वाराणसीः आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित धनवन्तरि पूजन, शिष्योपनयन संस्कार एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस समारोह आयुर्वेद संकाय के धन्वंतरी भवन में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, सारस्वत अतिथि के रूप में विराजमान प्रो. दोरजी दामदुल, संकाय प्रमुख, सोवा रिग्पा, केन्द्रीय तिब्बती संस्थान, सारनाथ, वाराणसी, निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान प्रो. एस. एन. शंखवार, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी, संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय, उपस्थित थे।
आज के इस कार्यक्रम में धनत्रेरस के दिन देव धन्वंतरि की पूजा आयुर्वेदिक विभिन्न औषधियों, पुष्पों, फलों से संसार के आरोग्यता की कामना करते हुए आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी जी के द्वारा की गई।
शिष्योपनयन संस्कार में आयुर्वेद संहिता, सिद्धांत दर्शन, द्रव्यगुण विभाग तथा अन्य समस्त विभागों द्वारा समस्त छात्रों बी.ए.एम.एस., एम.डी, जूनियर, सीनियर रेजिडेंट को तिलक लगाकर मेडल पहनाकर शिष्योपनयन संस्कार प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी, संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय, द्वारा संपन्न कराया गया। आयुर्वेद के अध्ययन हेतु शपथ भी दिलवायी गई जो संस्कृत में थी। भो शिष्यः एषः आदेशः, एषः उपदेशः …।
मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ने कहा कि प्राचीन पद्धति को नए कलेवर में मानवता की सेवा के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा में मानवता के विकास से ज्ञान में वृद्धि होती है। ज्ञान संचित रहे और इसका प्रसार होना चाहिए । भविष्य ज्ञान का है। ज्ञान से हम विश्व के सिरमौर बन सकते हैं।
सारस्वत अतिथि के रूप में विराजमान प्रो. दोरजी दामदुल, संकाय प्रमुख, सोवा रिग्पा, केन्द्रीय तिब्बती संस्थान, सारनाथ, वाराणसी ने कहा सोवा रिग्पा चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के साथ-साथ आगे बढ़ने वाली चिकित्सा प्रणाली है। अष्टांग हृदयम् का अनुवाद तिब्बती भाषा में हुआ है। आयुर्वेद के महत्वपूर्ण ग्रन्थ तिब्बती भाषा में सुरक्षित है। अतः उनका हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत में अनुवाद किया जाना बहुत ही आवश्यक है।
निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान, प्रो. एस. एन. शंखवार ने कहा कि ऋषियों के पास ज्ञान की असीमित उपलब्धि थी। उपलब्ध विज्ञान के संरक्षण की आवश्यकता है। गुरु शिष्य परंपरा के द्वारा विद्या का संरक्षण करना चाहिए। विद्या का प्रचार होना चाहिए।
प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी ने कहा कि ‘हर दिन हर घर आयुर्वेद’ गुरु शिष्य परंपरा, संस्कार के महत्त्व पर विस्तार से चर्चा की तथा छात्र एवं छात्राओं को जीवन में आगे बढने हेतु प्रेरित किया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रेम शंकर उपाध्याय जी ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. सीएस पाण्डेय द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर सी एस पाण्डे, डाक्टर प्रेम उपाध्याय, प्रो. बी राम, प्रो. बीएम सिंह, प्रो. शिवजी गुप्ता, डॉक्टर सुदामा सिंह प्रो. मुरलीधर, प्रो. के.के. पांण्डेय, डॉ. देवानन्द, डॉ. प्रीति, जूनियर, रेजिडेंट सीनियर रेजिडेंट बीएमसी प्रथम द्वितीय तृतीय वर्ष के सभी छात्र-छात्राएं, कर्मचारी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी,
संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय,
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी