17 अक्टूबर 2025 को 07:23 pm बजे
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बीएचयूः ‘ताल शिरोमणि पं. छोटेलाल मिश्र 12वीं स्मृति समारोह’ का भव्य आयोजन

बीएचयूः ‘ताल शिरोमणि पं. छोटेलाल मिश्र 12वीं स्मृति समारोह’ का भव्य आयोजन

वाराणसीः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंचकला संकाय में ‘कोरस गुरु जयन्ती समारोह वर्ष (2024–2025)’ के अंतर्गत दिनांक 17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का सफल एवं गरिमामय आयोजन किया गया।

प्रातः कालीन सत्र में संकाय के तत्वावधान में आयोजित ‘अभिनिवेश कार्यक्रम’ में संगीत एवं मंचकला संकाय के प्रांगण में विद्वत् व्याख्यानों की श्रृंखला प्रस्तुत की गई।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. राजीव मंडल, सहायक आचार्य, दृश्य कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय रहे, जिन्होंने “Moods of Ragamala” विषय पर अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति दी। उन्होंने रागमाला के मूड्स, उनके भावनात्मक एवं सौंदर्यात्मक पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. मंडल ने भारतीय संगीत में रागमाला की विशिष्टता और उसके माध्यम से रागों की पारस्परिक संरचना पर अपने व्याख्यान में शोधपरक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. आर. एन. त्रिपाठी, आचार्य, समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय रहे, जिन्होंने “महामना की स्मृतियों में बी.एच.यू.” विषय पर अपने उद्बोधन में महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी के आदर्शों और विश्वविद्यालय की स्थापना के ऐतिहासिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बीएचयू न केवल एक शिक्षण संस्थान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. संगीता पंडित, संकाय प्रमुख, संगीत एवं मंचकला संकाय द्वारा किया गया। संयोजन प्रो. राजेश शाह (वाद्य विभागाध्यक्ष) एवं प्रो. विभि नागर (नृत्य विभागाध्यक्ष) ने किया। आयोजन सचिव के रूप में डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय (छात्र सलाहकार) की भूमिका सराहनीय रही।
कार्यक्रम में संकाय के प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और वक्ताओं के विचारों से लाभान्वित हुए।

दोपहर में संगीत एवं मंचकला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं पं. छोटेलाल मिश्र संगीत अभिकल्प अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में “ताल शिरोमणि पं. छोटेलाल मिश्र 12वीं स्मृति समारोह” का आयोजन पं. ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य, पद्मश्री प्रो. ऋतिक सान्याल, प्रो. संगीता पंडित, एवं प्रो. के. शशि कुमार द्वारा दीप प्रज्वलन एवं पं. छोटेलाल मिश्र के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। संकाय के सभी विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी और संगीत-प्रेमी इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का प्रारंभ ताल वाद्य कचहरी से हुआ, जिसमें पखावज पर श्री वैभव रामदास, नगाड़े पर श्री मनीष कुमार, तबले पर श्री श्रुतिशील उद्धव, तथा मृदंग पर डॉ. सत्यवर प्रसाद ने अपनी संगति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन सभी वादकों को एक लयात्मक सूत्र में पिरोने का कार्य डॉ. विनय मिश्रा ने संवादिनी पर किया। 8 मात्रा के आवर्तन पर आधारित इस प्रस्तुति में प्रत्येक कलाकार ने अपनी तकनीकी दक्षता और ताल के गूढ़ ज्ञान का परिचय दिया।

दूसरे चरण में गायन प्रस्तुति हुई, जिसमें सुश्री तेजस्विनी वार्नैकर ने राग मुल्तान में ख्याल प्रस्तुत किया। उनकी मधुर एवं स्पष्ट आवाज़, सुगठित तानों और भावपूर्ण गायन ने उपस्थित श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। गायन का समापन उन्होंने मीरा के भजन से किया, जिसने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। उनके साथ तबले पर श्री पंकज राय और संवादिनी पर डॉ. विनय मिश्रा ने सुंदर संगति की।

कार्यक्रम के समापन में युगल सितार वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी गई, जिसमें पिता-पुत्र की जोड़ी पं. नरेंद्र मिश्र एवं श्री अमरेंद्र मिश्र ने अपनी कुशलता और संवेदनशीलता से संगीत की अनंत संभावनाओं को जीवंत किया। उनकी प्रस्तुति में बनारस घराने की पारंपरिक शैली के साथ नवाचार की झलक देखने को मिली। उनके साथ तबले पर पं. रामकुमार मिश्र ने अपने प्रसिद्ध ठेकों और “नाधिंधिंना” जैसी जटिल बोलों के माध्यम से वातावरण को ऊर्जावान बना दिया।

पूरे कार्यक्रम का संयोजन समस्त शिष्य परिवार द्वारा किया गया। सभी प्रस्तुतियों ने गुरु-शिष्य परंपरा, बनारस की संगीत-साधना और भारतीय शास्त्रीय संगीत की जीवंत परंपरा को नए आयाम प्रदान किए। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित अतिथियों एवं कलाकारों को सम्मानित किया गया तथा स्मृति चित्र भी भेंट किए गए।

इस अवसर पर प्रो. संगीता पंडित ने कहा कि “संगीत केवल कला नहीं, बल्कि साधना है, और ऐसे आयोजन हमारे विद्यार्थियों को भारतीय संगीत की गहराई से जोड़ते हैं।”
कार्यक्रम का संयोजन प्रो. संगीता पंडित के नेतृत्व में हुआ। प्रो. राजेश शाह (वाद्य विभागाध्यक्ष) एवं प्रो. विधि नागर (नृत्य विभागाध्यक्ष) सह-संयोजक रहे। आयोजन सचिव डॉ. ज्ञानेश चन्द्र पाण्डेय (छात्र सलाहकार) थे, जबकि सह-आयोजन सचिवों में डॉ. मधुमिता भट्टाचार्य, डॉ. बी. सत्यवर प्रसाद, डॉ. चन्दन विश्वकर्मा, डॉ. सतीश कुमार, एवं डॉ. शुभंकर दे शामिल रहे।