केंद्र की नई शिक्षा नीति संविधान के विरुद्ध है

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विशद कुमार
आज 26 नवंबर 2020 को विभिन्न सामाजिक एवं छात्र संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से संविधान दिवस के अवसर पर जमशेदपुर के अम्बेडकर चौक से बिरसा चौक तक नई शिक्षा नीति के विरोध में एक मौन जुलूस निकाला गया, जिसका नेतृत्व जुगसलाई के विधायक मंगल कालंदी ने किया।
इस विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य है कि देश के बेहतर भविष्य के मद्देनजर, शिक्षा के व्यवसायीकरण के विरुद्ध, मुफ्त व सामान शिक्षा सबको एक समान मिले।
वक्ताओं ने कहा कि 29 जुलाई 2020 को पूँजीपति-साम्राज्यवादी स्वामियों के प्रति तत्परता दिखाते हुए मौजूदा केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति-2020 लागू कर दिया है।  निश्चित तौर पर यह देशी-विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में लिया गया फैसला है, अन्यथा इतना महत्वपूर्ण निर्णय आनन-फानन में महामारी के दौर में नहीं लिया जाता बल्कि इसकी चर्चा दोनों सदनों में होती, राज्यों को विश्वास में लिया जाता और फिर इसे पारित किया जाता। इसके लिए कोरोना काल का चयन केंद्र सरकार की गलत मंशा और इरादा को प्रतिबिम्बित करता है। निःसंदेह यह मोदी सरकार के लिए ‘आपदा में अवसर’ है, जिसकी चर्चा वे अपने मन की बात में कर चुके हैं।
लोगों ने कहा कि नई शिक्षा नीति संविधान के विरुद्ध है। ऊपर से नया और आकर्षक दिखने वाली शिक्षा नीति वास्तव में वैसी नहीं है, जैसा कि सरकार दिखा रही है या बता रही है। यह शिक्षा नीति सामाजिक न्याय की मूल भावना के भी विपरीत है, साथ ही गरीब और आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, शोषित पीड़ित एवं ऊंच जाती के गरीब बच्चों को शिक्षा के मौलिक अधिकारों से वंछित रखना चाहती है। इसमें बड़ी चालाकी से, शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी पूंजीपतियों के लिए चोर दरवाजे खोल दिए गए हैं, जो कि शिक्षा के निजीकरण का ही एक कुत्सित प्रयास है। आप इसे सरकार का शिक्षा की जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ना भी कह सकते हैं। यह आपके बच्चे को आगे बढ़ाने का नहीं, बल्कि कौशल विकास के नाम पर स्कूल से बाहर करने और बाल श्रम की ओर धकेलने का षड्यंत्र है। इसका सीधा शिकार गरीब, आदिवासी, दलित पिछड़े एवं अल्पसंख्यक बच्चे होंगे।
स्कूल में कैसे अधिक से अधिक बच्चों आए इसकी चिंता सरकार को नहीं बल्कि स्कूल को कैसे बंद किया जाए इसकी तत्परता सरकार को रहती है। सरकारी शैक्षणिक संस्थानों का दिन प्रतिदिन फीस में वृद्धि किया जा रहा है। छात्रवृति का अनुदान समय पर नहीं मिल रहा है और साथ पी एच डी स्कॉलरशिप में छात्रों की संख्या घटा भी दी गयी है। देश की विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च  शिक्षा  की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है पर मौजूदा केंद्र सरकार नई शैक्षणिक संस्थाएं खोलने के बजाए देश विदेश में प्रसिद्ध आई आई टी, आई आई एम, एम्स, जे एन यू जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं को इसे क्षीण भिन्न कर रही है।
कार्यक्रम के अंत में भारत के संविधान की प्रस्तावना की शपथ ली गई।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच, झारखण्ड शिक्षा आंदोलन संयोजन समिति, लेफ्ट यूनिटी, ए आई एस एफ झारखण्ड शिक्षा संघर्ष समिति, झारखण्ड जनतांत्रिक महासभा, बहुजन क्रांति मोर्चा, बिरसा सेना, जागो, जोश, ए आई डी एस ओ, रविदास समाज, मुंडा समाज, भीम आर्मी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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