हमारा मोर्चा की फेसबुक वॉल सेः उत्तर प्रदेश निर्माण व असंगठित मज़दूर यूनियन की ओर से आज फिर 15 अगस्त को गहरपुर स्थित वंदना मेडिकल स्टोर के प्रांगण में आयोजित होने वाली मज़दूर पंचायत में आने का न्यौता देने के लिए सघन जनसंपर्क अभियान चलाया। जनसंपर्क अभियान के दौरान यह बात समझ में आई कि ग्रामीण महिलाओं को मनरेगा में प्रधान काम नहीं दे रहा, राशनकार्ड की समस्या भी कुछ लोगों ने सामने रखी। शौचालय-आवास जैसी सरकारी सुविधाओं को देने के लिए प्रधान द्वारा कमीशन लिए जाने की बात भी ग्रामीणों ने बताई। ग्रामीणों के बीच जो परचा बाँटा जा रहा था उसमें किसी साथी का फोन नंबर नहीं दिया गया है। एक कमी तो यह रही, दूसरे हमें यह बताना है कि आजादी के 75 साल में मज़दूरों की हालत कुछ खास नहीं सुधरी, इसका जिम्मेदार कौन है, इस विषय पर मज़दूर पंचायत होने जा रही है। परचे में इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख हमें करना चाहिए था। गाँव के मज़दूरोंं के बीच यूनियन बनाना और शहर में काम करने वाले मज़दूरों के बीच यूनियन का काम करना दोनों में काफी फर्क है। ःःःःःःःः खैर, ग्रामीणों के बीच यूनियन के महत्व को समझाते हुए साथीगण कह रहे थे कि यूनियन अगर मजबूत हुई तो आवास-शौचालय के लिए प्रधान को कमीशन नहीं देना पड़ेगा अगर उसने वोट खरीदे हैं तो यह उसकी गलती है और उसे अपनी गलती सुधारनी होगी और सच्चे मायने में जनप्रतिनिधि की तरह पेश आना होगा। ———-प्रचार के दौरान महिला मज़दूरों को पुरुषों के मुकाबले कम मज़दूरी मिलने या काम ही नहीं दिए जाने की समस्या का पता चला, यूनियन को इस मसले को भी पुरजोर ढंग से उठाना होगा। युवा होते किशोर उम्र के बच्चे अपने क्रिकेट मैच का प्रचार करने की गरज़ से पूरे उत्साह के साथ डटे रहे, उन्हें इंकलाबी सलाम।
बिजली विभाग समेत समस्त सरकारी विभागों में निजीकरण की विकराल समस्या को भी एड्रेस करेगी यूनियन। खेतों-घरों-गलियों में परचा वितरण के दौरान समझ में आया कि मेहनतकश जातियों की मज़दूर औरतों में अपने हालात को लेकर पर्याप्त बेचैनी है और वे मर्दों के मुकाबले अधिक साहसी और मुखर हैं। हमारे बुद्धिजीवी वातानुकूलित कमरों में विमर्श चलाने तक खुद को सीमित रखे हैं और जनता के बीच जा ही नहीं रहे हैं वर्ना उद्वेलित जनता नए विचारों को ग्रहण करने के लिए न जाने कब से तैयार है। उत्तर प्रदेश निर्माण व असंगठित मज़दूर यूनियन इस दिशा में सक्रिय है, आज कुछ ऐसे नौजवानों ने प्रचार कार्य में हिस्सा लिया जिनसे पूर्व-परिचय नहीं था। यूनियन के कार्य में हाथ बँटाने के मज़दूर महिलाएं भी तत्पर दिखीं। पर उनके बीच धँसना होगा, नियमित बैठकें करनी होंगी, पुस्तिका-परचा और सिनेमा आदि माध्यमों से मज़दूरों की जिंदगी कैसे बदलेगी, इस बारे में उन्हें अवगत कराना होगा।