मुनाफे की व्यवस्था और निजी संपत्ति पर साधते हैं चुप्पी और स्त्री-उत्पीड़न व यौन-हिंसा जैसे सवालों को जोर-शोर से उठाते हैं एनजीओ

0
466

संपादकीय टिप्पणीः मुनाफे की व्यवस्था और निजी संपत्ति पर खामोश रहते हुए स्त्री-उत्पीड़न व यौन-हिंसा जैसे सवालों को एनजीओ जोर-शोर से उठाते हैं। कहना न होगा कि इन्हें अपनी सरगर्मियों को संचालित करने के लिए पैसे जहाँ से मिलते हैं, माने इजारेदार वित्तीय पूँजी के महाप्रभु जो खैरात बाँटते हैं उनका असल मकसद होता है कि उद्वेलित जनता को स्त्री-उत्पीड़न व यौन-हिंसा के असल कारणों का पता नहीं चलने दिया जाए। ———मजे की बात देखिए, मास्टरी की नौकरी के अलावा इन दिनों पढ़ी-लिखी औरतों को एनजीओ की धंधागीरी खूब रास आ रही है। सच तो यह है कि एनजीओ खोलने का कंपटीशन जारी है। मास्टर नंदलाल तो हमें हर दिन प्रेस नोट भेजते हैं, जबकि मास्टर दंपति ऐलानिया कह चुके हैं कि निजी संपत्ति व मुनाफे की व्यवस्था कोई पाप थोड़े है। तो दोस्तो एनजीओपंथियों के असल चेहरे को पहचाने जाने की जरूरत है। ये दरअसल वित्तीय पूँजी के सेवक हैं जो जनता को उद्वेलित करने वाले मुद्दों पर उसे बरगलाने की कोशिश करते हैं। इनके द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर न जाएं बल्कि इनके असल-घृणित चेहरे को बेनकाब करें कि ये दरपर्दा बड़ी पूँजी के सेवक हैं।
दिनांकः 04 दिसंबर 2021 (प्रेस नोट)

दुष्कर्म, महिला हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन।

आज दिनांक 04 दिसंबर 2021 को भारत माता मंदिर परिसर वाराणसी में महिला हिंसा विरोधी पखवाड़ा के अंतर्गत दुष्कर्म, उत्पीड़न और यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ़ ‘ दखल : दमन के खिलाफ लामबंद समूह ‘ की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया।

समाज को हिला देने वाली बनारस की बेटी के साथ दुष्कर्म की घटना से व्यथित छात्राओं और युवतियों ने आज शनिवार को चुप्पी तोड़ी। दुष्कर्म, यौन हिंसा के खिलाफ नारे लिखे तख्तियों के साथ जुटे दखल समूह के सदस्यो ने बलात्कार,छेड़खानी,अन्याय, ज्यादती के खिलाफ लड़ते हुए दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को न्याय दिलाने का संकल्प लिया। भारत माता मंदिर परिसर से चौराहे होते हुए काशी विद्यापीठ परिसर में प्लेकार्ड गले मे टांगकर महिला हिंसा विरोधी नारे लगाते हुए रैली निकालकर जनजागरूकता का प्रयास किया गया। आक्रोश व्यक्त करते हुए समूह ने कहा अगर बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हम सड़क पर उतरकर संघर्ष करेंगे।

प्रदर्शन कर रही एक युवती ने मांग की बच्चों के बलात्कार के मामलों में 6 महीने में फास्ट ट्रक कोर्ट सुनवाई पूरी हो और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। ताकि ऐसे लोग भविष्य में दरिंगदगीपूर्ण घटना करने की हिम्मत न जुटा सकें।
एक अन्य कार्यकर्त्री ने कहा की संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन विमिन के अध्ययन हवाला देते हुए बतलाया की दुनियाभर की 73.6 करोड़ महिलाओं के साथ उनके साथी और दूसरे लोगों ने कम से कम एक बार यौन हिंसा को अंजाम दिया है।हमें पुरुष प्रधान इस ढांचागत व्यवस्था को ही बदलना होगा। हम सबको ये निर्णय लेना होगा कि अब और हिंसा नहीं सहेंगे। लैंगिक बराबरी के लिए हमे अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और सवाल पूछने की आदत डालनी होगी।

सनबीम स्कूल में छोटी बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न की दुर्घटना पर चिंता और आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा की बच्चों के खिलाफ हिंसा न केवल उनके जीवन और स्वास्थ्य को,बल्कि उनकेभावात्मक कल्याण और भविष्य को भी खतरे में डालती है। भारत में बच्चों के खिलाफ हिंसा अत्यधिक है और लाखों बच्चों के लिए यह कठोर वास्तविकता है। दुनिया के आधे से अधिक बच्चों ने गंभीर हिंसा को सहन किया हैं और इस तादाद के 64 प्रतिशत बच्चे दक्षिण एशिया में हैं।

न केवल सनबीम स्कूल बल्कि लल्लापुरा सिगरा से लगायत शहर के कई क्षेत्रों में उत्पीड़न और शोषण की घटनाएं बहुत पीड़ा पँहुचाने वाली है। समाज और प्रशासन दोनो को बेहद सचेत होकर इस परिस्थिति पर विचार करना चाहिए।

हिंसा की रोकथाम से ही हिंसा का अंत होता है। बच्चों में व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ावा देना,स्कूलों में बाल संरक्षण नीतियों और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए माता-पिता की जागरूकता बढ़ानी भी आवश्यक है। छोटे बच्चे अपना बचाव करने में और भी अधिक अशक्त होते हैं। उनके लिए परिवारों और शिक्षा संस्थानों की सुरक्षात्मक भूमिका को मजबूत करने के लिए विशिष्ट तरीके अपनाने होंगे।

महिला हिंसा विरोधी पखवाड़े के दौरान हुए इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से मैत्री , डॉ इंदु पांडेय, विजेता सिंह, नीति , अनुष्का, डॉ प्रियंका चतुर्वेदी, शिवि, साक्षी,रोली सिंह रघुवंशी, साहिल, मीनाक्षी मिश्रा, ज्योति , धंनजय त्रिपाठी , शबनम बीबी, रुखसार आलम, संजीव कुमार , मृत्युंजय , रजत, जागृति, दीपक , राजू, स्नेहा इत्यदि मौजूद रहे

प्रेषक
डॉ. इन्दु पाण्डेय
8564886156
दख़ल
दमन के ख़िलाफ़ लामबंद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here