- विशद कुमार
आज विश्विद्यालय अम्बेडकर विचार एवं समाजकार्य विभाग, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रशाल में महार तालाब जल सत्याग्रह दिवस सह बिहार फुले अंबेडकर युवा मंच का चतुर्थ स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। इस अवसर पर “निजीकरण का बहुजन युवाओं पर दुष्प्रभाव” विषयक सेमिनार आयोजित किया गया।
ज्ञातव्य हो कि जानवरों को भी जिस तालाब पर जाने की मनाही नहीं थीं, वहां पर इन्सानियत के एक हिस्से पर धर्म-जाति और छुआछूत के नाम पर सदियों से पाबंदी लगायी गयी थी। इस पाबंदी को तोड़ कर वह सभी नयी इबारत लिख रहे थे। यह अकारण नहीं कि महाड़ तालाब जल सत्याग्रह के बारे में मराठी में गर्व से कहा जाता है कि वही घटना ‘जब पानी में आग लगी थी’ उसने न केवल दलित आत्मसम्मान की स्थापना की बल्कि एक स्वतंत्र राजनीतिक सामाजिक ताकत के तौर पर उनके भारतीय जनता के बीच समानता के आगमन का संकेत दिया था। दलितों द्वारा खुद अपने नेतृत्व में की गयी यह मानवाधिकारों की घोषणा एक ऐसा हुंकार था जिसने भारत की सियासी तथा समाजी हलचलों की शक्लोसूरत हमेशा के लिए बदल दी।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग के विभागाध्यक्ष तथा बिहार फुले अंबेडकर युवा मंच के संरक्षक डॉ प्रो विलक्षण रविदास ने किया। अपनी बात रखते हुए विश्वविद्यालय के पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ उपेंद्र शाह ने कहा कि निजीकरण अधिकारों के मामले में समानता का दुश्मन है। खासकर बहुजन समाज के लिए निजीकरण का प्रभाव मध्य कालीन संघर्षो जैसी होने की संभावनाएं है। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ योगेंद्र ने सरकार के गलत नीतियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि जिस प्रकार रेलवे सहित सभी सरकारी कंपनियों को बेचा जा रहा है, ऐसी अवस्था में इसे खरीद कौन रहा है। यह देखने की आवश्यकता है, क्योंकि अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़े वर्ग के लोग कम से कम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए देश सेवा का मार्ग चुनते थे लेकिन अब उनसे वह मौके भी छीन जाएंगे क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है। समाज के लोगों को यह सोचने की आवश्यकता है कि कौन आपके साथ है और कौन आपके भविष्य के दुश्मन हैं। वरिष्ठ समाजकर्मी व राष्ट्रसेवा दल बिहार के अध्यक्ष उदय ने कहा कि निजीकरण मनुवाद का एक साजिशन उत्पाद है। यह सिर्फ आर्थिक मामला नहीं है यह समाज को विखण्डित कर फिर से गुलाम करने की साजिश है।
बामसेफ से जुड़े अधिवक्ता दिलीप पासवान ने कहा कि बहुजन समाज के युवाओं को अपने अधिकारों पर कायम खतरे को पहचानने की आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए डॉ विलक्षण रविदास ने कहा कि निजीकरण के खतरे को दर्शाते हुए कहा कि अंधाधुंध निजीकरण द्वारा पूंजीपतियों का गुलाम बनाने के नीति का अंतिम दुष्परिणाम लोकतंत्र के कमजोर होने के रूप में देखा जा सकता है। मुख्यअतिथि व विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ रामप्रवेश सिंह ने कहा कि निजीकरण अवसर के समानता के अधिकार पर कुठाराघात है। निजीकरण और मनुवाद के खिलाफ महेश अम्बेडकर और देवराज दिवान ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किये।

सांगठनिक सत्र में सार्थक भरत, अजय राम, मणि कुमार अकेला व प्रो. (डॉ) विलक्षण रविदास आदि ने संगठन की आवश्यकता, संगठन के अनुशासन पर अपनी बात रखी। संगठन का पुनर्गठन व बिहार प्रदेश टीम का गठन किया गया। जिसमें प्रदेश संयोजक- अजय राम, प्रदेश महासचिव- सार्थक भरत,सह संयोजक- वीरेंद्र गौतम, विनय दास, मणि कुमार अकेला, अखिलेश रमण, प्रदेश कार्यालय सचिव- दीपक प्रभाकर, प्रदेश कोषाध्यक्ष- किशोर कुमार चौधरी, प्रदेश कार्यकारणी सदस्य- डॉ विष्णुदेव दास, डॉ अमित कुमार, डॉ संजय रजक, मुकेश दास, सुधीर सिंह दांगी, नवीन कुमार दास, रणजीत रजक, तुलसी दास, राजेन्द्र दास बनाए गए।
भागलपुर जिला कमिटी मे संरक्षक- रंजन कुमार दास (सेवानिवृत्त अधिकारी), उमेश यादव (सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक), संयोजक- राजीव कुमार चौधरी, महासचिव- सुबोध कुमार, सहसंयोजक- देव कुमार दिवाकर, अम्बेडकर कुमार, सचिव- साजन सुमन, जिला कार्यकारणी- रितेश कुमार, राजेश कुमार, शिवम कुमार, ज्योति कुमार दास, राहुल कुमार, अनिल कुमार,
नवगछिया प्रभारी- अखिलेश रमण, बांका प्रभारी- विनय दास, बांका सह प्रभारी- मुकेश कुमार दास, रजौन प्रभारी- अनिल दास, धोरैया प्रभारी- तुलसी दास, बेलहर प्रभारी- नवीन कुमार दास, बेलहर सह प्रभारी- विनोद दास, चांदन प्रभारी- मुकेश कुमार, बांका प्रखंड प्रभारी- डॉ मनोज कुमार शर्मा, मुंगेर जिला प्रभारी – मणि कुमार अकेला, मुंगेर सहप्रभारी- अमन रंजन यादव का चयन किया गया।
इस अवसर पर बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के विभिन्न जिलों से 250 से अधिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।