महाशक्ति, आदिशक्ति की उपासना हमारी हजारों साल पुरानी चेतना और आस्था का मूल तत्व है हम सदा से ही शक्ति के विभिन्न स्वरूपों को जानते और पहचानते आये हैं
जगत मिथ्या है इस सत्य को मानते हुए भी हम ये स्वीकार करते आ रहें हैं कि ब्रह्म को व्यक्त होने के लिए शक्ति का सहारा आवश्यक है
शक्ति ब्रह्म का ही सृष्टि कारी , कल्याणकारी प्रकट रुप है शक्ति के बिना शिव शव के समान हैं
देव्यभर्वशीष में मां भगवती के प्राकट्य के बारे में कहा गया है कि देवताओं के पूछने पर कि हे मां आप कौन हैं महादेवी ने कहा मै ब्रह्मस्वरूपा हूं यह सारा जगत मुझसे है सत असत संसार काजन्म मुझसे ही हुआ है मै ही आनंद हूं,जानने योग्य ब्रह्म और अब्रह्मम भी मै ही हूं मै ही जगत हूं,अजा अनजा, विद्या अविद्या वेद अवेद मै सबमें व्याप्त हूं
मेरे मुख्यत:नौ रूप है
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी
तृतीयं चन्द्रघंटेति, कुष्मांडं चतुर्थकम
पंचमं स्कंध मातेति,षष्ठं कात्यायनीति च
सप्तमं कालरात्रिति,महागौरीति चाष्टममं
नवममं सिद्धिदात्री च, नवदुर्गा प्रकीर्तिता
उक्तान्येतानि नामानि,ब्रह्मणैव महात्मना :!!
आदिशक्ति मां हर रुप में हमारी हर त्रुटि को अबोध बालक जानकर क्षमा करती है
इतिहास साक्षी है हमारा देश अनन्त काल से नारी स्वरुप को पूजता आया है, जब-तक यहां नारियों की पूजा हुई उनका सम्मान हुआ देश सर्वशक्तिमान बनकर आगे बढ़ा, यहां तक की भारत को मां का ही दर्जा मिला जो कही भी कभी भी संभव नही हो सका
और देश को बन्दे मातरम से नवाजा गया
किंतु कितने शर्म की बात है कि भारत में पूजी जाने वाली नारियां अब पैरों तले कुचली जा रही है, हर गली हर मोहल्ले हर चौराहे इनकी आबरू नीलाम हो रही है कोई कृष्ण अब इन्हें नही बचाता
ये जिन्दा जला दी जाती है तो कभी गर्भ में ही मार दी जाती है इनका अपमान सरे राह होता है हम मूक बनें तमाशा देखते रहते है
ऐसे देश में देवता तो क्या इंसान भी नहीं रह गये है
हम चाहे जितनी पूजा और आराधना कर लें हम चाहे जितनी उपासना कर लें जब-तक जीवंत नारियों , समाज की बहू बेटियों का सम्मान नहीं करेंगे हमारी उपासना आराधना सफल नहीं हो सकती
तो आइये इस नौरात्रि हम ये संकल्प ले की हर बहू और बेटी को सम्मान देंगे उनकी आबरू की रक्षा करते हुए देश को आगे बढायेगें और सशक्त बनायेंगे !!
____शालू शुक्ला
लखनऊ, उत्तर प्रदेश