7 नवंबर, बरनाला। रूस के महान अक्टूबर समाजवादी इंकलाब की 104वीं वर्षगाँठ के अवसर पर नवंबर को अदारा ‘प्रतिबद्ध’ द्वारा तर्कशील भवन, बरनाला में ‘मार्क्सवाद और राष्ट्रीय प्रश्न’ विषय पर सेमिनार करवाया गया। सेमिनार में मुख्य वक्ताओं के तौर पर ‘प्रतिबद्ध’ के संपादक सुखविंदर, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के केंद्रीय कमेटी मैंबर रोहित रुहेला, प्रोलेतारियन रिऑर्गनिज़िंग कमेटी, सीपीआई(एमएल) के महासचिव अजय सिन्हा, ‘संघर्षरत मेहनतकश’ पत्रिका के अमित आकाश, ‘देश-विदेश’ पत्रिका की और से पारिजात ने विचार पेश किए। वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय प्रश्न आज के संसार में एक जिंदा सवाल है। भारत में ही यह एक अनसुलझा मसला है। ना सिर्फ कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राष्ट्र राष्ट्रीय उत्पीड़न की चक्की में पिस रहे है, बल्कि मुख्य भूमि भारत में मौजूद राष्ट्र भी राष्ट्रीय उत्पीड़न का शिकार हैं। भारत के कम्युनिस्ट क्रांतिकारी इस मसले के प्रति आँखें नहीं मूँद सकते। इस मसले को समझना बहुत जरूरी है। मार्क्सवाद और सोवियत यूनियन के तजुर्बे के रौशनी में राष्ट्रीय प्रश्न की सही समझ हासिल की जा सकती है। बहुराष्ट्रीय पूँजीवादी भारत में समाजवादी क्रांति राष्ट्रीय दमन का भी खात्मा करेगी। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि कम्युनिस्ट कभी प्रतिक्रियावादी राष्ट्रवाद का समर्थन नहीं करते बल्कि प्रग्तिशील राष्ट्रवाद को ही समर्थन देते हैं।
विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि अक्तूबर क्रांति ने राष्ट्रों की जेल कहे जाने वाले जारशाही रूस की कायापलट करके वहाँ राष्ट्रीय उत्पीड़न का खात्मा किया था। इस लिए अक्तूबर इंकलाब की वर्षगाँठ पर सेमिनार आयोजित किया जाना एक प्रासंगिक अवसर है। उन्होंने कहा कि अदारा ‘प्रतिबद्ध’ यह सेमिनार आयोजित करने के लिए बधाई का पात्र है।
विचार चर्चा के दौरान उपरोक्त वक्ताओं के अलावा नवजोत पटियाला, जगजीत चीमा, मानव, वीर सिंह, नवजोत रायकोट, गुरप्रीत, हरप्रीत, डा. सुखदेव ने भी अपने विचार साझा किए, प्रश्न पूछे।
अध्यक्ष मंडल में अजायब टिवाणा, सुखदेव भूंदड़ी, डा. सुखदेव संतनगर, कामरेड मनधीर सिंह शामिल थे। सेमिनार के अंत में भूतपूर्व छात्र नेता अजायब टिवाणा ने पहूँचे सभी लोगों का धन्यवाद किया।
जारी कर्ता,
तेजिंदर,
प्रबंधक, अदारा प्रतिबद्ध
फोन नं 9815587807