सर्वाइकल कैंसरः गर्भाशय ग्रीवा की कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने वाले माइक्रो आरएनए क्लस्टर की हुई खोज

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डॉ. समरेंद्र सिंह

• सेल साइकिल एवं कैंसर लैब द्वारा किये गए अध्ययन में हुई miR-17~92 क्लस्टर की ट्यूमर दमनकारी भूमिका की पहचान
• सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए नई चिकित्सा पद्धति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं अध्ययन के नतीजे
वाराणसीः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान संस्थान के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे माइक्रो आरएनए क्लस्टर की खोज की है जो विशेष रूप से गर्भाशय ग्रीवा की कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकता है। यह अध्ययन डॉ. समरेन्द्र सिंह तथा उनके मार्गदर्शन में पीएचडी कर रहीं सुश्री गरिमा सिंह द्वारा किया गया है। सेल साइकिल एवं कैंसर लैब में किये गए इस अध्ययन के निष्कर्ष सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए नई चिकित्सा पद्धति का पता लगाने के मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
इस अध्ययन ने दिखाया कि एक मानव माइक्रो-आरएनए क्लस्टर, miR-17~92, एक ऑन्कोजेनिक कोशिका चक्र कारक Cdt2/DTL का दमन करके विशेष रूप से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर कोशिकाओं के विकास और कैंसर की प्रगति को रोकता है और गैर-कैंसर कोशिकाओं पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव भी नहीं डालता है। इस खोज से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के प्रबंधन में एक सुरक्षित और विशिष्ट चिकित्सा विकसित करने में मदद मिल सकती है।

गरिमा सिंह (रिसर्च स्कालर)

डॉ. समरेंद्र सिंह ने कहा, “अध्ययन का आशाजनक परिणाम यह दिखाने वाला ऐसा पहला कार्य है कि miR-17~92, कोशिका चक्र को विनियमित करके गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर कोशिकाओं का दमन करता है। माइक्रोआरएनए कोशिका चक्र और विभिन्न अन्य सेलुलर प्रक्रियाओं के एक महत्वपूर्ण नियामक के रूप में उभरे हैं। माइक्रोआरएनए में विपथन को कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के विकास से जोड़ा गया है, लेकिन इस नियमन के पीछे के तंत्र का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। उन्होंने आगे कहा, “हमने बताया है कि खोजा गया माइक्रो-आरएनए गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की कोशिकाओं के विकास करने वाले ऑन्कोजेनिक कारक के कुछ प्रतिलेखों को अस्थिर कर देता है। इसके कारण कैंसर कोशिकाओं की मेटास्टेटिक और प्रसार क्षमता अत्यधिक प्रभावित होती है।”
अध्ययन के निष्कर्ष प्रतिष्ठित स्प्रिंगर नेचर के शोध पत्रिका ‘डिस्कवर ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित हुए हैं।
डॉ. समरेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में सेल साइकिल एवं कैंसर प्रयोगशाला कैंसर, विशेष रूप से गर्भाशय ग्रीवा और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के क्षेत्र में अनुसंधान करती है। अपने अध्ययन को निष्पादित करने के लिए, यह लैब विभिन्न आणविक जीव विज्ञान, जैव रसायन और संरचनात्मक जीव विज्ञान उपकरणों का उपयोग करती है। प्रयोगशाला यह जांचने की कोशिश करती हैं कि कैंसर कोशिकाओं में कोशिका चक्र व्यवहार क्यों और कैसे गलत तरीके से नियंत्रित होता है। इससे पहले, लैब ने एक और माइक्रो-आरएनए, miR-34a की सूचना दी थी जो एक आवश्यक वायरल प्रोटीन E6 को लक्षित करके कैंसर की प्रगति का दमन कर सकता है जिसे ‘बीएमसी कैंसर’ में प्रकाशित किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने सर्वाइकल कैंसर के रोगियों के सीरम में ट्यूमर डीएनए के भार का मूल्यांकन करके कैंसर का निदान करने का एक नया तरीका खोजा है, जिसे ‘जेसीआरटी’ नामक कैंसर के एक बहुत प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया था।
अध्ययन का ऑनलाइन लिंकः https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/37707654/
सम्पर्क सूत्रः डॉ. समरेन्द्र सिंह 8707400665

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