22 नवंबर 2025 को 03:32 pm बजे
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‘विकसित भारत 2047 का लक्ष्य जन भागीदारी से होगा साकार’

‘विकसित भारत 2047 का लक्ष्य जन भागीदारी से होगा साकार’
  • बीएचयू में काशी संवाद 2025 का शुभारंभ
  • सीआईआई, समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

वाराणसीः भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में “काशी संवाद 2025 – विकसित भारत की ओर” का आयोजन 21–22 नवंबर 2025 को मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में किया जा रहा है। सामाजिक विकास पर आधारित यह राष्ट्रीय संवाद नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत, परमार्थ संगठनों, शिक्षाविदों, जमीनी नेतृत्व और विकास कार्यकर्ताओं को एक साथ लाकर वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य हेतु सहयोगात्मक भूमि तैयार करने का मंच प्रदान करेगा।उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार, सुश्री अनुप्रिया पटेल ने काशी को “विकास और विरासत” के संतुलित सह-अस्तित्व का उभरता मॉडल बताया।

उन्होंने CII के चार स्तंभ—नवाचार, समानता, समावेशन और स्थिरता—का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सिद्धांत पिछले एक दशक में भारत के शासन मॉडल के मूल्यों से गहराई से जुड़े हैं। उन्होंने पोषण कार्यक्रमों, स्वास्थ्य पहलों और डिजिटल साक्षरता जैसी नई तकनीकों के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण में हुई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला। स्वास्थ्य पर बात करते हुए उन्होंने अंतिम छोर तक सेवाओं की संतृप्ति (लास्ट-माइल सैचुरेशन), यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, आयुष्मान भारत, जन औषधि केंद्र, राष्ट्रीय डायलिसिस सेवाओं और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए व्यापक परिवर्तन पर विस्तार से चर्चा की। स्थिरता के संदर्भ में उन्होंने प्राकृतिक खेती, मिशन लाइफ, नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार और पर्यावरण-सम्मत जीवनशैली अपनाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हम विकसित भारत का निर्माण करना चाहते हैं इसलिए यात्रा में प्रत्येक नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित करना अनिवार्य है। व्यापक जनभागीदारी तभी संभव है जब समाज के सबसे कमजोर वर्गों को अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के संघर्ष से मुक्ति मिले। उन्हें इन मूलभूत संघर्षों से मुक्ति दिलाना आवश्यक है, ताकि वे राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय और सार्थक योगदान दे सकें।कार्यक्रम थीम पर एक सत्र के दौरान कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान समय में उच्च शिक्षा संस्थान सिर्फ अपने आसपास के क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सामाजिक और आर्थिक वृद्धि के प्रमुख इंजन बनने की क्षमता रखते हैं। भारत में प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, साक्षरता और स्वास्थ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हो रही तीव्र प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी उपलब्धियाँ नई चुनौतियाँ भी लाती हैं—जैसे समानता, सामाजिक समावेशन, नवाचार के अवसरों तक पहुँच और नवप्रवर्तकों के लिए बाज़ार संपर्क सुनिश्चित करना। प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि काशी संवाद, काशी शब्दोत्सव का पूरक मंच है। जहाँ काशी शब्दोत्सव साहित्य और कला पर केंद्रित है, वहीं काशी संवाद सामाजिक, विकासात्मक, आर्थिक और साक्षरता संबंधी विषयों पर विमर्श के लिए बनाया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस मंच पर होने वाली चर्चाएँ राज्य और केंद्र सरकारों के लिए प्रभावी नीतिगत सुझाव तैयार करने में सहायक होंगी। CII की राष्ट्रीय CSR समिति की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे विशिष्ट और क्रियात्मक सुझावों की पहचान आवश्यक है, जो न केवल सरकारी संस्थाओं, बल्कि विश्वविद्यालयों, CII और अन्य हितधारकों के लिए भी लाभकारी हों।श्री असीम अरुण, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), समाज कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति एवं जनजातीय कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान समाज को जिस दिशा में मार्गदर्शन दे सकते हैं, वह किसी अन्य संस्था के लिए संभव नहीं है, और इस संदर्भ में बीएचयू सबसे उपयुक्त संस्थान है। उन्होंने आगे कहा कि काशी संवाद के माध्यम से हम विकास का ऐसा मॉडल प्रस्तुत करना चाहते हैं जिसमें कंपनियों के लाभ में कंपनी के सभी स्तरों की भागीदारी सुनिश्चित हो। साथ ही, श्री अरुण ने कहा कि भारत सरकार 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में सफल हुई है, जो विश्व इतिहास में पहली बार हुआ है। सीएसआर फंड पर बात करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इस फंड का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाए, ताकि सरकारी मानकों को और बेहतर बनाया जा सके।अपने विशेष संबोधन में श्री अवनीश अवस्थी, मुख्य सलाहकार, माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, ने ‘विकसित भारत @ 2047’ के राष्ट्रीय संकल्प पर जोर देते हुए कहा कि भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में उत्तर प्रदेश की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य की आर्थिक प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश का भारत की GDP में लगभग 10% का योगदान है। उन्होंने युवाओं से सीखने के परिणामों में सुधार, सततता को अपनाने और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि बीएचयू जैसे संस्थानों को जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन, सौर ऊर्जा उपयोग और कृषि तथा जलवायु संबंधी चुनौतियों के लिए अनुसंधान आधारित समाधानों में आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने प्रारंभिक बाल शिक्षा के लिए ‘बाल वाटिका’ की शुरुआत का भी उल्लेख किया, जो बुनियादी वर्षों से ही सीखने के परिणामों को मजबूत करेगी।CII राष्ट्रीय CSR समिति के अध्यक्ष बी. थियागराजन ने भारत के CSR इकोसिस्टम के तीव्र विस्तार को रेखांकित किया।

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सीआईआई, उत्तर प्रदेश की चेयर, डॉ. उपासना अरोड़ा ने काशी के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व तथा राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व के तहत वाराणसी में हुए परिवर्तनकारी विकास को रेखांकित किया। सीआईआई उत्तर प्रदेश की को-चेयर, इस्मिता अग्रवाल ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि विकास तभी सार्थक और पूर्ण माना जाएगा जब उसमें भागीदारी के साथ संवेदना भी शामिल हो। उमंग शाह, चेयरमेन सीआईआई, वाराणसी जोन ने कहा कि कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनके लाभ के आँकड़ों में भी वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप CSR फंड में भी बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन इन फंड्स के खर्च करने का तरीका अभी भी पारंपरिक है, जिसमें बदलाव की आवश्यकता है।