सिरसा : पिछले कई दिनों से हरियाणा में तीन कृषि क़ानूनों के विरुद्ध जनाक्रोश अपने उफान पर है तथा संघर्ष के मैदान दहक रहे हैं। हरियाणा के जनसंगठनों द्वारा पिछले दिनों संयुक्त आह्वान के तहत बड़े व प्रभावशाली रोष-प्रदर्शन तथा रैलियाँ की जा चुकी हैं। कृषि क़ानूनों के विरुद्ध संघर्षों के मैदान को और प्रचंड करते हुए बीती 28 सितंबर को हिसार में हरियाणा के जनसंगठनों की मीटिंग हुई, जिसमें नौजवान भारत सभा भी शामिल हुई।
जिला कमेटी, सिरसा, नौजवान भारत सभा योगेंद्र यादव द्वारा लोगों को शरारती तत्व कहने का कड़ा विरोध करती है और साथ ही संघर्ष कर रही जनता से अपील करती है कि ऐसे अवसरवादी नेताओं तथा वोट-बटोरू टोलों से सावधान रहते हुए, संघर्ष को जनसंगठनों के संयुक्त नेतृत्व में और ज़्यादा आगे बढ़ाने की ज़रूरत है।
मीटिंग में फ़ैसला किया गया कि 6 अक्टूुबर को राज्य की भाजपा की साझीदार जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला की कोठी का सिरसा में घेराव किया जाएगा। जिस आह्वान के तहत सिरसा के दशहरा मैदान में हज़ारों की संख्या में विशाल सभा हुई। इस दिन दशहरा मैदान में रैली करने व उसके बाद दुष्यंत चौटाला की कोठी के घेराव का आह्वान था, जिसे मंच से विभिन्न वक्ताओं एवं ख़ुद मंच सचांलक द्वारा बार-बार दोहराया जाता रहा। इस अवसर पर भाजपा-जजपा सरकार के विरुद्ध लोगों के अंदर ज़बरदस्त आक्रोश उबल रहा था, जिसे वक्ताओं ने सातवें आसमान पर पहुँचाया। रैली के उपरांत जनसमूह प्रदर्शन करता हुआ दुष्यंत चौटाला की कोठी की ओर चल पड़ा। जहाँ पहले ही पुलिस लोगों को मंत्री की कोठी तक जाने से रोकने के लिए बैरीकेड लगा कर तैयार खड़ी थी। जिसने लोगों के अंदर रोष की जलती आग को और हवा दी।
दुष्यंत चौटाला ने लोगों की बात सुनने की बजाए, उन्हें पुलिस-दमन के सहारे रोकने की कोशिश की तो लोगों के सब्र का बाँध टूट गया और रोष में आए लोगों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकेड तोड़ दिए। जिसके बाद पुलिस ने जनसमूह को तितर-बितर करने के लिए दमन करते हुए पानी की बौछारें तथा आँसू गैस के गोले बरसाए। पुलिस की इस दमनकारी करतूत की जहाँ सभी जनवादी ताक़तों ने सख़्त निंदा की है तथा लोगों द्वारा अपना रोष व्यक्त करने, सरकार के प्रतिनिधियों तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के जनवादी अधिकार का समर्थन किया है। वहीं दूसरी ओर स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने बैरीकेड तोड़ने वाले लोगों को शरारती तत्व घोषित करते हुए, उन पर संघर्ष को नुक़सान पहुँचाने का आरोप मढ़ दिया है।
लोगों के रोष का स्वागत करने की बजाय योगेंद्र यादव जैसे अवसरवादी वोट-बटोरू टोलों से सतर्क रहने की ज़रूरत है, जिनका सरोकार जनांदोलनों पर सवार होकर सिर्फ़ अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकना और अपने वोटों को पक्का करना होता है। जिसका नमूना कल योगेंद्र यादव ने बखूबी पेश किया, जहाँ यादव की पार्टी के कार्यकर्ता अपने चुनावी निशान वाले झंडे लेकर रैली में शामिल हुए थे। ग़ौर करने वाली बात है कि यह वही योगेंद्र यादव है जिसने नागरिकता अधिकारों पर हमले के विरुद्ध चल रहे देशव्यापी संघर्ष को, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की भारत यात्रा के अवसर पर स्थगित करने की बात कहकर, अधिकारों के संघर्ष को बिखेरने की भद्दी करतूत की थी। योगेंद्र यादव जैसे अवसरवादी तत्व दरअसल संघर्षों के तपे तंदूर में अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने आते हैं और इनका वास्तविक रूप में जनता के मुद्दों के साथ कोई सरोकार नहीं होता। इस वज़ह से इनकी कोशिश रहती है कि दूसरे संगठनों द्वारा की गई लामबंदी पर भाषण झाड़कर महफ़िल लूट लें, जो कल योगेंद्र यादव ने किया।
बैरीकेड तोड़कर लोगों ने कल स्टेज से बार-बार दुष्यंत चौटाला कोठी के घेराव के दिए जा रहे आह्वान पर ही फूल चढ़ाए, बल्कि ना कि इसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की, जैसे योगेंद्र यादव इसे प्रस्तु़त कर रहा है और लोगों को शरारती तत्व करार देता हुए उन पर पुलिस कार्रवाई की माँग कर रहा है। योगेंद्र यादव कि इस हरकत से लोगों को व जनसंगठनों को लाज़िमी ही उसके पक्ष के बारे में सोचना चाहिए, जो जनता के उलट खड़ा प्रतीत होता है। जिला कमेटी, सिरसा, नौजवान भारत सभा योगेंद्र यादव द्वारा लोगों को शरारती तत्व कहने का कड़ा विरोध करती है और साथ ही संघर्ष कर रही जनता से अपील करती है कि ऐसे अवसरवादी नेताओं तथा वोट-बटोरू टोलों से सावधान रहते हुए, संघर्ष को जनसंगठनों के संयुक्त नेतृत्व में और ज़्यादा आगे बढ़ाने की ज़रूरत है।