वाराणसीः बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के वार्षिकोत्सव आयुषप्रज्ञा तथा आठवें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आज दिनांक 01/11/2023 को उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान प्रो. एस. एन. शंखवार, विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. एके. नेमा, छात्र अधिष्ठाता, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी, संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय, छात्र सलाहकार डॉ. संजीव, छात्र अध्यक्ष विश्वजीत यादव थे।
मुख्य अतिथि – निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान प्रो. एस. एन. शंखवार द्वारा अनुशासन पूर्वक कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए कहा गया है, निदेशक महोदय ने प्राचीन भारत में संजीवनी बूटी से तत्काल लाभ के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे प्राचीनतम पद्धति हैं।
छात्र अधिष्ठाता प्रो. एके नेमा ने कहा कि छात्रों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्साह पूर्वक भाग लेना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. प्रदीप कुमार गोस्वामी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों से छात्रों का समग्र विकास होता है, उनके अन्दर छुपी हुई प्रतिभा का प्रकाशन होता है, विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं है। इसलिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के उद्देश्यों की चर्चा भी की।
छात्र सलाहकार डा. संजीव ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की।
इस आयुष प्रज्ञा नामक कार्यक्रम में संपूर्ण भारतवर्ष के आयुर्वेद विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के छात्र – छात्राएं विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले रहे हैं । यह कार्यक्रम 3 नवंबर 2023 तक चलेगा इसके अंतर्गत खेलकूद, विभिन्न प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ छात्रों द्वारा गणेश वंदना तथा सरस्वती वंदना से किया गया। इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन विश्वजीत यादव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रो. आनन्द चौधरी, प्रो. सीएस पाण्डेय, प्रो. बीराम, प्रो. जेपी सिंह, प्रो. सुनीता सुमन, प्रो. दीपा मिश्रा, डॉ. सुदामा, डॉ. दिनेश, डॉ. मीरा, डॉ. सनथ तथा अन्य समस्त शिक्षक, छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।