विविधता में एकता को प्रमाणित करने वाला सिद्ध हुआ “एक भारत श्रेष्ठ भारत” आयोजनः प्रणय कृष्ण

0
217

प्रयागराजः भारत सरकार के “एक भारत श्रेष्ठ भारत” ध्येय को ध्यान में रखते हुए उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों के पारस्परिक संवाद को स्थापित करने हेतु केन्द्रीय हिंदी निदेशालय,नई दिल्ली और हिंदी विभाग इलाहाबद विश्विद्यालय प्रयागराज के सयुंक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय प्राध्यापक व्याख्यान माला-2023 का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में रा. म. महाविद्यालय तिरुवनंतपुरम् केरल से प्रो. सी. जे. प्रसन्नकुमारी ने 30 अक्टूबर को ‘केरल के लोकगीत’, 31 अक्टूबर को ‘केरल की लोक-कलाएं’ और 1नवम्बर को ‘सांस्कृतिक समन्वय और मलयालम कविता’ पर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने केरल के लोकगीतों को गाकर भी सुनाया। लोक-कलाओं और केरल के समाज के अंतर्संबंधों के विषय में श्रोताओं की जिज्ञासाओं का उत्तर भी दिया। प्रथम दिवस की अध्यक्षता कर रहे विभागाध्यक्ष प्रो. प्रणय कृष्ण ने इस आयोजन की सार्थकता पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह आयोजन भारत की विविधता में एकता को प्रमाणित करने वाला सिद्ध हुआ है | द्वितीय दिवस की अध्यक्षता कर रहे प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने केरल की लोक-कलयों की प्रसंशा की और ऐसे आयोजनों के विस्तार की बात कही | आयोजन के तृतीय दिवस में डॉ आशा नायर ने मलयालम के कवियों की कविताओं का पाठ किया जिसमें अभिव्यक्त जीवन की जटिलताओं और उसके मर्म को बहुत स्पष्ट के साथ उद्घाटित किया, उन्होंने बताया कि मलयालम में लिखी कविताएं प्रगितिशीलता के तत्वों से भरी पड़ी हैं| मुख्य अतिथि प्रो. सी. जे. प्रसन्नकुमारी ने बताया कि मलयालम की कविताएं भाव के स्तर पर सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ और पन्त की कविताओं से साम्यता रखती है | तृतीय दिवस की अध्यक्षता करते हुए प्रो. चंदा देवी ने कहा इस आयोजन से शोधार्थियों को तुलनात्मक अध्ययन करने की दृष्टि प्राप्त होगी। आयोजन के संयोजक डॉ. बृजेश कुमार पाण्डेय ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए कहा केरल की लोक-कलाएं और लोकगीत मोती की माला के धागे के सामान सम्पूर्ण भारत वर्ष की संवेदना को अपने में लय किये हुए हैं| सम्पूर्ण आयोजन में हिंदी विभाग के आचार्य प्रो.लालसा यादव, डॉ सूर्यनारायण सिंह, प्रो. शिव प्रसाद शुक्ला, प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह, डॉ अमरेंद्र त्रिपाठी, डॉ.जनार्दन, डॉ.बसंत त्रिपाठी, डॉ.अमृता, डॉ.विनम्र सेन सिंह, डॉ.सुजीत सिंह, डॉ.वीरेंद्र मीणा डॉ चितरंजन कुमार आदि अध्यापक गण तथा दिल्ली विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के साथ और स्नातकोत्तर के छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here