राघोपुर, 5 नवंबर 2025 — कल 6 नवंबर को राघोपुर विधानसभा क्षेत्र (क्रमांक 128) में मतदान है, और इस बार चुनावी हवा में एक नया स्वर गूंज रहा है — नारी शक्ति की बुलंद आवाज़, सामाजिक न्याय की पुकार और जनप्रतिनिधित्व का नया चेहरा: शीलम झा। संयुक्त किसान मोर्चा (भारत), अंबेडकर मिशन फॉरवर्ड ब्लॉक (क्रांतिकारी), और मजदूर सेवा संघ के संयुक्त समर्थन से मैदान में उतरीं शीलम झा को चुनाव चिन्ह शतरंज बोर्ड (क्रम संख्या 11) मिला है।
🌾 किसान आंदोलन से निकलीं, जनआंदोलन की प्रतिनिधि बनीं
शीलम झा कोई सामान्य प्रत्याशी नहीं हैं। वे उस आंदोलन की उपज हैं जिसने देश के कोने-कोने में किसानों की आवाज़ को संसद तक पहुँचाया। संयुक्त किसान मोर्चा की महिला प्रचारक के रूप में उन्होंने न केवल खेतों की लड़ाई लड़ी, बल्कि मंचों पर महिलाओं की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया।
उनकी उम्मीदवारी एक प्रतीक है — उस आधी आबादी की, जिसे अक्सर चुनावी गणनाओं में गिना तो जाता है, लेकिन प्रतिनिधित्व से वंचित रखा जाता है।
👩🌾 “नारी शक्ति अब सिर्फ नारा नहीं, नेतृत्व है” — शीलम झा
अपने जनसंपर्क अभियान में शीलम झा ने बार-बार यह दोहराया कि यह चुनाव सिर्फ एक सीट का नहीं, बल्कि सोच का चुनाव है। “राघोपुर की महिलाएं अब सिर्फ वोटर नहीं, निर्णायक बनेंगी। हम खेत में काम करते हैं, घर चलाते हैं, बच्चों को पढ़ाते हैं — तो फिर विधानसभा में क्यों नहीं?”
उनका चुनावी नारा — “शतरंज बोर्ड पर बटन दबाओ, नारी शक्ति को जिताओ” — अब गाँवों की गलियों में गूंजने लगा है।
🧠 पूर्वांचल के गांधी की अपील: “शीलम झा को भारी बहुमत से जिताएं”
इस चुनाव को एक ऐतिहासिक मोड़ तब मिला जब पूर्वांचल के गांधी कहे जाने वाले डॉ. मोहम्मद आरिफ ने खुलकर शीलम झा के पक्ष में समर्थन दिया।
डॉ. आरिफ, जो सामाजिक न्याय, शिक्षा और दलित अधिकारों के लिए दशकों से संघर्षरत हैं, ने एक जनसभा में कहा:
“शीलम झा सिर्फ एक प्रत्याशी नहीं हैं, वे एक आंदोलन हैं। वे उस सोच की प्रतिनिधि हैं जो हर घर की बेटी को नेतृत्व देना चाहती है। मैं राघोपुर की जनता से अपील करता हूँ — शतरंज बोर्ड पर बटन दबाएं और भारी बहुमत से उन्हें विजयी बनाएं।”
उनकी इस अपील ने चुनावी समीकरणों को नया मोड़ दिया है।
🧩 चुनाव चिन्ह: शतरंज बोर्ड — रणनीति, संतुलन और समझदारी का प्रतीक
शीलम झा का चुनाव चिन्ह — शतरंज बोर्ड — भी अपने आप में एक संदेश है। यह न केवल रणनीति और संतुलन का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि राजनीति अब सिर्फ ताकत का खेल नहीं, समझदारी और समावेशिता का मंच है।
उनके समर्थकों ने गाँव-गाँव में शतरंज बोर्ड के पोस्टर लगाए हैं, और मतदाताओं को क्रम संख्या 11 पर बटन दबाने की अपील की जा रही है।
🧵 जनसंपर्क अभियान: हर घर तक पहुँची आवाज़
शीलम झा का चुनावी अभियान किसी बड़े बजट या प्रचार तंत्र पर नहीं, बल्कि जनसंपर्क और विश्वास पर आधारित है।
- उन्होंने खेतों में जाकर महिलाओं से संवाद किया
- मजदूर बस्तियों में चौपाल लगाई
- युवाओं के साथ सोशल मीडिया पर लाइव बातचीत की
- बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया
उनकी टीम में स्थानीय महिलाएं, युवा कार्यकर्ता और किसान नेता शामिल हैं, जो बिना किसी लालच के बदलाव की उम्मीद में काम कर रहे हैं।
📊 जनमत का रुझान: बदलाव की ओर झुकाव
स्थानीय सर्वेक्षणों और जनचर्चाओं से यह संकेत मिल रहा है कि राघोपुर की जनता इस बार पारंपरिक दलों से हटकर एक नई सोच को अपनाने को तैयार है।
- महिलाओं में उत्साह
- युवाओं में उम्मीद
- किसानों में भरोसा
- मजदूरों में अपनापन
यह सब मिलकर शीलम झा को एक मजबूत जनाधार दे रहा है।
🛑 विरोधियों की रणनीति: भ्रम फैलाने की कोशिश
विपक्षी दलों ने शीलम झा के खिलाफ कई तरह की अफवाहें फैलाने की कोशिश की — कभी अनुभव की कमी का आरोप, कभी संगठन की पहचान पर सवाल।
लेकिन जनता ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा:
“हमें अनुभव नहीं, ईमानदारी चाहिए। हमें वादा नहीं, संघर्ष चाहिए। शीलम झा हमारी अपनी हैं।”
🗣️ जनता की आवाज़
सावित्री देवी, एक स्थानीय महिला किसान कहती हैं:
“पहली बार कोई महिला हमारे खेतों की बात कर रही है। हम सबने तय किया है — इस बार शतरंज बोर्ड पर ही बटन दबेगा।”
राजू यादव, एक युवा मतदाता कहते हैं:
“शीलम दीदी ने हमें बताया कि राजनीति सिर्फ नेताओं की नहीं, जनता की भी हो सकती है। मैं पहली बार वोट डालूँगा — उनके लिए।”
🏁 अंतिम अपील: सही निर्णय, सही परिणाम
शीलम झा ने मतदान से एक दिन पहले अपनी अंतिम अपील में कहा:
“राघोपुर की जनता से मेरी विनती है — कल 6 नवंबर को मतदान करें। सही निर्णय लें, ताकि सही परिणाम मिले। यह चुनाव सिर्फ मेरा नहीं, हम सबका है।”
✊ निष्कर्ष: राघोपुर में बदलाव की दस्तक
शीलम झा की उम्मीदवारी ने राघोपुर में एक नई राजनीतिक चेतना को जन्म दिया है। यह चुनाव अब सिर्फ एक सीट का नहीं, बल्कि सोच, प्रतिनिधित्व और न्याय का चुनाव बन चुका है।
पूर्वांचल के गांधी डॉ. मोहम्मद आरिफ की अपील ने इस आंदोलन को और बल दिया है। अब देखना यह है कि कल मतदान के बाद राघोपुर की जनता किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनती है — लेकिन संकेत साफ हैं: नारी शक्ति की जीत अब दूर नहीं।
