श्यामली काफी दिनों से परेशान थी। मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियां चढ़ते वक्त तो उसकी आंखों में आंसू ही आ जाते थे। वजह थी उसके टखने, एड़ी और अंगूठे के पास लगातार बना रहने वाला तीव्र दर्द। उसके दोनों पैर के अंगूठे के पास रह-रह कर टीस उठती थी। इधर कुछ दिनों से घुटनों में भी कसाव महसूस होने लगा था। पैरों में सूजन भी रहने लगी थी। लगातार दौड़—भाग करने वाली श्यामली के लिए कदम-कदम चलना भी मुश्किल होता जा रहा था। श्यामली को लगता था कि यह फील्ड जौब की वजह से ऐसा हो रहा है। क्लाइंट्स से मिलने के चक्कर में उसे सारा दिन इधर-उधर घूमना पड़ता था और ज्यादातर समय वह पैदल चलती थी।
उसने मां को बताया तो मां ने गर्म पानी से सिंकाई का मशवरा दिया। एक हफ्ते से वह हर रात सोने से पहले गर्म पानी में नमक डाल कर पैरों की सिंकाई कर रही थी, मगर फायदा रत्ती भर नहीं पड़ा। दर्द निवारक गोलियां खा-खाकर दिन गुजर रहे थे।
उस दिन तो दर्द असहनीय हो गया था। श्यामली शाम को दफ्तर से बाहर निकली तो आफिस की सीढ़ियां देखकर उसे पसीना आ गया। ‘कैसे उतरूं?’ वह सोच ही रही थी कि रागिनी आ गयी रागिनी का सहारा लेकर वह धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर कर नीचे आयी। उस दिन रागिनी उसे जबरदस्ती डॉक्टर के पास ले गयी। डॉक्टर ने श्यामली के पैर के अंगूठे के पास दबाया तो दर्द के मारे उसकी चीख निकल गयी। डॉक्टर ने ब्लड टेस्ट लिखा। दूसरे दिन ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आयी तो पता चला उसके खून में यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा है। एक हफ्ते की दवाईयों और कुछ परहेज के बाद श्यामली नार्मल हो गयी, मगर पहली बार उसको यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि पैरों का दर्द सिर्फ थकान से नहीं, शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने से भी हो सकता है।
डॉ. परमानन्द
वे बताते हैं कि ‘यूरिक एसिड बढ़ने की मुख्य वजह खानपान है। दरअसल जब किसी वजह से किडनी की फिल्टर यानी छानने की क्षमता कम हो जाती है तो यूरिया यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है, जो हड्डियों के बीच में जमा होने लगता है। आमतौर पर यूरिक एसिड का ज्यादातर हिस्सा किडनियों के जरिए फिल्टर होकर पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन जब यूरिक एसिड शरीर में ज्यादा बनने लगे और किडनी उसे पूरी तरह से फिल्टर न कर पाये तो खून में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है। जब यह शरीर में जगह-जगह हड्डियों के बीच जमा हो जाता है तो गाउट की समस्या पैदा हो जाती है। यूरिक एसिड के बढ़ने से शरीर की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है, जिससे तीव्र दर्द महसूस होता है। यह दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, खासकर टखने, कमर, गर्दन, घुटने और पांव के अंगूठे के आसपास।’
यूरिक एसिड बढ़ने के मुख्य कारण :
यूरिक एसिड क्यों बढ़ जाता है? यह जान लेना जरूरी है, ताकि आप उन चीजों से दूर रहें, जिनसे यूरिक एसिड बढ़ता है।
खानपान में बदलाव यूरिक एसिड बढ़ने का मुख्य कारण है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपके शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना तय है क्योंकि डायबिटीज की दवाओं से भी यूरिक एसिड बढ़ता है।
रेड मीट, सी फूड, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, मटर, पनीर, भिंडी, अरबी और चावल के अधिक प्रयोग से यूरिक एसिड बढ़ता है। भोजन के रूप में लिया जाने वाला प्यूरिन प्रोटीन भी यूरिक एसिड के लेवल को बढ़ाता है।
जो लोग व्रत में उपवास रखते हैं उनमें भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है। जबरदस्ती एक्सरसाइज के चक्कर में पड़ने से भी यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है।
इसके अलावा ब्लड प्रेशर की दवाएं, पेन किलर्स और कैंसर रोधी दवाएं खाने से भी यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है।
यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण :
शुरुआत में यूरिक एसिड के बढ़ने का पता नहीं लग पाता है। ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि यूरिक एसिड के बढ़ने को कैसे पहचान क्या है? कुछ लक्षण हैं जिन्हें देख कर आप पहचान सकते हैं कि आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है।
लक्जोष ड़ों में दर्द होना, उठने बैठने में परेशानी होना, उंगलियों में सूजन आ जाना, जोड़ों में गांठ की शिकायत होना। इसके अलावा पैरों और हाथों की उंगलियों में चुभने वाला दर्द होता है, जो कई बार असहनीय हो जाता है। यूरिक एसिड बढ़ने से थकान भी जल्दी लगती है।
कुछ घरेलू उपाय :
यूरिक एसिड के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से परामर्श लें और अपना ब्लड टेस्ट करवाएं। दवाएं लेने से यूरिक एसिड की अतिरिक्त मात्रा पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाती है। लेकिन भविष्य में यह फिर न बढ़े इसके लिए कुछ नियमित घरेलू उपाय भी अपनाएं :-
रोज सुबह दो से तीन अखरोट खाएं। ऐसा करने से बढ़ा हुआ यूरिक एसिड धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
हाई फायबर फूड जैसे ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राइस खाने से यूरिक एसिड की ज्यादातर मात्रा एब्जौर्ब हो जाती है और उसका लेवल खून में ठीक बना रहता है।
अजवाइन का सेवन रोजाना करें। इससे भी यूरिक एसिड की मात्रा कम होगी।
विटामिन-सी से भरपूर चीजें ज्यादा से ज्यादा खाएं क्योंकि विटामिन-सी यूरिक एसिड को मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है।
सलाद में रोजाना आधा या एक नींबू निचोड़ कर खाएं। इसके अलावा दिन में कम से कम एक नींबू-पानी जरूर पियें।
राजमा, छोले, अरबी, चावल, मैदा, रेड मीट जैसी चीजें ज्यादा न खाएं।
रोजाना एक सेब जरूर खाएं। सेब में मौजूद मैलिक एसिड यूरिक एसिड को न्यूट्रिलाइज कर देता है, जिससे ब्लड में इसका लेवल कम हो जाता है।
रोजाना खाना खाने के बाद एक चम्मच अलसी के बीज चबाएं, इससे यूरिक एसिड की मात्रा कम होगी।
यूरिक एसिड बढ़ जाने पर अगर गठिया की परेशानी हो गयी हो और तेज दर्द रहे तो घबराएं नहीं।
बथुए के पत्तों का जूस निकाल कर रोज सुबह खाली पेट पियें, उससे दो घंटे बाद तक कुछ न खाएं। रोजाना ऐसा करने पर कुछ वक्त बाद यूरिक एसिड की मात्रा कम हो जाएगी और गठिया के दर्द में आराम आ जाएगा।
अंजली देवी
अंजली देवी उम्र 38 वर्ष सेक्टर 9 क्वार्टर नंबर 1637 बोकारो की रहने वाली हैं, वे बताती हैं ‘मुझे बहुत ही पुराना दर्द था। साथ साथ थायराइड भी बहुत दिनों से है। जब मैं उठती थी तो थोड़ा भी चल नहीं पाती थी। किसी तरह घसीटते घसीटते चलती थी। कुछ देर चलने के बाद कुछ आराम महसूस होता था। मैंने जांंच करवाया तो पाया कि यूरिक एसिड अपने लेबल से बहुत ही ज्यादा बढ़ा हुआ है 8.9 है।
डा. परमानंद ने उचित खान पान की सलाह दी। मैंने भी इनकी सलाह को माना । अब मैं पूर्णतः ठीक हूं, सुबह सुबह टहलती भी हूं, सब काम करती हूं, अब तो देर तक खड़ा होने पर भी दर्द महसूस नहीं होता।
रानी सिंह
168 को—ओपरेटिव कालोनी, बोकारो की रानी सिंह बताती हैं ‘मुझे लेफ्ट पैर में असहाय दर्द था, जो कुछ देर खड़ा होने पर ही होने लगता था। एड़ी में भी दर्द था, बहुत सारी दवा का सेवन किया, जिससे तनिक ही लाभ हो पाता था। जब मैंने डा. परमानंद दवा के साथ—साथ खान पान में बदलाव किया तो मात्र 2 माह में ही बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ । टेस्ट में भी सब नॉर्मल हो गया है।