“द ग्रेट इंडियन किचेन”
2021 में मलयाली भाषा में बना है लेकिन अंग्रेजी सबटाइटल में उपलब्ध है। निर्देशक- जो बेबी।
दुनियाभर में खास कर भारत में घर और रसोई महिलाओं के लिये कैदखाना से कम नहीं है, यह उन्हें ज्यादा महसूस होता है जो इन्हें लाँघ कर कुछ करना चाहती है या उनके अंदर स्वयं का बोध हो। दरअसल, समाज में उन्हीं घिसीपिटी रुढियों और मान्यताओं का पालन पोषण होता है जिससे लोगो का चौतरफा विकास बाधित होता है। औरतों को घर के चारदीवारी के भीतर कैद रखने के लिये अनेक तरह मिथ्या प्रचारित किया जाता है। कहानियों, मान्यताओं और धर्मग्रंथों में स्त्री पात्रों को त्याग, समर्पण, सहनशीलता जैसे गुणों का धारणी के रूप में प्रस्तुत कर उन्हें घर के काम, बच्चों को पालना, घर संभालने के लिए खास महसूस कराया जाता है। देवी, सतीत्व, जैसे शब्दों की चाशनी में डुबोकर स्त्रियों के व्यक्तिगत विकास को रोकने, उनके उभरते स्वतंत्र व्यक्तित्व को बांधने की कड़वी साजिश को उनके समक्ष परोसा जाता रहा है। इतना ही नहीं इस स्थिति को बनाए रखने के लिए सैकड़ों वर्षो से अलग-अलग उद्यापन किए गए हैं; उनमें से कुछ ऐसी कहावत को गढ़ना है जिनके अनुसार “पुरुष के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है” ऐसी ही एक दूसरी कहावत है कि “सुखी स्त्री वही है जो मीठी बातें और स्वादिष्ट खाना बनाना बखूबी जानती हो” यह सारे उद्योग स्त्री को रसोई तक सीमित रखने के लिए किए गए हैं। इन रुढियों और मानकों को संरक्षण देने और प्रचारित करनेवाला पुरूष अपनी सहूलियत के हिसाब से उन्हें गढ़ता है और उन्हें महिलाओं पर थोप देता है, महिलाओं को उन्हें ढोने पर मजबूर करने के लिए कई स्वांग रचता है। पुरुष और स्त्री के श्रम विभाजन को सही ठहराने के लिए कई धार्मिक ग्रंथ रचे गए और उन्हें दैविय ग्रंथ घोषित किया गया। इन्हीं ग्रंथों पर आधारित रीति रिवाजों को मानने के लिये इसे गौरवान्वित किया जाता है, और जो इन्हें मानने से इनकार करते है उनको दंडित करने के लिए विधर्मी, कुल्टा, पिचाशीन आदि लेबल लगाकर उन्हें अपमानित व बहिष्कृत किया जाता है। इससे काम नहीं बनता है तो हिंसा का सहारा भी लेते है। ये कौन पुरूष है जो ये ताने बाने बुनते है? ये कोई समाज में साधारण व शक्तिहीन पुरुष नहीं होते है, बल्कि वे ताकतवर, विशेषाधिकृत, संसधानों के कब्जेदार, ऊंचा हैसियत रखने वाले, धार्मिक पंडा- पुजारी व शाषक वर्ग होता है। ये वही तय करते है और आम लोगों (स्त्री व पुरुष दोनों) के दिमाग में आरोपित करते है। इन सारी गूथियों को बेहद ही सरल ढंग से इस फ़िल्म में फिल्माया गया है। यह एक मलयाली फ़िल्म है जिसे ‘जो बेबी’ ने बनाया है।
भारतीय रसोई और घर का जो ताना बाना होता है, वह उनके लिए ‘नरक’ से कम नहीं होता है। अमिता शीरीं लिखती है कि “भारतीय रसोई में ऐसा लगता है कोई छिलनी से कलेजे को छील रहा है। एक आम औरत को भारतीय किचेन में हर रोज़ अपमानित होना पड़ता है”।भोजन मानव जीवन की आधारभूत आवश्यकता है, उसे त्यागना संभव नहीं है। इस प्रकार रसोई हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, रसोई का होना समस्या नहीं है असल में रसोई के कामों में पुरुष की भागीदारी न होना और सिर्फ स्त्री के मत्थे मढ़ना समस्या हैं, स्त्री को रसोई तक सीमित कर देना समस्या है।
फ़िल्म के पहले दृश्य में नायिका भविष्य से अनभिज्ञ, चेहरे पर सुबह की लालिमा जैसी मुस्कान लिए नृत्य का अभ्यास कर रही होती है। वहीं दूसरी तरफ उसी लय में किचेन में कुछ छन छन पक रहा होता है। दरअसल वह हर वक्त औरतों का गुस्सा और अपमान भरा जीवन छन रहा होता है। नृत्य करती नायिका एक रोज़ ब्याह कर एक संभ्रांत परिवार की बहू बन जाती है। यहां वह अपनी सास को किचेन में खटते हुए देखती है। उसे भी वैसा ही बनना है। सुबह उठते ही फर्श सफाई करना, कमरा साफ करना, किचेन साफ करना, दीवाल से सटे तस्वीरें व अलमारी साफ करना, बर्तन धोना, अपने पति को ब्रश में पेस्ट लगाकर देना,नहाने के पानी को गर्म करके देना, खाना बनाने के लिए तरह तरह के सब्जियां काटना, फिर चाय पिलाना, खाने में तरह तरह के पकवान खिलाना, उनको खिलाने व बचा हुआ खुद खाने के बाद, फिर से खाया हुआ व बनाने वाला गांजभर बर्तन धोना, फिर किचेन साफ करना, टिफ़िन पैक करके देना, उनका कपड़ा निकालकर देना, मर्दों को बाहर जाने से पहले उनका चप्पल निकालकर देना। दुबारा रात के खाने की तैयारी और खाने के बाद, वही काम फिर से दोहराना होता है। हर छोटा से छोटा काम जैसे टेबल से उठाकर पानी देना, पंखा चालू- बंद करने के लिए पुरुष औरतों को पुकारते हैं। यहां तक अपना नहाया हुआ कपड़ा तक नहीं छूते है और उनका चड्ढी बनियान तक औरतों को धोने के लिए छोड़ देते है। कुल मिलाकर परिवार के पुरुषों के छोटे से छोटे और निजी से निजी कार्य के लिए सर्वथा प्रस्तुत रहना और अपने जीवन के प्रत्येक निर्णय के लिए उनके सहमति के आखिरी मुहर पर आश्रित रहना स्त्रियों के लिए अनिवार्यता बन जाता है। वास्तव में भारतीय रसोई और उसमे खटती औरत पितृसत्ता की चटोरी क्षुधा को कभी संतुष्ट नहीं कर पाती है। कभी नमक मिर्च कम या ज़्यादा होने पर थाली खिसका दी जाती है या कभी फेंक दी जाती है, कभी कभी तो औरतों के मुंह पर। अलग अलग घर के अलग कायदे कानून के नाम पर घर में पुरुष सामन्त की तरह अनेकानेक काम थमाते रहते है। पुरुष का जी तब तक नहीं भरता जबतक वे संतुष्ट ना हो या पूरा खून निचोड़ ना ले। उन्हें मिक्सी के बजाय हाथ से पीसी हुई चटनी चाहिए, कुकर और गैस के जगह तसला और चूल्हा पर पका चावल चाहिए, वाशिंग मशीन की जगह हाथ से धुला कपड़ा चाहिए आदि। पति, ससुर, पिता, भाई, बेटे की जीभ के स्वाद को पूरा करने में औरत अपना सारा जीवन खपा देती है। खास तौर से मध्य वर्गीय औरतें दिन रात किचेन व घर में खटती ही रहती हैं। औरतों के संदर्भ में जो चीज़ सबसे ज़्यादा परेशान करती है वह औरतों का अनथक श्रम तो है ही, लेकिन उससे भी ज़्यादा बेकल करता है उससे जुड़ा दृश्य अदृश्य अपमान। एकबार नायिका मजाकिया लहजे में अपने पति को कह देती है कि तुम रेस्टोरेंट में तो बहुत टेबल मैनर दिखाते हो, घर में तो जैसे तैसे ही खाते हो और जूठा भी इधर उधर गिराते हो। तभी उसका पति भड़क जाता है। और जबाव देता है कि घर उसका है, वो जैसे चाहे वैसे रहेगा। इससे तो यहीं समझ में आता है कि वे घर का मालिक हैं और औरतें उनकी दासी। यहाँ पर फ्रेडरिक एंगेल्स का अपने पुस्तक ‘परिवार, निजी संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति’ का कथन प्रासंगिक लगता है, “सामाजिक उत्पादन से अलग और घरेलू कामकाज की निजी दुनिया में धकेल दी गई स्त्री अपने पति की नौकरानी बनकर रह जाती है । परिवार के भीतर संपत्ति का मालिक होने के चलते पुरुष बुर्जुआ होता है और पत्नी सर्वहारा होती है”।
फ़िल्म का शुरुआत गाने की एक पंक्ति, ‘करीब आओ मैं आपको रहस्यों का एक गुच्छा बताऊंगी’ से होता है। उक्त बातों और फ़िल्म देखने के बाद स्पष्ट हो जाता है कि किस रहस्य के बारे में जिक्र है। हमलोगों का पालन पोषण इस तरह से होता है कि घर में महिलाओं की जिल्लत भरा जीवन समान्य लगता है या हम उन्हें तुच्छ या उनका कर्तव्य मानकर उसे नजरअंदाज करते है। पर जब उनके जीवन के करीब जाकर या उनकी मानसिक स्थिति की सतह पर जाकर देखते है तो यह उनके जीवन की सबसे बड़ी समस्या होती है। उसे निजात पाना तो दूर वें अपना पूरा जीवन चूल्हे में जलावन की तरह झोक देतीं हैं।
फिल्म में नायिका को इतनी देर तक और इतने तरह का काम करते दिखाया है कि शरीर थकने लगता है। फिर भी काम से अगर पुरूष संतुष नहीं होता है तो तरह तरह से तानों की बौछार शुरू हो जाती है। कभी प्यार से तो कभी दुत्कार कर। औरतें कभी इसकी आदी हो जाती हैं तो कभी एक दिन सब्र का बांध टूट भी जाता है।
दिन भर खटने के बाद रात में बिस्तर में परफॉर्म करना होता है। पति के चेहरे का भूगोल पढ़ना पड़ता है, कहीं वह किसी बात पर नाराज़ तो नहीं? हर बार उसे ही सॉरी बोलना पड़ता है! मनाने की पहल करनी पड़ती है। एकबार नायिका अपने पति से कहती है कि सीधे संभोग से उसे सिर्फ दर्द होता है, इसलिए पहले फॉरप्ले करना चाहिए। तब पति उसे ऐसे घूरता है जैसे वह चरित्रहीन है और कहता है तुम्हें सब पता है इस बारे में? आगे कहता है कि फोरप्ले के लिए मुझे तुमसे कुछ महसूस भी होना चाहिए। एंगेल्स का कथन “मजदूर से पत्नी का अंतर यह होता है कि मजदूर अपने शरीर को टुकड़ा टुकड़ा रोज बेचते हैं जबकि पत्नी उसे एक ही बार जिंदगी भर के लिए सौंप देती है” सही जान पड़ता है। स्त्री घरेलू दासी होने के साथ साथ पुरुष की यौन दासी भी बन जाती है। पुरुष को जब मन हुआ जैसे मन हुआ एक वस्तु की तरह उसकी मर्जी के खिलाफ उसका और उसके शरीर का इस्तेमाल करता है।
दिन पर दिन उबाऊ काम किचेन को असुंदर बनाते जाते हैं और वह खीजने लगती है ; उसके चेहरे का सारा नूर निचुड़ने लगता है। साथ ही उसे हर महीने पीरियड के वक्त अपमानित होना पड़ता। पीरियड जैसे जैविक क्रिया को कलंक की तरह लिया जाता है। इस समय वह कुछ छू नहीं सकती, किसी का उसपर नजर ना पड़े, तीन चार दिन अलग कमरे में रहना पड़ता है। उस दौरान नायिका का पति जब स्कूटी से गिर जाता है तो वह चिंतित होकर उठाने की कोशिश करती है तभी वह झटककर धकेल देता है और उसे खरी खोटी सुनाता है कि उसने अपने स्पर्श से उसे अशुद्ध कर दिया। घर में अछूत सा बर्ताव होता है। उसका दम घुटने लगता है।
इसी सब में सबरीमाला का मुद्दा बहुत ही अच्छी तरह से फिल्माया है। जब एक महिला सबरीमाला वाले मुद्दे पर अपना विचार फेसबुक पर डालती है तो उसे कमेंट में भद्दी भद्दी गालियाँ व धमकी मिलता है। यहाँ तक कि उसके घर जाकर संस्कृति के ठेकेदार तोड़ फोड़ करते है और कहते तुमने अभी असली मर्द नहीं देखा है, बाहर निकल दिखातें है। इसी तरह जब नायिका इस वीडियो को शेयर करती है तो ‘सभ्रांत’ और पुजारी लोग उसके पति और ससुर को इज्जत की दुहाई देते है। पति आग से बबूला होकर उसे सबक सिखाने जाता है, वह उसका प्रतिकार करती है और कहती है ये उसे सही लगता है। यह दिखाता है कि कैसे औरतों का अपना स्वतंत्र सोच व उनके हित को घर और बाहर कुचला जाता है। पुरुष हर संभव माध्यम से उन्हें नियंत्रित करने का प्रयास करता है, जरूरत पड़ने पर हिंसा का भी प्रयोग करता है। यानी औरतें किचेन में इतना सबकुछ झेलने के बाद इस समाज के सामंती पितृसत्तात्मक अंधविश्वासों को भी ढोए। धर्म और पितृसत्ता का घिनौना गठजोड़ औरतों को और भी ज़्यादा दमित करता हैं।
हद तो तब हो जाती है जब उसका पति और ससुर दोनों उसे डांस टीचर के लिए अप्लाई करने से मना कर देते हैं। ससुर उसे समझता स्त्रियों के घर संभालने से घर बना रहता है और बच्चे अच्छे मुकाम हासिल करते हैं। पहले तो पति टाल-मटोल करता था फिर उसे धमकाता है कि अगर वह घर में रहना चाहती है तो घर के कायदे कानून मानने पड़ेंगे। कायदे कानून क्या होंगे? जो घर के पुरूष तय करे वही।
अपमान इस क़दर बढ़ जाता है कि नायिका विद्रोह कर देती है। वो प्रतिकार कर घर छोड़कर मायके चली आती है। जहां नायिका की मां उसे समझाती है और उसे वापस लौटकर माफी मांगने के लिए नैतिक दबाव डालती है। पर वह अडिग होकर डांस टीचर का जॉब जॉइन कर लेती है। और लड़का दूसरा शादी कर फिर दूसरी महिला के साथ वही चीजें दोहराता है। यहाँ पितृसत्ता यथास्थिति बनाये रहता है।
इस फ़िल्म में किचेन के माध्यम से बहुत बारीकी से औरतों की घुटन को चित्रित किया है। और औरतों की दुखती रग पर हाथ रखा है। यह कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि कमोबेश हर घर की हकिकत है। निश्चित रूप से औरतों को इस बोझल किचेन और उससे जुड़े रोज़ रोज़ के अपमान से मुक्ति मिलनी ही चाहिए।
यह फिल्म ढूंढ़ कर ज़रूर देखें ….
-श्वेता राजेन्द्र और विश्वनाथ कुमार
Greetings! Very helpful advice on this article! It is the little changes that make the biggest changes. Thanks a lot for sharing!
When I originally commented I clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and now each time a comment is added I get four emails with the same comment. Is there any way you can remove me from that service? Thanks!
Kamagra Effect On Females
Wow that was strange. I just wrote an incredibly long comment but after I clicked submit my comment didn’t show up. Grrrr… well I’m not writing all that over again. Anyways, just wanted to say fantastic blog!
There is noticeably a bundle to know about this. I assume you made certain nice points in features also.
Spot on with this write-up, I really suppose this web site needs rather more consideration. I’ll probably be again to learn rather more, thanks for that info.
When I initially commented I seem to have clicked
the -Notify me when new comments are added- checkbox
and from now on whenever
a comment is added I receive four emails with the
exact same comment.
Perhaps there is an easy method you are able to remove me from
that service? Thanks!
terrific and amazing blog site. I really want to thank you, for
providing us better details.
sex games coed https://cybersexgames.net/
I like the helpful info you provide on your articles.
I’ll bookmark your blog and check once more here regularly.
I am moderately sure I will learn many new stuff proper right here!
Best of luck for the following!
you have a great blog here! would you like to make some invite posts on my blog?
I have been examinating out many of your posts and it’s pretty clever stuff. I will definitely bookmark your site.
We’re a group of volunteers and opening a new scheme in our community.
Your website offered us with valuable information to
work on. You’ve done a formidable job and our whole community
will be grateful to you.
I do consider all the ideas you have offered to your post.
They are really convincing and can certainly work.
Still, the posts are too brief for starters. May just you please lengthen them a little from next time?
Thank you for the post.
Hello there I am so thrilled I found your weblog, I really found you
by mistake, while I was browsing on Yahoo for something else, Regardless I am here now and would just like to say kudos for a marvelous post and a all round enjoyable blog (I also
love the theme/design), I don’t have time to go through it all at the minute but I have bookmarked it and also
included your RSS feeds, so when I have time I will be back to read a lot more, Please do
keep up the superb jo.
I’d like to find out more? I’d want to find out some
additional information.
This info is invaluable. How can I find out more?
Thank you, I’ve just been looking for information about this subject
for a while and yours is the greatest I have discovered so far.
But, what about the bottom line? Are you positive in regards to the supply?
I do not even understand how I ended up right here, but I believed
this put up was once good. I don’t recognise who
you are but certainly you’re going to a well-known blogger for those who are not already.
Cheers!
Thanks for the good writeup. It in reality was once a enjoyment account
it. Glance complex to more delivered agreeable from you!
By the way, how can we communicate?
I am truly glad to glance at this website posts which carries
lots of useful data, thanks for providing these kinds of data.
We’re a group of volunteers and starting a new scheme in our community.
Your website offered us with valuable information to work on. You’ve done an impressive job and our whole community
will be thankful to you.
Aw, this was a really good post. Spending some time and actual effort
to create a great article… but what can I say… I put things off a whole lot and
don’t seem to get nearly anything done.
We’re a group of volunteers and opening a new scheme in our community.
Your site provided us with valuable info to work on. You’ve done a formidable job and our entire community will be thankful to you.
707097 778328Yay google is my king helped me to locate this great web web site ! . 368916
284054 95350Sweet web site , super layout, real clean and utilize pleasant. 408143
I’m not sure exactly why but this website is loading very slow for me.
Is anyone else having this problem or is it a problem
on my end? I’ll check back later on and see if
the problem still exists.
My brother suggested I might like this web site. He was entirely right.
This post actually made my day. You cann’t imagine just how much time I
had spent for this information! Thanks!
Simply wish to say your article is as astounding.
The clearness in your publish is just cool and i can think you are an expert on this subject.
Fine with your permission allow me to grab your
RSS feed to stay updated with imminent post. Thanks a million and
please continue the gratifying work.
Howdy! Someone in my Myspace group shared this website with us so I came to check it out.
I’m definitely loving the information. I’m book-marking and will be tweeting this to my followers!
Exceptional blog and outstanding design and style.
You could certainly see your expertise in the article you write.
The arena hopes for even more passionate writers
like you who aren’t afraid to mention how they believe. Always go after your heart.
A motivating discussion is definitely worth comment.
I think that you should write more about this topic, it may not
be a taboo matter but generally people do not talk about such topics.
To the next! Cheers!!
My relatives all the time say that I am killing my time here at web, but I know I am getting know-how all
the time by reading thes nice content.
http://stromectolusdt.com/ stromectol 3 mg tablet
102401 670094Outstanding post, I conceive weblog owners really should acquire a good deal from this weblog its extremely user pleasant. 980821
Definitely believe that which you stated. Your favorite justification seemed to be on the net the simplest thing to be aware of. I say to you, I certainly get annoyed while people consider worries that they plainly do not know about. You managed to hit the nail upon the top as well as defined out the whole thing without having side effect , people can take a signal. Will likely be back to get more. Thanks