक मंच पर आने का आह्वान किया है।
पौधरोपण संग राखी के पावन बंधन का उत्सव सम्पन्न, वाराणसी रॉयल्स का अनूठा आयोजन
पौधरोपण एवं रक्षा बंधन का संयुक्त उत्सव धूमधाम से मनाते लोग।
हर पौधा एक रक्षा-सूत्र, हर राखी एक संकल्प: रोटरी क्लब
आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ और सीआरपीएफ कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकार की गरिमामयी उपस्थिति
वाराणसी: रोटरी क्लब वाराणसी रॉयल्स ने टिकरी स्थित कृषि उत्पादक संगठन के प्रांगण में “हर पौधा एक रक्षा-सूत्र, हर राखी एक संकल्प” थीम पर पौधरोपण एवं रक्षा बंधन का संयुक्त उत्सव धूमधाम से मनाया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में 95 बटालियन सीआरपीएफ के कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकार उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान को जनांदोलन का स्वरूप दिया और आज गांव से लेकर शहर तक हर वर्ग स्वच्छता के प्रति जागरूक है। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर रोटरी क्लब की बहनों द्वारा सीआरपीएफ जवानों को राखी बांधना और पौधारोपण करना दो महत्वपूर्ण संकल्पों का अद्भुत संगम है — पर्यावरण संरक्षण और बहन-बेटियों की सुरक्षा। उन्होंने जल संकट, पेड़-पौधों के महत्व, विशेषकर पीपल, नीम, बरगद और आम जैसे वृक्षों के पर्यावरणीय एवं धार्मिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और सनातन परंपरा में इन्हें न काटने के कारणों का उल्लेख किया।
विशिष्ट अतिथि कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकार ने सीआरपीएफ के कर्तव्यों, राष्ट्र सेवा और समाज में उनकी भूमिका का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर रोटरी क्लब की सदस्य निधि मूंदड़ा, ऋतु माहेश्वरी, हेमा माहेश्वरी, नेहा लढ़ा, शानू जाजोदिया, उर्वशी सेलट, जूही अग्रवाल, काजल कपूर और अंकिता अग्रवाल ने उपस्थित सीआरपीएफ जवानों को राखी बाँधकर उनका अभिनंदन किया और उनसे जीवनभर की रक्षा का वचन लिया।
कृषि उत्पादक संगठन के अध्यक्ष अमित कुमार सिंह ने संगठन की गतिविधियों की जानकारी दी।
कार्यक्रम में समाजसेवी गौरव राठी, सौरभ राय, रोटेरियन कौशिक सेलट, रोटेरियन सौरभ लढ़ा, रोटेरियन मनीष अग्रवाल, रोटेरियन अमित कपूर सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
स्वागत सृजन सामाजिक विकास न्यास के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने किया।
कार्यक्रम का नेतृत्व रोटरी वाराणसी रॉयल्स के अध्यक्ष रोटेरियन वरुण मूंदड़ा ने किया और रोटरी के सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों की जानकारी दी।
संचालन रोटेरियन रितेश माहेश्वरी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रोटेरियन अंकित जाजोदिया ने किया।