वाराणसीः बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने देसी गायों के संरक्षण और संख्या बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की है। BHU के अंतर्गत मिर्ज़ापुर स्थित वेटरनरी एवं पशु विज्ञान संकाय (FVAS) की टीम ने देसी नस्ल की गायों में उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूण (Embryos) का सफल प्रत्यारोपण किया है।
क्या है बड़ी उपलब्धि?
- 26 सितंबर 2025 को शोध टीम ने दो महत्वपूर्ण देसी नस्लों की डोनर गायों – साहिवाल और गंगातीरी से भ्रूण एकत्र किए।
- गंगातीरी से 7 और साहिवाल से 11 भ्रूण प्राप्त हुए, जिन्हें बाद में सरोगेट गायों में प्रत्यारोपित किया गया।
- यह काम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत चल रहे प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
- इस उन्नत तकनीक को मल्टीपल ओव्यूलेशन एम्ब्रियो ट्रांसफर (MOET) कहते हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाली देसी नस्लों की संख्या को तेजी से बढ़ाने में मदद करती है।
- अब तक इस तकनीक से 4 मादा बछियों का जन्म हो चुका है, और 3 गायें अभी प्रेग्नेंट हैं।
क्यों ज़रूरी है यह कदम?
FVAS के विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रयास साहिवाल और गंगातीरी जैसी नस्लों की संख्या और उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा। ये नस्लें न केवल सांस्कृतिक रूप से अहम हैं, बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, खराब मौसम में भी ढल जाने की क्षमता और दूध की गुणवत्ता के कारण भी बहुत मूल्यवान हैं।
विशेष रूप से, गंगातीरी गाय पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा तटीय क्षेत्रों की एक 'दोहरे उपयोग' वाली नस्ल है। यह अपनी मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता, हल खींचने की ताकत और दुग्ध उत्पादन के लिए जानी जाती है, जो छोटे किसानों की आजीविका का एक मजबूत आधार है।
यह सफलता पशुपालन प्रजनन के क्षेत्र में BHU की बढ़ती वैज्ञानिक ताकत को दर्शाती है और देश को पशुपालन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक बड़ा कदम है। भविष्य में, टीम इन-विट्रो एम्ब्रियो प्रोडक्शन (IVEP) जैसी और उन्नत तकनीकों का उपयोग करने की भी योजना बना रही है।
संस्थान के निदेशक प्रो. यू. पी. सिंह और अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए टीम को बधाई दी है।