हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट क्या कहती है?

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हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट क्या कहती है?
हिंडेनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है। मतलब किसी ऐसे कंपनी को चिन्हित कर उसके शेयरों को तत्काल बेच देती है जिसकी कीमतें निकट भविष्य में गिरने की संभावना होती है और जब कीमतें पर्याप्त गिर जाती है तो उसे फिर खरीदकर मुनाफा कमाती है। यही उसने अदानी ग्रुप की कंपनियों के साथ किया। इस प्रक्रिया में उन कंपनियों कर उसके काफी तहकीकात और शोध होते हैं।
क्या कहते हैं उसके शोध?
अदानी समूह की कंपनियों के कीमतों को 85% बढ़ा चढ़ाकर यानी अति मूल्यन किया गया है। अर्थात 100 रुपए की वित्तीय संपत्ति की वास्तविक मूल्य मात्र 15 रुपए ठहरती है।
अदानी ग्रुप शेल या फर्जी कंपनियां खड़ी कर अपने शायरों को खरीदकर अपने शायरों की कीमतें बढ़ती है। इन सारी कंपनियों को संपत्ति सिर्फ अदानी ग्रुप के शेयर हैं। सेबी के नियमानुसार कंपनियों को कमसे कम 25 % शेयर खुले बाजार में पब्लिक के पास होनी चाहिए। अर्थात प्रमोटर के पास अपनी कंपनी के 75% से ज्यादा शेयर नहीं होना चाहिए। परंतु अदानी के साइप्रस, मालदीव आदि में खोले गए फर्जी कंपनियों के जरिए शेष 25% शेयर में से अधिकाश खुद खरीदकर बाजार में अपने शेयर की कृत्रिम कमी पैदा कर अपने शेयर की कीमतों में फर्जी उछाल लाता है। मांग ज्यादा और पूर्ति कम होने के कारण बाजार में कीमत काफी बढ़ जाती है। यह फर्जीवाड़ा है।
अपने शेयर की बढ़ी हुई कीमतें दिखाकर बैंको में अपने शेयरों को गिरवी रख बहुत बड़ी मात्रा में कर्ज लेने में कर्ज लेने में सफल हो जाता है। कारोबारी भाषा में इसे हेजिंग कहते है जिसे कंपनी के कमजोर वित्तीय स्वास्थ्य का लक्षण कहा जाता है। कोई अपनी कंपनी के शेयरों को यूं दाव पर नहीं लगता। यह भी दिखता है कि बैंकों के कर्ज उसने चुकाए नहीं है और पूरा व्यापार कर्ज की नींव पर खड़ा है।
परिणाम यह है कि चालू संपत्ति और चालू (अल्प अवधि के) कर्ज का अनुपात .75:1 रह गया है। अर्थात चालू अवधी के 1 रुपए के कर्ज को चुकाने के लिए कंपनी के पास केवल 75 पैसे उपलब्ध है। जी अल्प अवधि में दिवालिया होने की संभावना दिखाता है। अर्थात खतरा बड़ा है।
इसके साथ ही इसके पूरे मलिकने और देख रेख और निगरानी का जिम्मा केवल निकट संबंधियों के जिम्मे है जिससे संदेह और गहरा जाता है। खासकर तब जब इनमे कई हीरा कारोबार और अन्य कारोबार से जुड़े घपलेबाज भी शामिल हों जिसपर मुकदमे चल रहे हों और शेयर बाजार का शरीर घपलेबाज केतन पारेख और मेहुल चोकसी जैसे घपलेबाज को साथ मिलकर जब धंधा हो रहा हो तो शंका और गहरा हो जाता है।
अदानी के साम्राज्य में 900% की बढ़ोत्तरी पिछले तीन सालों में हुई जब विश्व व्यापार कोविड और मंडी की मार से जूंझ रहा था तो अदानी के दौलत में अकूत वृद्धि का कारण क्या है? रिसर्च कहता है कि बहुत बड़ा वित्तीय घोटाला हुआ है और यह बाजार और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।
जाहिर है कि अगर अदानी गिरा तो भारत के बैंकिंग सेक्टर पर बहुत बड़ा संकट आएगा। अब साहब और इनकी सरकार इसे गिरने तो देंगे नहीं। सारे बैंको के पास जो अरबों के अदानी ग्रुप के शेयर गिरवी पड़े है उनकी स्थिति कौड़ी की हुई तो इन बैंको की पूंजी डावाडोल होगी। जाहिर है खतरा तो “देश” पर ही आएगा। और फिर देश को बचाने की खातिर लाखों करोड़ रुपए सरकार अदानी ग्रुप और बैंकों को बचाने के नामपर झोंकेगी। यह पैसा कहा से आएगा? मेहनतकशों को और निचोड़ा जाएगा। कर्ज का बोझ और बढ़ेगा और टैक्स का बोझ और बढ़ेगा।
अदानी जैसा हाथी और साहब जैसा शेर पालना है तो कीमत कौन चुकाएगा? भुगतते जाइए और जय श्रीराम बोलते जाइए। मंदिर बना ही दिया है। कटोरा खुद का लीजिए। और बैठ जाइए मंदिर के बाहर।
विद्यानंद चौधरी

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