वाराणसी में सहायक अभिलेख अधिकारी की नियुक्ति की खबर से कैथी ग्रामवासियों में हर्ष व्याप्त

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वाराणसी: 23 ‌ जून 2020, वाराणसी जिले की पूर्वी सीमा पर गंगा गोमती संगम पर स्थित कैथी गाँव मार्कंडेय महादेव धाम के कारण सुविख्यात है, संगम स्थल देखने में बहुत ही सुरम्य है और पर्यटन की दृष्टि से इसका महत्व बहुत बढ़ता जा रहा है. जहाँ लेकिन गोमती नदी के इस संगम का वास्तविक स्थान इससे कहीं बहुत आगे है, ऐसा गोमती द्वारा वर्ष 1978 में किये गये धारा परिवर्तन के कारण हुआ है, नदी की कटान के कारण कैथी की सैकड़ों एकड़ भूमि नदी के उस पार चली गयी और गोमती ने कैथी गाँव की आबादी की तरफ अपना रुख करते हुए गंगा में एक नये स्थान पर संगम बना लिया. तभी से आज तक यहाँ के किसान उस कटान का दंश झेल रहे हैं. गाजीपुर जिले के कुसहीं और खरौना गाँव के लोग जमीनों पर अवैध तरीके से काबिज होने कि कोशिश करने लगे आये दिन मारपीट, फौजदारी होने लगी यहाँ तक कि एक किसान की मौत भी भी हो गयी, इस प्रकार उत्पन्न वाराणसी गाजीपुर जनपद के बीच सीमा विवाद के निस्तारण के लिए ग्राम कैथी के सभी राजस्व अभिलेख सन 1979 में रिकार्ड आपरेशन के लिए सहायक अभिलेख अधिकारी बलिया को हस्तांतरित कर दिया गया. उक्त विवाद के कारण कैथी गाँव की अभी तक चकबंदी नही हो सकी. आज किसानो की दूसरी पीढ़ी न्याय की गुहार लगाते लगाते थक गयी.

गोमती नदी की कटान के कारण उत्पन्न गाजीपुर वाराणसी जनपद सीमा विवाद के कारण ग्राम कैथी के राजस्व अभिलेख वर्ष 1979 में सहायक अभिलेख अभिलेख अधिकारी, बलिया को रिकार्ड आपरेशन के लिए हस्तांतरित कर दिए गये थे. नियमतः इस कार्य को 5 वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन कुछ नही हुआ. उक्त खतौनी पर वहां कतिपय राजस्व कर्मचारियों द्वारा तमाम अनाधिकार एवं अवैध आदेश दर्ज कर दिए गये हैं जिससे अनेक भूस्वामी आज कागजों पर भूमिहीन हो गये हैं वहीँ भूमाफिया प्रकृति के लोग काबिज हो चुके हैं. वर्तमान में खतौनी जीर्णशीर्ण, अस्पष्ट एवं अपठनीय हो गयी है, मूल खतौनी के दर्जनों पन्ने गायब कर दिए गये हैं.

सहायक अभिलेख अधिकारी बलिया के यहाँ से कैथी के भू अभिलेखों को वाराणसी लाने के लिए गांव वासियों द्वारा विगत एक दशक से मांग की जा रही थी , विधायक, सांसद से लगायत मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री को भी कई बार ज्ञापन दिया गया, अंततः सरकार द्वारा गाँव वालों की गुहार सुनी गयी और वाराणसी में ही सहायक अभिलेख अधिकारी की नियुक्ति की गयी, फिलहाल जिलाधारी वाराणसी ने इस सम्बन्धी शासनादेश के अनुपालन में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को सहायक अभिलेख आधिकारी का अतिरिक प्रभार सौंपा है. बलिया के कार्यालय से सभी संबधित अभिलेखों को वाराणसी लाये जाने की प्रक्रिया चल्र रही है कोरोना संक्रमण के कारण कुछ विलम्ब संभव है.

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि वाराणसी पत्रावली आ जाने से सर्वेक्षण और रिकार्ड आपरेशन की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी और हमारे भू अभिलेख आगे सुरक्षित रहेंगे , जिसके आधार पर ही कैथी की चकबंदी होनी है. कैथी की खतौनी का 1383 फसली (वर्ष 1976 ई) के बाद कोई नया प्रकाशन नही किया गया है और सैकड़ों विधि विरुद्ध एवं फर्जी आदेश खतौनी पर दर्ज किये गये हैं जिन्हें निरस्त करवाना अब आसान होगा.

कैथी के भू अभिलेखों की वाराणसी वापसी की खबर से गाँव के भू स्वामियों में हर्ष व्याप्त है , उन्हें लगता है कि अब दो पीढ़ी से चल रही उनकी समस्या का शीघ्र समाधान हो जाएगा. गाँव के श्यामाचरण पाण्डेय, अविलेश सिंह, जीतेश सिंह, राम लखन यादव, आनंद नारायण पाण्डेय, शनीश रघुवंशी, शक्ति सिंह, सौरभ सिंह, भोला सिंह, प्रदीप सिंह , अशोक यादव, उमा चरण पाण्डेय, विनोद शंकर सिंह, सनीशीश चन्द्र सिंह, निर्मल सिंह आदि ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए निर्णय लिया है कि वाराणसी में सभी अभिलेखों की वापसी हो जाने के बाद गांव वासियों की और से एक धन्यवाद पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी को भेजा जाएगा.

रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता वाराणसी

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