Vidyanand Choudhary
अगर लोग बेघर हैं
तो मैं गृह त्यागकर महान नहीं बनूँगा
उनके आवास के लिए संघर्ष करूँगा।
अगर लोग भूखे हैं
तो मैं अन्न त्यागकर महान नहीं बनूँगा
उनके भोजन के लिए संघर्ष करूँगा।
अगर लोग कपड़ों के बिना
अपना बदन ढक नहीं पाते
तो मैं वस्त्र त्यागकर महान नहीं बनूँगा।
मैं उनके वस्त्र के लिए संघर्ष करूँगा।
अगर लोग अनपढ़ और अशिक्षित है
तो मैं शिक्षा को त्यागकर महान नहीं बनूँगा
मैं उनकी शिक्षा के लिए संघर्ष करूँगा।
अगर लोग बीमार हैं
तो मैं औषधि और उपचार त्याग महान नहीं बनूँगा
मैं बीमारों के उपचार के लिए संघर्ष करूँगा।
अगर वे गरीब हैं
तो अमीरों के महानता की बखान नहीं करूंगा
अमीरों की दौलत की ट्रस्टीशिप की वकालत नहीं करूंगा
उन गरीबों के संघर्ष को मजबूत करूँगा।
परिस्थितियों से समझौते की कायरता के बजाय
संघर्ष के रास्ते पर ले जाऊंगा
मालिकों से याचना के बजाय
अधिकारों की लड़ाइयां खड़ी करूँगा।
जो हिंसा गरीबों पर रोज ब रोज होती है
जो यातना शितमगर रोज ढाते हैं
उन यातनाओं से मुक्ति
उनसे निवारण की राह चुनूँगा
अहिंसा की आड़ में
हिंसा की पर्दादारी नहीं करूंगा।
पर मैं पहले तय करूँगा
मैं किसका हिमायती हूँ
गरीबों का दर्दमंद हूँ अगर
अमीरो का हिमायती नहीं हो सकता।
शोषकों का हिमायती बनकर
शोषितो को गुमराह नहीं करूंगा।
संघर्ष का नियम ही गति का नियम है।
संघर्ष हिंसा नहीं, हिंसा का निवारण है।
सत्य केवल वर्ग संघर्ष का नियम है।
शोषकों से संघर्ष ही सत्य का मार्ग है।
और कुछ भी सत्य नहीं
और कोई अहिंसा नहीं
और कोई न्याय नहीं
और कोई ज्ञान नहीं।