जहाँ मैंने प्रार्थना लिखी – मिथिलेश श्रीवास्तव

55
256

उस रात से यह रात अधिक अंधेरी है,ईश्वर
दरवाज़े, खिड़कियां, रोशनदान
यहां तक कि छज्जों और छतों के छिद्रों
यहां तक कि मेरी कल्पना की सरहदें भी
बंद कर दिए गए हैं जहाँ से रोशनी आ सकती थी
आसमान साफ़ है लेकिन चाँद -सितारे छुपा दिए गए हैं
कहीं किसी गुप्त खोह में

ईश्वर मैं कहता हूँ
उस रात से यह रात अधिक अंधेरी है
यह विकास का नया समय है
एक आदमी जिसके हाथ से ख़ून की बूंदें टपक रही हैं
मेरे भाग्य का विधाता बन बैठा है
वह सपने का जाल फेंकता है और मैं चिड़ियों की तरह फंस जाता हूँ
मुझे मेरी इस लालच से बचाना ईश्वर
ईश्वर उसे भी उसके इस भ्रम से बचाना कि वह
अपनी चौड़ी छाती और अनथक भाषणों से सबकुछ संभाल लेगा
ईश्वर उसे समझाना कि
एक धर्म के लोगों से एक लोकतांत्रिक देश नहीं बनता है
ईश्वर उसे बुद्धिमान बनाना ताकि वह
समझ सके कि वह जो कहता है वह झूठ है
वह कहता है इस देश में आंदोलन नहीं है तो हम कैसे मान लें कि आंदोलन नहीं है
वह कहता है कि इस देश में विरोध नहीं है तो हम कैसे मान लें कि विरोध नहीं है
वह कहता है कि यह देश हिन्दुओं का है तो हम कैसे मान लें यह देश हिन्दुओं का है
वह कहता है इस देश के सारे मुसलमान हिन्दू थे तो हम कैसे मान लें कि यही सच है
मुसलमानों के अस्थि-पंजरों की निचली परतों में हिन्दू होने का कोई निशान नहीं हैं
यह कैसी अंधेरी रात है वह बार-बार पूछता है गांधी को किसने मारा
मैं क्या कहूं किसने मारा गोली तो गोडसे ने चलायी थी
ईश्वर एक भयानक बात बताने जा रहा हूँ मुझे भी और उसे भी माफ़ करना
वह कहता है कि उसकी बात हम मान लें
वरना मुख्य दरवाज़े की कुण्डी लगाकर
खिड़की से आग के गोले हमारे घरों के अंदर फिकवा देगा
हमारी चीखें ईश्वर तुम तक भी नहीं पहुंचेंगी
उस रात से यह रात अधिक अंधेरी है
तो हम क्या करें ईश्वर
जलती हुई मशालें लेकर सड़क पर उतर जाएं
तख़्तियों पर लिख दें
यह देश न मुसलमानों का है , न हिन्दुओं का है
यह देश गरीबों, मज़दूरों, मज़बूरों, अपाहिजों और बेसहारों का है
ईश्वर नाराज़ तो नहीं होंगे कहीं ऐसा हम लिख देते हैं
गरीबों, मज़दूरों, मज़बूरों, अपाहिजों और बेसहारों से तुम्हें चढ़ावे तो मिलते नहीं।”

कवि मिथिलेश श्रीवास्तव का परिचय-

बिहार के गोपालगंज में जन्में कवि मिथिलेश श्रीवास्तव के अब तक दो कविता संग्रह ” किसी उम्मीद की तरह (1999) और ” पुतले पर गुस्सा ” (2014) में प्रकाशित हो चुके हैं।हिंदी अकादमी,फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर और महाविद्यालय कविता मित्र आदि सम्मानों से सम्मानित हो चुके हैं।देश और विदेश में कविता पाठ। “लिखावट” (कविता और विचार का मंच ) के माध्यम से समाज में कविता के प्रचार-प्रसार की कोशिश।
मो-9868628602

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here