- विशद कुमार
किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में 18 फरवरी को 13वें व 19 फरवरी को 14वें दिन सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के बैनर तले ‘शहीद जगदेव-कर्पूरी संदेश यात्रा’ जारी रही। 18 फरवरी को भागलपुर जिले के शाहकुंड प्रखंड के बरियारपुर, हरनथ, समस्तीपुर, सतपरैया, इमादपुर, खैरा, लौगांय, खुलनी आदि गांवों में ग्रामीणों से संवाद के साथ सभाएं हुई।
वहीं 19 फरवरी को नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी गुलामी को बढ़ाने और संविधान व लोकतंत्र का गला घोंटने के जारी अभियान के खिलाफ उक्त संदेश यात्रा के तहत जिले के शाहकुंड प्रखंड के झिकटिया, अमखोरिया, गोबरांय, राहुल नगर, तेतरिया, कमलपुर, हाजीपुर, दराधी,भुलनी, राधा नगर, दासपुर, दरियापुर आदि गांवों में ग्रामीणों से संवाद और सभाएं हुई।


अवसर पर सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रामानंद पासवान और रंजन कुमार दास ने कहा कि आज भी हमारे मुल्क में संपत्ति-संसाधनों, राजनीति और प्रशासन पर उच्च जातियों का वर्चस्व है। वर्ण-जाति ही सामाजिक हैसियत भी तय करता है। नरेन्द्र मोदी सरकार हर क्षेत्र में सवर्ण वर्चस्व को बढ़ा रही है। ब्राह्मणवाद को मजबूत कर रही है। संदेश यात्रा के दौरान कहा गया कि कृषि कानून भी बहुजनों को सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक तौर पर कमजोर करेगा।
सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के डा अंजनी, बरुण कुमार दास और सुनील दास ने कहा कि आजादी के बाद अभी तक की तमाम सरकारें जाति जनगणना से भागती आ रही हैं। मंडल कमीशन की रिपोर्ट में भी जाति जनगणना की जरूरत को रेखांकित किया गया था। जाति जनगणना कराकर आंकड़े सार्वजनिक किए जाने चाहिए, ताकि समाज के विभिन्न जाति-समुदायों की सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक जीवन का सच पता चल सके। यह सच भी सामने आए कि कौन सी जाति / समुदाय दूसरों का हिस्सा खा रही है व कौन सी जाति / समुदाय अपने हिस्से से वंचित है। जाति जनगणना सामाजिक न्याय व विकास के ठोस व उचित पहल के लिए जरूरी है। लेकिन सवर्ण वर्चस्व को ढ़ंकने और सामाजिक न्याय का गला घोंटने के लिए जाति जनगणना नहीं करा रही है सरकारें। कहा गया कि नरेन्द्र मोदी सरकार जाति जनगणना की गारंटी करे।
वक्ताओं ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार 90 प्रतिशत श्रमजीवियों पर 10 प्रतिशत परजीवियों का शासन-शोषण मजबूत कर रही है। श्रम मंत्रालय ने पूंजीपति पक्षधर चारों श्रम संहिताओं को एक साथ अप्रैल से लागू करने की योजना बनाई है, मतलब 1अप्रैल से मज़दूर बंधुआ हो जाने की ओर धकेल दिए जाएंगे।
अवसर पर रामानंद पासवान और रंजन कुमार दास ने कहा कि तीनों कृषि कानून 90 प्रतिशत बहुजन आबादी के खिलाफ है। इन कानूनों से खेत-खेती पर देशी-विदेशी पूंजीपतियों का कब्जा होगा। एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। खाद्यान्न के बाजार पर पूंजीपतियों का कब्जा होगा व जमाखोरी-कालाबाजारी की छूट होगी। पूंजीपति सस्ता खरीदेंगे और फिर मंहगा बेचेंगे। जनवितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी। किसान मजदूर हो जाएंगे और ग्रामीण आबादी के खून-पसीने को अधिकतम निचोड़कर अंबानी-अडानी तिजौरी भरेंगे।

यात्रा में रंजन कुमार दास, सुनील दास, धनन्जय दास, विभूति दास, बिट्टू कुमार, अर्जुन यादव, बरुण कुमार दास वगैरह शामिल रहे।