रांचीः १५जून २०२०, भाकपा-माले झारखंड राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद और विधायक विनोद सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि राज्य सभा में भाजपा की हार सुनिश्चित करना जनप्रतिनिधियों का मोदी सरकार की उपेक्षा का सबसे बढ़िया जवाब होगा।
विधायकों की खरीद-फरोख्त से में राज्य सभा की सीट हासिल करने को बेचैन भाजपा के एक नेता द्वारा कॉ महेंद्र सिंह को याद करना या तो नासमझी है या सोची-समझी धोखाधड़ी। भाजपा मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक, राजस्थान , गुजरात आदि राज्यों में सरकार या राज्य सभा की सीटें हासिल करने के लिए सौदेबाजी की है, यह देश के इतिहास में सबसे कलंकित अध्याय है। कॉ महेंद्र सिंह जनता और उसूलों के प्रति प्रतिबद्ध एक जनप्रतिनिधि के उदाहरण हैं।
आज मोदी सरकार लोकतंत्र, संविधान और संस्थाओं पर हमला कर सांप्रदायिक तानाशाही और कॉरपोरेट लूट देश पर थोप रही है। इस वक्त किसी भी संवेदनशील नागरिक का पहला कर्तव्य है भाजपा को हर मोर्चे पर पीछे धकेलना। इस काम में किसी भी तरह की कमजोरी जनता के साथ गद्दारी होगी। कॉ महेंद्र सिंह ने जनता के लिए हर सत्ता के साथ टकराव मोल लिया और भाजपा की जब झारखंड में सरकारें बनी तो भाजपा सरकारों के संरक्षण में चले लूट दमन के खिलाफ विधानसभा से लेकर सड़कों के संघर्षों में सबसे आगे रहे और उन्हें इसके लिए जेल भी जाना पड़ा। जिनकी स्मृति कमजोर हो गई हो, वे तात्कालिक विधानसभा के रिकार्डों को देख सकते हैं और उस समय के अखबारों के पन्ने पलट सकते हैं।
आज भाजपा का जनविरोधी चेहरा और बेनकाब है। लॉक डाउन में मोदी सरकार का बर्ताव प्रवासी मजदूरों और गरीबों के साथ अत्यंत अमानवीय रहा है। मदद के नाम पर पीएम केयर्स फंड से मात्र 8 करोड़ 68 लाख की राशि देकर मोदी ने झारखंडियों की पीड़ा का मजाक ही उड़ाया है। कॉ महेंद्र सिंह आज होते तो उनका आह्वान क्या होता? वे भाजपा सरकार के इस रवैए के खिलाफ सबसे अग्रिम मोर्चे पर होते। भाकपा-माले का कोई भी प्रतिनिधि इस बात को नहीं भूल सकता है।
भाजपा सांसदों और विधायकों ने कोरोना महाविपदा में भी झारखंड के साथ इस तरह के भेदभाव के खिलाफ और प्रवासी मजदूरों के हित में चूं तक नहीं किया. झारखंड की जनता ने भाजपा को पहले ही राज्य में उसकी जगह दिखा दी है। आज झारखंड के जनप्रतिनिधियों को यह काम अब आगे बढ़ाना है। झारखंड के तमाम जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि वे राज्य सभा चुनाव में भाजपा की हार सुनिश्चित कर इसका जवाब दें।
बताते दें कि वामपंथ के धूर विरोधी भाजपा के एक विधायक विरंची नारायण द्वारा राज्यसभा चुनाव में भाकपा (माले) का कांग्रेस के पक्ष वोट करने की घोषणा पर बड़ी चालाकी और बौखलाहट के साथ माले के एकमात्र विधायक एवं शहीद कामरेड महेंद्र सिंह के पुत्र विनोद सिंह पर तंज कसते हुए कहा है कि “राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन की बात करके विधायक विनोद सिंह ने स्व महेंद्र सिंह जी के विचारों और आदर्शों की हत्या की है।”
नारायण ने कहा कि “स्व महेंद्र सिंह जी जीवन पर्यंत कांग्रेस विरोधी विचारों के संवाहक और पोषक रहे। स्व सिंह सदन के अंदर कई मुद्दों पर बहिष्कार कर देते थे परन्तु कांग्रेस के साथ खड़े नहीं होते थे। उनके क्षेत्र की जनता भी विधायक विनोद सिंह जी में उनकी ही छवि देखती है परंतु इनका कांग्रेस के साथ खड़ा होना समझ से परे है।”
बिरंची ने कहा कि “स्व महेंद्र सिंह जी सदैव बेवाक रहे और सत्ता उन्हें कभी प्रभावित नहीं कर सकी। जन मुद्दों पर सदन से लेकर सड़क तक उनके संघर्ष की गाथा से झारखंड की जनता परिचित है परंतु इन्हीं आदर्शों के बल पर जनता का विश्वास जीत कर आये विनोद जी पता नहीं क्यों सत्त्ताधारी कांग्रेस के साथ खड़े होने को मजबूर है।”
उन्होंने कहा है कि “विनोद सिंह जी को अपने स्व पिता के विचारों और आदर्शों का अपने अंतर्मन से स्मरण करते हुए कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को राज्य सभा चुनाव में वोट करने के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिये।”
बिरंची नारायण के इस चालाकी भरे बयान पर विनोद सिंह कहते हैं कि ” कांग्रेस व भाजपा में वे कोई फर्क नहीं समझते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि मेरे वोट नहीं देने से भाजपा को एक वोट फायदा होता, जो मेरे वोट देने से इन्हें नहीं होगा। अत: इसी नुकसान की बौखलाहट में बिरंची नारायण का मेरे लिए यह इमोशनल बयान है। वैसे मैं महेंद्र जी के बारे में उनके बयान पर उन्हें साधुवाद देता हूं कि अंततः उन्होंने सच बोलने का साहस तो किया। ”
विनोद सिंह ने आगे कहा कि “वैसे मेरा वोट कांग्रेस को नहीं शाहजादा अनवर को है जिनकी काफी साफ सुथरी छवि है। इस दौर में वे बेदाग है।”