“स्टेन स्वामी को रिहा करो” के नारों के साथ एक दिवसीय अनशन

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विशद कुमार
  जब से फादर स्टेन स्वामी को एन आई ए की टीम उनके आवास से उन्हें गिरफ्तार करके ले गई है, झाररवंड सहित देश तमाम बुद्धिजीवी तबका, मानवाधिकार के पक्षधर, जनवाद पसंद एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं में केन्द्र की मोदी सरकार की ऐसी फासीवादी नीतियों के खिलाफ विरोध के स्वर फूट रहे हैं। झारखंड में रोज व रोज स्वामी स्टेन को रिहा करने की मांग तेज होती जा रही है।
आज 12 अक्टूबर को रांची के कोकर में स्थित बिरसा मुंडा की समाधि पर राज्य के बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ताओं, सांस्कृतिक व राजनीतिक संगठनों द्वारा स्टेन स्वामी को रिहा करने की मांग को लेकर आज प्रातः दस बजे से शाम चार बजे तक अनशन किया गया।
अवसर पर अनशनकारियों ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी बिरसा मुण्डा के विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। जल जंगल जमीन पर हमला बढ़ता जा रहा है और राज्य की स्वत्तायता के विरूद्ध केंद्र सरकार काम कर रही है। जिसके खिलाफ यह कार्यक्रम है।
अतः हम मांग करते हैं कि -:
*  राज्य की स्वत्तायता को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार केन्द्र सरकार को पत्र लिखे और स्टेन स्वामी को रिहा कराने के लिए त्वरित कार्रवाई करे।
* भीमा कोरेगांव के केस मे फर्जी तरीके से फंसाये गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- वकीलों पर से मुकदमा वापस हो।
* यूएपीए रद्द करो, एनआईए एव सुरक्षा कानूनों का दुरुपयोग करना बंद करो।
* एनआईए के बारे में झारखंड सरकार सुस्पष्ट स्टैंड ले जैसा पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ व केरल ने लिया है।
अनशनकरियों में आलोका कुजूर, भुनेश्वर केवट, कुमार विनोद, नदीम खान, सिराज दत्ता, इबरार अहमद, फ़ादर महेंद्र पीटर तिग्गा, रतन तिर्की, प्रभाकर तिर्की, दामोदर तुरी, एस. अली,अजीता, प्रभा लकड़ा, आईती तिर्की, शांति सेन, खुसनी सेन, नंदिता भट्टाचार्या, स्वाति नारायण, सुशांतो मुखर्जी, प्रवीर पीटर, पीटर मार्टिन, उमेश नजीर, श्याम, सूरज श्रीवास्तव, मिहुल, सोहैल, रिसित, अंटोनी पीएम, बुद्धन सिंह, सिंकू, नौरीन, आदि शामिल थे।
जिन संगठनों ने कार्यक़म को सफल बनाने में भूमिका निभाई उसमें शामिल थे सीपीआई एमएल, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, ओमेन महिला संगठन, ईप्टा, आईसा, एपीआईडब्लूए, एआईसीसीटीयू, एआईपीएफ़, सांझा मंच, झाररवंड छात्र संघ, कांग्रेस, एआईटीयूसी, राईट फॉर फूड कैंपेन, झाररवंड जनाधिकार महासभा, झलक, संगम, सामाजिक सांस्कृतिक संस्था, इंड़ीजेनस विमेन इंडिया नेटवर्क, एनएपीएम आदि।
 अनशन कार्यक्रम के दौरान यह तय किया गया कि यह प्रतिरोध कार्यक्रम लगातार जारी रहेगा।

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