”क्वेस्ट फार जस्टिस“ का लोकार्पण

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नुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं नियमावली 1995 के कार्यान्वयन की स्टेटस रिपोर्ट ”क्वेस्ट फार जस्टिस“ के लोकार्पण के अवसर पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए जागृति राही, सदस्य किषोर न्याय बोर्ड ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) सरकार से पूरी तरह लागू करने की मांग की और उत्तर प्रदेष में दलित उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि की निन्दा की।  राष्ट्रीय दलित न्याय आन्दोलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ”क्वेस्ट फार जस्टिस“ के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उन्होने कहा कि पिछले दस वर्षों (2009.2018) के दरम्यान अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन में सरकार एवं पुलिस का प्रदर्शन न्यायिक नहीं रहा तथा विषेश कर दलित आदिवासियों को जाति आधारित अत्याचार में सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है। उल्लेखनीय है कि उक्त अधिनियिम का संशोधन विधेयक 2015 में पारित किया गया और 2016 में लागू किया गया परन्तु चार साल के बाद भी इसके प्रावधानों को सही रूप में लागू नहीं किया गया। राश्ट्रीय दलित मानव अधिकार अभियान के राज्य संयोजक रामदुलार ने बताया कि एन.सी.डी.एच.आर द्वारा जारी 10 वर्शीय स्टेटस रिपोर्ट से स्पश्ट है कि वर्ष (2009.2018) के दरम्यान दलितों के विरूद्ध अत्याचार में 27.3ः एवं आदिवासियों के विरूद्ध 20.3ः और आदिवासियों के मामलों में दोशसिद्धि दर 22.8ः बनी हुई है जो देश के लिए गम्भीर चिन्ता का विशय है। उन्होने कहा कि अभी तक सभी जनपदों में निर्दिष्ट अति विशिष्ट न्यायालय की स्थापना नहीं की गई।
श्री रामदुलार ने कहा कि पिछले कुछ वर्शों के दौरान उत्तर प्रदेष सहित सम्पूर्ण भारत में दलितों के विरूद्ध जाति प्रेरित हिंसा में अभिवृद्धि आम बात हो गई है और जिस दुस्साहस के साथ अपराध हो रहे हैं उसके परिणामों का डर अपराधियों को नहीं होता है।

कार्यक्रम में अपने विचार करते जागृति राही, रामदुलार, अशोक कुमार एडवोकेट, रवि कुमार चैधरी एडवोकेट, मनोज कुमार, सीता देवी आदि।

देषभर में प्रत्येक वर्श अत्याचार में अभिवृद्धि का सिलसिला जारी है। अभी भी प्रदेष में दलित आदिवासियों के साथ हत्या एवं नरसंहार, सामाजिक एवं आर्थिक बहिश्कार, सामूहिक आगजनी, बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार आदि अमानवीय अत्याचारों जैसे मामले रोज हो रहे है। अनेक मामलों में पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज ही नहीं किया जाता है।
लोकार्पण में दलित एवं आदिवासी संगठन एवं मानव अधिकार कार्यकर्ता षामिल हुए और अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन एवं दलित आदिवासियों के विरूद्ध हिंसा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। डा0 बी.आर. अम्बेडकर अधिवक्ता फोरम उत्तर प्रदेष के उपाध्यक्ष अषोक कुमार एडवोकेट ने बताया कि सरकार द्वारा दलितों एवं आदिवासियों के मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों के खिलाफ कठोर एवं तिब्रगामी कार्यवाही करनी चाहिए। अपराधियों को सहायता एवं अभिप्रेरित करने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही करें। संषोधन अधिनियम में स्पीडी ट्रायल के लिए विनिदिश्ट अति विषिश्ट न्यायालय प्रत्येक जनपदों में स्थापित किये जाय। एन.डी.एम.जे./ एन.सी.डी.एच.आर द्वारा जल्द ही राश्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लागू कराने हेतु न्यायाधीषों, विषेशज्ञों, नीति निर्माताओं, प्रमुख राश्ट्रीय-अन्तर्राश्ट्रीय मानव अधिकार संगठनों के साथ रणनीतिक बैठक का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जागृति राही, रामदुलार, अषोक कुमार एडवोकेट, रवि कुमार चैधरी एडवोकेट, मनोज कुमार, सीता देवी आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।
दिनांक: 29/12/2020 ई0 भवदीय

  • राम दुलार
    प्रदेश संयोजक
    राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार अभियान/ राष्ट्रीय दलित न्याय आन्दोलन,
    सम्पर्क : 9118689607

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