8 अक्टूबर 2025 को 06:57 pm बजे
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मुंशी प्रेमचंद स्मारक एवं शोध संस्थान लमही में बीएचयू द्वारा व्याख्यान आयोजित

मुंशी प्रेमचंद स्मारक एवं शोध संस्थान लमही में बीएचयू द्वारा व्याख्यान आयोजित

मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर प्रेमचंद स्मृति व्याख्यान का आयोजन

मुंशी प्रेमचंद थे जन-सरोकार और समाज के साहित्यकार - प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी

गाँधी और प्रेमचंद दोनों ही लियो तोलस्तोय के प्रशंसक - प्रो. अवधेश प्रधान

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय के मुंशी प्रेमचंद स्मारक एवं शोध संस्थान, लमही में बुधवार को मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि पर प्रेमचंद स्मृति व्याख्यान के तहत “गांधी और प्रेमचंद” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने इस मौके पर कहा कि प्रेमचंद के जीवन से हमें प्रेरणा लेना चाहिए साथ ही भावी पीढ़ियों को बताना होगा कि सादगी के साथ उच्च कोटि की रचना कैसे की जाती है। कुलपति जी ने कहा, “प्रेमचंद हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी व इतिहास के विद्वान थें। प्रेमचंद भाषा प्रेमी थे। यह खुशी की बात है कि मुंशी प्रेमचंद स्मारक एवं शोध संस्थान की जिम्मेदारी कला संकाय, बीएचयू के पास है। जहां 20 से अधिक भाषा की पढ़ाई होती है”।

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मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं को याद करते हुए प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि प्रेमचंद ने अल्पायु में भी रचनाओं का लम्बा सफर तय किया। उनकी रचनाओं में यह स्पष्ट तौर पर दिखता है कि समय के साथ प्रेमचंद एक रचनाकार के रूप में कैसे समृद्ध हुये। साथ ही कुलपति जी ने कहा कि उनकी कहानियों के पात्र की परिपक्वता उनकी समाजिक जागरूक चेतना की ही देन हैं। मुंशी जी की लिखी एक-एक पंक्ति सरल भाषा में दूर तक पहुँचने वाली है।

प्रो. चतुर्वेदी ने व्याख्यान के विषय को रेखांकित करते हुए कहा, जिस तरह गाँधी जी का प्रभाव प्रेमचंद पर है, उसी तरह संभव है कि गाँधी जी पर प्रेमचंद का प्रभाव रहा हो। वास्तव में प्रेमचंद जन सरोकार वाले साहित्यकार थे। हालांकि इस पहलू की तरफ़ कम काम हुआ है। यह आवश्यक है कि इस दिशा में और शोध कार्य किया जाये। साथ ही कुलपति जी ने कहा कि संस्थान को यह प्रयास करना चाहिए कि देशभर के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को इस संस्थान से जोड़ा जाए ताकि प्रेमचंद की जयंती व पुण्यतिथि पर साहित्य प्रेमी एक जगह एकत्रित हो व उनकी साहित्यिक विरासत को आगे बढ़ायें।

मुंशी प्रेमचंद स्मारक एवं शोध संस्थान के कार्यों की सराहना करते हुए कुलपति जी ने आगे के लिए सुझाव दिया कि संस्थान वार्षिक आयोजन का कैलेंडर जारी करें। साथ ही कुलपति जी ने कहा कि संस्थान एक वेबसाइट तैयार करे जहां मुंशी प्रेमचंद से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध हो। जिससे देश-दुनिया में मुंशी जी पर शोध करने वाले शोधार्थियों को लाभ मिल सके। कुलपति जी ने व्याख्यान से पूर्व लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद स्मारक और उनके पैतृक आवास का भी भ्रमण किया।

प्रेमचंद स्मृति व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि गाँधी और प्रेमचंद दोनों ही लियो तोलस्तोय के प्रशंसक थे। गाँधी ने जहां तोलस्तोय की रचनाओं को गुजराती में अनुदित किया वहीं, प्रेमचंद ने तोलस्तोय की 23 रचनाओं का अनुवाद ‘प्रेम प्रभाकर’ नाम से किया। प्रो. प्रधान ने आगे कहा कि प्रेमचंद ने गाँधी के नैतिक मूल्यों, राजनीति और धर्मनीति को लेकर कई संपादकीय लिखे। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद ने अपने एक संपादकीय में लिखा कि गाँधी की राजनीति और धर्मनीति दोनों एक है। यहीं कारण है कि वह समर में जितने वीर और साहसी हैं संधि में उतने ही दूरदर्शी और दृढ़।

अपने व्याख्यान की शुरुआत में ही प्रो. प्रधान ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्धाटन के समय दिए गए गाँधी जी के उस ओजस्वी भाषण को याद किया जिसके बाद देशभर में स्वाधीनता की लहर दौड़ गई थी। प्रो. प्रधान ने यह भी कहा कि गाँधी के प्रभाव में आकर ही प्रेमचंद ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अख़बार निकालने लगे।

कला संकाय की संकाय प्रमुख प्रो. सुषमा घिल्डियाल ने संस्थान की गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं से सभागार को अवगत कराया। प्रो. सुषमा ने बताया कि वर्ष 2005 में इस संस्थान की नींव रखी गई वहीं, वर्ष 2016 में संस्थान की जिम्मेदारी कला संकाय को सौंपी गई। तब से लेकर अब तक संकाय लगातार संस्थान को सुचारू रूप से चलाने में प्रयासरत है। प्रो. घिल्डियाल ने कहा कि भविष्य में संस्थान की योजना है कि प्रत्येक महीना एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाये तथा शोधार्थी संस्थान में आकर ही शोध कार्य करें।

मुंशी प्रेमचंद स्मारक एवं शोध संस्थान के समन्वयक प्रो. नीरज खरे ने अतिथियों का स्वागत किया तथा व्याख्यान के विषय से सभागार को अवगत कराया। वहीं कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य जनों का औपचारिक तौर पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ. घीरेन्द्र कुमार राय ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विवेक सिंह ने किया। कार्यक्रम में कला संकाय के छात्र सलाहकार डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह और संस्थान के समिति के सदस्य डॉ. शिल्पा सिंह, डॉ. मुशर्रफ अली सहित बड़ी संख्या शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी भी उपस्थित रहे।