कुछ अनकहा!
मुझे याद है जब हम पहली बार मिले थे
हृदय में घबराहट, और आंखों में बेचैनी थी,
तुम्हें पहली बार देखने के लिए,
मुझे याद है, मैं तुमसे आंखे नहीं मिला पाया था कुछ देर तक, और
एक भीनी सी मुस्कुराहट थी तुम्हारे चेहरे पर,
मुझे याद है साथ चलते हुए, जब तुम्हारा हाथ
टकरा गया था मेरे हाथों से, हाँ यह स्पर्श पहली बार था, और
तुमने मुझे देखा और मुस्कुराई,
मुझे याद है, खराब रास्तों पर कैसे तुम्हारी उंगलियों ने मेरी
हथेली को जोर से थाम लिया था,
मुझे याद है आलिंगन के दौरान हृदय भरे प्रेम से तुमने कहा था ‘मुझे छोड़कर मत जाना’
मुझे याद है, तुमसे वो मेरी आखिरी मुलाकात,
मुझे याद है तुम्हारा ‘आखिरी झूठ’।
नैमिष कुमार