रामराज्य का मिथक और समकालीन यथार्थ

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रवि निर्मला सिंह
21सवीं सदी में जो लोग ये कहते हैं कि दुनिया का कोई भी देश पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की अवेलहना कर के सामंती अर्थ व्यवस्था की ओर पलायन कर जाएगा उनको दॄष्टि दोष तो है ही बल्कि वैचारिक दोष भी है । यहां यह स्पष्ट करने की ज़रूरत नहीं है कि सामंती अर्थव्यवस्था और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था क्या होती है ? इसके लिए आप किताबों का या गूगल का सहारा ले सकते हैं ।
बड़े बड़े बुद्धिजीवी इतिहास की गति को पूंजीवाद से रामराज्य की ओर मुड़ता हुआ बता रहे हैं । उनके पास शायद महाभारतकालीन संजय की दृष्टि होगी । इस विशेषता के लिए वो सब धन्यवाद के पात्र हैं ।
लेकिन मैं जब राम राज्य के विषय मे सोचता हूँ तो वहां पर राजा क्षत्रिय होता है और उसका सहायक ब्राह्मण । लेकिन आज हम देखेंगे कि राजा शुद्र है और उसका सबसे बड़ा सहायक दलित । मुझे समझ नहीं आता कि रामराज्य की स्थापना के लिए शुद्र और दलित का चुनाव क्यों किया गया ? जबकि राम ने तो शुद्र को बिना अपराध मृत्यु दंड दिया था ।खैर मान लेते हैं कि जिस प्रकार भालुओं , वानरों और जंगलवासियों ने राम की मदद की थी ठीक उसी प्रकार शुद्र और दलित भी 21सवी सदी की पूंजीवादी व्यवस्था में राम की मदद कर रहे होंगे । लेकिन अगर ऐसा है तो  रामराज्य लाने में केवल ब्राह्मणों और क्षत्रियों का ही बखान क्यों ? शूद्रों और दलितों का क्यों नहीं   ? जबकि सही मायने में इन 6 वर्षों को शुद्र्राज कहना चाहिए ।
लेकिन कोई तो बात है जो रामराज्य कहा जा रहा है ? आइए पड़ताल करने की कोशिश करते हैं कि एसा कहने के पीछे मजबूरी कितनी है ? और अवसरवाद कितना है ? वैचारिक भटकाव कितना है ?और दिवालियापन कितना है ?
रामराज्य कहने से राम केंद्र में आ जाते हैं ।मोदी जी बच जाते हैं ।
राम राज्य कहते ही सवर्ण केंद्र में आ जाते हैं । अम्बानी , अडानी बच जाते हैं ।
राम राज्य कहते ही जातिगत पूर्वग्रह सन्तुष्ट होते हैं । मज़दूर किसानों के आंदोलन अपदस्थ हो जाते हैं ।
राम राज्य कहते ही वर्ण व्यवस्था केंद्र में आ जाती है । गिरती जीडीपी को विमर्श से बाहर कर दिया जाता है ।
रामराज्य कहते ही मंदिर मस्जिद केंद्र में आ जाते हैं । रोजगार की बात दबा दी जाती है ।
रामराज्य कहते ही लोग धर्मों में , जातियों में , जेंडर में , भाषा में , क्षेत्र में , राष्ट्र में , राज्य में बंट जाते हैं । सामूहिक संघर्ष और न्याय गढ्ढे में चला जाता है ।
राम राज्य कहते ही पूँजीवाद जो चाहता है वो सब हो जाता है ।
राम राज्य कहते ही वर्षों के सब राजनीतिक और आर्थिक अन्याय बाइज़्ज़त बरी हो जाते हैं ।
यही तो वो चाहते हैं कि आप निरन्तर अमानवीय होती हुई क्रूर पूंजीवादी व्यवस्था को रामराज्य कहें । इस से सत्य अपदस्थ हो जाता है । जब सत्य नहीं होता तो संघर्ष भी दिशाहीन हो जाता है ।जब संघर्ष दिशाहीन हो जाता है तो पूंजीवाद फलता फूलता है । मज़दूर दम तोड़ते हैं । सरकारी अवसर और सुविद्याएँ समाप्त कर दी जाती हैं । भारी राजनीतिक दमन होता है । आर्थिक शोषण चरम पर होता है । न्यायिक सरंचना अन्याय करती है । प्रसाशन का क्रूर चेहरा सामने आता है । लूट , हत्या , अपहरण , बलात्कार जबरन कब्ज़े , भ्रस्टाचार रोजमर्रा की बात हो जाती है । ये सब इस लिए ही होता है क्यों कि बात कुछ और  है और आप कह कुछ और रहे हैं ।
राम की राजनीति वो करते हैं । राम राज्य , राम राज्य आप चिल्लाते हैं । जिस जनता को राम के नाम पर मैनेज किया जा रहा है । उसे यकीन हो जाता है कि जो हो रहा है । ठीक हो रहा है । जनता को शुद्र शंभूक की हत्या से कोई लेना देना नहीं है । जनता को सीता के प्रति अन्याय से कोई लेना देना नहीं है । उसे राम के नाम पर बहकाया गया है । उस बहकावे को आप और भी मज़बूत कर देते हैं जब कहते हैं कि राम राज्य स्थापित हो रहा है ।यही जनता की हार का कारण है । यही लोकतंत्र के लगातार हाशिये पर चले जाने का कारण है ।यही खुलेआम होते अन्याय का कारण है ।
लेकिन मज़े की बात ये है कि जो क्रूर होती पूंजीवादी व्यवस्था को रामराज्य बता रहे हैं वो सब खूब पद प्रतिष्ठा ईनाम ओ इकराम पा रहे हैं लेकिन जिनको बताया जा रहा है कि रामराज्य स्थापित हो रहा है वो भूखे , नँगे , बेरोजगार , आत्महत्या को मजबूर , बलात्कार के शिकार न जाने क्या क्या हो जा रहे हैं ?
आप कह रहे हैं रामराज्य आ रहा है । जबकि दूसरी ओर अम्बानी विश्व के पहले पांच पूंजीपतियों में पहुंच जाता है । समाजवाद के नाम पर जो सरकारी उद्योग बचे हुए थे वो सब आने दो आने में बेचे जा रहे हैं । लोग लाखों करोड़ों का चूना लगा कर फरार हो रहे हैं । लेकिन आप कंगना और हाथरस में ही उलझे हुए हैं । आप ने ये भी नहीं देखा कि हाथरस के ज़रिए हरियाणा का किसान आंदोलन दबा दिया गया । किसी राज्यपाल ने किसी मुख्यमंत्री से पूछा कि धर्म निरपेक्ष तो नहीं हो गए ? सुनते ही आप को पसीना आ गया । किसी ने कहा देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को  ,और आप देशभक्ति का सर्टिफिकेट दिखाने लगे । भारत माता की जय ,चिल्लाने लगे । आप ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि प्रधान सेवक झूठ क्यों बोलता है ?  झूठ बोलता है ।झूठ बोलता है । बोल बोल कर आप उसे सच कर देते हो । फ्री में उसका विज्ञापन करते हो । आप ने कभी नहीं सोचा कि हो क्या रहा है ? और आप बता क्या रहे हैं ?
लेकिन
घोषणा हो चुकी है
बुद्धिजीवियों ने कह दिया है कि रामराज्य स्थापित हो रहा है । अब बेचारी जनता जो राम में ही संकटमोचन देखती आई है वो रामराज्य का विरोध कैसे करे ? अन्यायी राम से कैसे लड़े ?
उन्होंने सब लूट लिया और एक राम मंदिर पकड़ा दिया ।
आप मुसलसल घण्टी बजा रहे हैं ।
राम राज्य राम राज्य चिल्ला रहे हैं ।।
यही तो व्यवस्था चाहती है ।यही होने में आप मदद कर रहे हैं । इस लिए आप महाधूर्त हैं ।अवसरवादी हैं । पूंजीवादी सत्ता के चाकर हैं । दलित मेहनतकश आवाम के वर्ग शत्रु हैं ।

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