16 नवंबर 2025 को 06:45 pm बजे
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गर्भावस्था के दौरान माँ–भ्रूण संवाद का रहस्य: एक्सोसोम्स की नई भूमिका उजागर

गर्भावस्था के दौरान माँ–भ्रूण संवाद का रहस्य: एक्सोसोम्स की नई भूमिका उजागर

वाराणसीः बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संस्थान के प्राणि विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित International Conference on Advances in Endocrinology, Metabolism, and Reproductive Health (ICAEMRH-2025) के तीसरे दिन गर्भावस्था में होने वाले जैविक परिवर्तनों और माँ–भ्रूण संवाद के वैज्ञानिक पहलुओं पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

एम्स की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान माँ और भ्रूण के बीच बेहद सूक्ष्म स्तर पर एक निरंतर संवाद चलता है, जिसका प्रमुख माध्यम एक्सोसोम्स होते हैं—ये कोशिकाओं द्वारा स्रावित अत्यंत छोटे, एक-झिल्ली वाले माइक्रो-ऑर्गेनेल्स हैं।

उन्होंने बताया कि शोधों से स्पष्ट है कि गर्भवती महिलाओं के रक्त में प्लेसेंटा से उत्पन्न एक्सोसोम्स बड़ी मात्रा में मौजूद रहते हैं।
2014 में सारकर और वर्गास के अध्ययन में पहली बार पता चला कि ये एक्सोसोम्स मातृ रक्त में स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होते हैं। आगे 2016 में नार्डी के अध्ययन ने साबित किया कि जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती है, एक्सोसोम्स की मात्रा भी बढ़ती जाती है और तीसरी तिमाही में यह अपने उच्चतम स्तर पर पहुँचती है।

अन्य प्रमुख व्याख्यान

सम्मेलन के तीसरे दिन की शुरुआत प्रो. ईश्वर परहार (यूनिवर्सिटी ऑफ टोयामा, जापान) के कीनोट व्याख्यान से हुई। उन्होंने बताया कि किस तरह किसपेप्टिन-प्रेरित न्यूरोनल परिवर्तन गैर-स्तनधारी कशेरुकियों में सामाजिक व्यवहार और प्रजनन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने यह भी समझाया कि प्रकाश, फेरोमोन्स और सामाजिक संरचनाएँ किस प्रकार kisspeptin–GnRH मार्ग को प्रभावित कर प्रजनन समय और सामाजिक निर्णय निर्धारित करती हैं।

प्रो. एडे‍लिनो कनारियो (पुर्तगाल) ने टेलीओस्ट मछलियों में सोमैटोस्टेटिन (SST) की नई भूमिकाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विकास, चयापचय, प्रतिरक्षा, प्रजनन और जर्म-सेल विनियमन में SST की भूमिका कशेरुकियों में समान रूप से महत्वपूर्ण पाई जाती है।

प्रो. राजीव रमन (बीएचयू) ने गार्डन लिजार्ड में लिंग निर्धारण की जैविक प्रक्रिया पर अपने दो दशक के शोध का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने आनुवंशिक, हार्मोनल, तापमान-निर्भर और एपिजेनेटिक कारकों की विस्तृत व्याख्या की, जो मिलकर लैंगिक विकास को नियंत्रित करते हैं।

संक्रामक रोगों पर महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ

संक्रामक रोगों पर सत्र में प्रो. विकास कुमार दुबे (आईआईटी बीएचयू) और प्रो. राकेश के. सिंह (बीएचयू) ने Leishmania donovani पर अपनी नई खोजें साझा कीं। उन्होंने बताया कि यह परजीवी किस तरह प्रतिरक्षा तंत्र से बच निकलता है और कैसे whole-killed Leishmania वैक्सीन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए डेंड्रिटिक कोशिकाओं की सक्रियता और सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत करने की आवश्यकता होती है।

समापन समारोह और पुरस्कार

Valedictory Function में डॉ. राघव कुमार मिश्रा ने पूरे सम्मेलन का वैज्ञानिक सार प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस बार सम्मेलन में—

  • 3 कीनोट व्याख्यान
  • 13 प्लेनरी टॉक्स
  • 47 आमंत्रित व्याख्यान
  • और 125 से अधिक युवा शिक्षकों, पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ताओं और पीएचडी स्कॉलर्स की प्रस्तुतियाँ हुईं।

उन्होंने कहा कि प्रजनन जीवविज्ञान, अंतःस्राविकी, प्रतिरक्षा विज्ञान, संक्रामक रोगों और न्यूरोएंडोक्राइन विनियमन जैसे विविध क्षेत्रों पर हुई चर्चाएँ आधुनिक बायोमेडिकल विज्ञान की तेज़ी से बढ़ती दिशाओं को दर्शाती हैं।

मुख्य अतिथि डॉ. डेबोरा पावर (पुर्तगाल) ने उत्कृष्ट शोध करने वाले युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सम्मान प्रदान किया।
अंत में सम्मेलन के कोषाध्यक्ष डॉ. राहुल कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।