ऐपवा के राष्ट्रीय आह्वान के तहत आज उ. प्र. में भी ऐपवा ने स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओ के सभी तरह के कर्जों को 31 मार्च 2021 तक माफ करने के सवाल को मजबूती से उठाया जिसमे पूरी प्रदेश में भारी संख्या में महिलाओं ने प्रदर्शन किया।
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इस सवाल पर लखीमपुरखीरी में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि सरकार की नाकामी की वजह से आज प्रदेश की जनता भुखमरी और बेरोजगारी से जूझ रही है जिसके कारण लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं । सरकार की विफल ही चुकी आर्थिक नीतियों का असर सबसे अधिक आधी आबादी पर पड़ रहा है । उन्होने कहा कि स्वंय सहायता समूह से जुड़ी सभी गरीब महिलाओं ने माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से जो लोन लिया था वही कम्पनियां आज अमानवीय ढंग से जबरन वसूली करके महिलाओं का उत्पीड़न कर रही हैं। कृष्णा अधिकारी ने कहा कि ऐपवा मांग करती है कि एस एस जी से जुड़ी सभी महिलाओं के सभी तरह की कर्जें सरकार माफ किये जायें।
ऐपवा उपाध्यक्ष आरती राय ने कहा कि भाजपा सरकार एक तरफ बड़े पूंजीपतियो के अरबों रूपयों के कर्जे तो माफ कर दे रही है लेकिन गरीब महिलाओं के कर्ज माफ करने के आदेश देने में क्यों कतरा रही है?
ऐपवा सहसचिव गीता पांडेय ने देवरीया में इस सवाल पर ऐपवा प्रदर्शन के दौरान कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाईन के अनुसार 31 मार्च 2021 तक किसी भी तरह के कर्जे की वसूली नही कर सकत्ती है लेकिन प्रदेश भर में माइक्रो फाइनेंस कम्पनियो रिजर्व बैंक के नियमो का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। गीता ने कहा कि यदि सरकार ने महिलाओं की मांगों पर गौर नहीं गया तो महलाएँ कोरोना के दौर में भारी संख्या में सड़को पर उतरेंगी और आंदोलन जारी रखेंगी।
आज का कार्यक्रम लखनऊ, मथुरा, मुरादाबाद, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, इलाहाबाद, गोरखपुर, देवरिया, वाराणसी, चंदौली,भदोही, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर आदि जिलों में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
मांगे
1.स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज माफ करो.
2.एक लाख रुपये तक का निजी कर्ज चाहे वो सरकारी,माइक्रो फायनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों,का लॉकडाउन के दौर का सभी किस्त माफ करो.
3.सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021तक रोक लगाओ.
4. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करो.
5. एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाओ.
6.शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त करो.
7. सामूहिक कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक ऑथोरिटी बनाओ.
8.स्वरोजगार के लिए 10लाख रुपये तक के कर्ज पर 0-4% ब्याज दर हो.
9.जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो उस कर्ज को समाप्त करो.