राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन ने एक प्रेस बयान जारी कर बताया है कि राज्य के मुख्यमन्त्री हेमंत सोरेन की नीयत जहां झारखंडी जनता के प्रति साकारात्मक है, वहीं राज्य का अफसरशाही एक साजिश के तहत उन्हें झारखंडी जनता के बीच बदनाम करने की कोशिश में लगे हैं। महेश सोरेन ने कहा कि राज्य में काम करने वाले मेहनतकश अनुबंध कर्मियों को बिना वजह परेशान कर बर्खास्त किया जा रहा है, जो कि निंदनीय है l अफसर कार्य का दबाव ना दें, बल्कि कार्य योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए मैनेजमेंट प्लान भी बताएं एवं समय-समय पर प्रशिक्षण भी दें l अनुबंध कर्मियों को परेशान करने वाले अफसरों पर सरकार करवाई करें
वहीं झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ के केंद्र समिति के संयुक्त सचिव सुशील कुमार पांडेय ने कहा है कि राज्य संविदा कर्मियों के लिए स्थायीकरण के लिए बनी कमेटी में पारा शिक्षकों ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, एनआरएचएम, सहित अन्य सोसाइटी वर्करों को शामिल नहीं करने का जो फैसला लिया गया है, वह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है l इसे सरकार और अनुबंध कर्मियों के मैत्रीपूर्ण रिश्ते में दरार आएगी l
उन्होेंने कहा कि हेमंत सरकार के एक वर्ष पूरे हुए है और अनुबंध कर्मचारियों की समस्या समाधान का कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है l जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार दी है अतः जनता एवं कर्मचारियों की भावनाओं के अनुसार काम होना चाहिए l जिन कर्मियों को स्थायीकरण की प्रक्रिया से अलग किया गया है वे सभी मूलवासी हैं जो नदी, पहाड़, सुदूर गांव एवं दुर्गम स्थल पर जनता के पास सरकार की योजनाओं को लाभ पहुंचाने वाले हैं और विगत 20 वर्षों से सरकार को लगातार सेवा दे रहे हैं l सरकार से अनुरोध है कि एक स्वस्थ और मधुर रिश्ते की मजबूती के लिए अनुबंध कर्मचारियों के साथ बैठकर सामूहिक चर्चा से समाधान निकालें
सुशील कुमार पांडेय कहते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों के मामले में अफसरों की नीयत में खोट दिख रहा है। उन्होंने कहा है कि सीएम हेमंत सोरेन ने सभी विभागों के ऐसे कर्मियों के मामले में बेहतर कदम उठाये जाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन संविदा कर्मियों के स्थायीकरण के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें पारा शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, एनआरएचएम सहित अन्य सोसाइटी वर्करों को स्थायी किये जाने की लिस्ट में शामिल नहीं करने का फैसला से सीएम की मंशा को अफसर मटियामेट कर देंगे, यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
महासंघ के नेताओं अनुसार राज्य में नयी सरकार ने सभी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मियों को रेगुलर किये जाने की घोषणा की गयी थी। पर हाइ लेवल कमेटी कई विभागों के कर्मियों को साइड कर रही है। इससे सरकार और अनुबंध कर्मियों के मैत्रीपूर्ण रिश्ते में दरार आएगी।

हेमंत सरकार के एक वर्ष पूरे होने को आए परंतु अनुबंध कर्मचारियों की समस्या का समाधान पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है। जनता और कर्मचारियों की भावनाओं के अनुसार काम होना चाहिए। जिन कर्मियों को स्थायीकरण की प्रक्रिया से अलग किया गया है, वे सभी मूलवासी हैं। नदी, पहाड़, सुदूर गांव और दुर्गम स्थलों पर जाकर जनता के पास सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाते हैं। वे विगत 20 वर्षों से सरकार को लगातार सेवा दे रहे हैं। ऐसे में सभी विभागों के अनुबंध कर्मचारियों के साथ बैठकर सामूहिक चर्चा से समाधान निकाला जाना चाहिए।