रैदोपुर, आजमगढ़ : अक्टूबर क्रांति की रोशनी में विमर्श के अंतर्गत “शिक्षा-स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों के निजीकरण का आम जन पर प्रभाव” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। आयोजित विमर्श दुखहरन राम और कन्हैया लाल की संयुक्त अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।जिसका संचालन डॉ रविंद्र नाथ राय ने किया।
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि सर्वहारा समाजवादी क्रांति के बाद सोवियत रूस में स्थापित व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार जैसे सभी निजी क्षेत्रों का सरकारीकरण किया गया, गरीबी-अमीरी के बीच के विशाल अंतर को खत्म कर दिया गया और देश के हर नागरिक को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा,चिकित्सा की समुचित गारंटी दी गयी थी।
यह व्यवस्था तब तक कायम रही जब तक राजसत्ता समाजवादी व्यवस्था के अधीन थी।आज सोवियत रूस सहित पूरी दुनिया मे बड़े बड़े पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का गठजोड़ बन चुका है जो जनसेवा के सभी क्षेत्रों को निजी हाथों में सौप रहा है।हमारा देश भी इससे अछूता नही है।यहाँ पर नई शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षा का निजीकरण और बाजारीकरण हो रहा है तथा चिकित्सा, परिवहन, संचार,बैंक, बीमा, बिजली जैसे सभी सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। परिणामस्वरूप देश की आम गरीब जनता इन बुनियादी सुविधाओं से लगातार वंचित होती जा रही है।मजदूर,किसान,बुनकर,अपने अपने समस्याओं से बेहद परेशान हैं तथा छात्र-नौजवानों का वर्ग भारी आक्रोश में है।
गोष्ठी में सर्वसम्मति से सभी सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण का विरोध किया गया।नई शिक्षा नीति,श्रम व कृषि नीति का देशी विदेशी पूंजीपतियों के पक्ष में हुए जनविरोधी सुधार का व्यापक विरोध किया गया।


गोष्ठी में प्रमुख रूप से दुखहरन राम,कन्हैया लाल,डॉ खालिद,डॉ रविंद्र नाथ राय,अनिल चतुर्वेदी, बृजेश यादव,महताब आलम,अनीश भाई,सूबेदार, रामाश्रय, संदीप, राहुल,दान बहादुर मौर्य,रामराज,अवधेश, हरिकेश,अनिरुद्ध,सुमन,प्रियंका, कोकिला,प्रशांत,श्रेय, उत्तम, जनार्दन आदि लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्तय किये।
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