वाराणसी: गुरुवार 25 जून 2020, ट्विटर पर ’सिंगल बट नाट अलोन‘ हैशटैग के साथ अभियान के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी सहित देश भर की एकल महिलाओं की आवाज को सामाने लाया गया और उनकी मांगों को उठाया गया। देश भर में एकल महिलाओं के समूहों और एकल महिलाओं के मुद्दों को लेकर जमीनी तौर पर काम कर रहे समाजाजिक संस्थाओं की भागीदारी के साथ किए गए ट्विटाथन में हैशटैग’ सिंगल बट नॉट अलोन‘ राष्ट्रीय स्तर पर ट्विटर ट्रेंड पर रहा। 24 जून ‘अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस’ के मौके पर एक्शनएड एसोसिएशन के द्वारा डिजिटल कैंपेन चलाया गया, जिसका उद्देश्य एकल महिलाओं से जुड़े मुद्दों और उनकी मांगों को समाज के सामने रखना था।
इस मौके पर एक्शनएड एसोसिएशन की तरफ से केंद्र एवं राज्य की सरकारों और जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों के साथ एकल महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे के लिए सुझाव भी साझा किए गए, जो जमीनी स्तर पर समुदायों में एकल महिलाओं और उनके समूहों के साथ बातचीत के माध्यम से संकलित किया गया है।
कुछ ही वक्त पहले संस्था की तरफ से प्रकाशित किए गए दस्तावेज सिंगल बट नॉट अलोन‘ में भी एकल महिलाओं के मुद्दों और उनकी जरूरतों के समाधान के लिए एक व्यापक नीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
एक्शनएड एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक संदीप चाचरा ने कहा, “इस दस्तावेज में एकल महिलाओं पर समाज द्वारा थोपे जाने वाले कलंक, भेदभाव और हिंसक बर्ताव को खत्म कर एकल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों को बढ़ावा देने वाले एजेंडे की बात की गई है।“उन्होंने आगे कहा, “दस्तावेज में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, सामाजिक सुरक्षा, संपत्ति और संसाधनों तक एकल महिलाओं के अधिकार और इन मूलभूत सेवाओं तक उनकी पहुंच को सुनिश्चित करने के माध्यम से एकल महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्षम होने में मदद मुहैया कराने की जरूरत पर भी बात की गई है।
समाज में एकल महिलाओं का जीवन हमेशा से ही संघर्ष भरा और वंचित रहा है। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं, जहां एकल महिलाओं के मूलभूत मानवाधिकारों का हनन होता आया है। एक्शनएड एसोसिएशन में कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में कार्यरत सुशीला प्रजापति ने कहा, “हमें यह समझने की जरूरत है कि एकल महिलाएं सिर्फ एक श्रेणी में नहीं होती है।
बहुलतावादी समाज में एकल महिलाओं की भी कई श्रेणियां है, जो जरूरत मंद हैं। विधवा, अविवाहिता, पति से अलग रह रही महिला, तलाकशुदा, पति द्वारा छोड़ दी गई महिला, ये सभी एकल महिलाएं हैं। इन अलग अलग श्रेणियों के कारण सभी एकल महिलाओं की समस्याएं और जरूरत भी अलग अलग है, जिनमें समाज का कलंकित नजरिया और भेदभावपूर्ण व्यवहार हर एकल महिला को सहना पड़ता है।
एक्शनएड एसोसिएशन बीते लगभग दो दशकों से देश भर में अलग अलग राज्यों में एकल महिलाओं के साथ काम कर रहा है। इन दो दशकों के दौरान समुदायों में एकल महिलाओं को सामूहिक रूप से जुड़ने और अपने हकों और अधिकारों की मांग करने, उन्हें हासिल करने के काबिल बनने में मदद मुहैया कराई जाती रही है। साथ ही एकल महिला शब्दावली के अर्थ को पुनः परिभाषित करने के माध्यम से सभी एकल महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति के निमार्ण पर जोर दिया जा रहा है।
एकल महिलाओं के अधिकारों के लिए एक्शन एड द्वारा चलाए जा रहे उक्त अभियान में पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सामाजिक संगठनो ने अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के अगले दिन गुरुवार को भी एसिड पीड़ितों का संगठन रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख अजय पटेल, आसरा संस्थान, ग्राम्या संस्थान के सह निदेशक सुरेंद्र यादव, निदेशिका बिंदु सिंह, स्वैच्छिक सेवा प्रदाता शिक्षिका पूजा गुप्ता, प्रिया राय, कस्तूरबा सेवा समिति के सचिव विनोद कुमार पूजा मसीह, मानवाधिकार जन कल्याण समिति के बबलू राम, पुजा कुमारी सहित सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता आदि लोगों ने समर्थन दिया और बड़ी संख्या में सोशल मीडिया ट्वीटर पर ट्विटाथन भी किया।
रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता वाराणसी
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