आजमगढ़ः पचहत्तर के हुए विभूति : अभिनंदन के निमित्त जनसमारोह की कुछ छवियाँ, श्रीरामानंद सरस्वती पुस्तकालय-जोकहरा गाँव (आजमगढ़) से, 11 नवम्बर 2025, प्रसिद्ध साहित्यकार विभूति नारायण राय के पचहत्तरवें सालगिरह पर 'पचहत्तर के हुए विभूति' विषयक जनसमारोह आयोजित किया गया। इस अभिनंदन समारोह के मुख्य अतिथि महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ के कुलपति प्रो.संजीव कुमार थे। यह आयोजन जोकहरा गाँव में स्थापित राष्ट्रीय स्तर पर विख्याति अकादमिक केंद्र श्रीरामानंद सरस्वती पुस्तकालय में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि प्रो.संजीव कुमार ने कहा कि विभूतिजी का साहित्य हमारे समय, समाज और संस्कृति को पूरी बेबाकी से निरूपित करता है। आपने ग्रामीण इलाके में पुस्तकालय की स्थापना कर नई पीढ़ी को जागरूक बनाने की दिशा में अपूर्व योगदान किया है।
विभूतिजी आजमगढ़ जनपद की समृद्ध साहित्यिक विरासत के संवाहक हैं। इनके महत्तर योगदान से अकादमिक जगत के सुनहले भविष्य की संभावना मजबूत हुई है। अध्यक्षता करते हुए हरिश्चन्द्र पी.जी.कालेज, वाराणसी के पूर्व प्राचार्य डा. गया सिंह ने विभूतिजी समग्र लेखन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कथाकार के रूप में आपका लेखन मानवीय मूल्यों की गरिमा और उसकी संवेदना का संवर्धन करता है। अखबारों में आपके लेखों को पढ़ कर समाज को नई दिशा मिलती है। विभूतिजी सच्चे अर्थों में हमारे समय के आवयविक बुद्धिजीवी हैं। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ आलोचक एवं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.अनिल राय ने कहा कि विभूतिजी कथा लेखन की प्रतिष्ठा हैं। उन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ साथ जीवन को जिया है। इस अवसर पर गांधी स्मारक त्रिवेणी पी.जी.कालेज, बरदह, इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. वी.के.राय ने विभूतिजी के साहसपूर्ण प्रशासनिक अवदान को याद किया। जनाब सरफराज अहमद ने विभूति नारायण राय से जुड़े अपने निजी संस्मरणों को साझा किया। इलाहाबाद से आए आनंद मालवीय ने विभूतिजी के युवाकाल पर अनुभवों प्रकाश डाला।अभिनंदन समारोह से अभिभूत प्रसिद्ध साहित्यकार एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि मैंने अपने जीवन में लेखन और सामाजिक परिवर्तन के लिए यथासंभव अपनी भूमिका अदा की है क्योंकि यह मेरे ऊपर एक ऋण की तरह है जिसे सदैव अदा करता रहूँगा।लेकिन इसके एवज में सम्मान की कभी कल्पना भी नहीं की।
आज अपनों के बीच सम्मान से मेरा हृदय आभारित है।समारोह के आरंभ में बैजनाथ यादव के गीत के साथ डा.जयप्रकाश धूमकेतु ने स्वागत वक्तव्य दिया। बड़ी संख्या में अन्य जनपदों से आए साहित्यकारों और पाठकों द्वारा कथाकार विभूति नारायण राय का माल्यार्पण एवं बुके व शाल पहना कर हार्दिक अभिनंदन किया गया।










इस दौरान सुरेन्द्र राही, डा.संजय श्रीवास्तव, डा.संजय यादव, डा.अशोक कुमार पाण्डेय, डा, अनुपम यादव, राजेश यादव, डा.मनोज सिंह, बालेदीन यादव,डा.वी.सी.यादव, डा.इंदु श्रीवास्तव, माधुरी राय, विजय लक्ष्मी मिश्रा, हरिगेनजी,अमिताभ मिश्र आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे। समारोह का संचालन प्रो.हसीन खान ने और आभार ज्ञापन संस्था की निदेशक हिना देसाई ने किया।
हिना देसाई प्रो.हसीन खान संयोजक
