विशद कुमार
आज 23 सितंबर को पूर्वी सिंहभूमि के पोटका प्रखंड के 12 गांवों के ग्राम प्रधानों और विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक प्रेस वार्ता करके बताया कि 25 सितंबर से लेकर 27 सितंबर तक पोटका प्रखंड में जनता कर्फ्यू लागू रहेगा, जिसमें के तमाम ग्राम प्रधानों व विभिन्न संगठनों के नेता व आमजन इस संघर्ष में हिस्सा लेंगे।
यह प्रेस वार्ता पोटका अंचल के प्रांगण में किया गया।
प्रेस को संबोधित करते हुए गोपाल सरदार ने कहा — ”अभी तक अंचल, डीसी कार्यालय, सचिव, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रपति तक को मेमोरेंडम दिया जा चुका है।14 फरवरी 2020 को ग्राम सभा की ओर से जन सुनवाई भी की गयी। इसमें लीजधारी और प्रशासनिक अधिकारियों को भी बुलाया गया था। जन सुनवाई में खनन को गलत माना गया। सरकार को जनसुनवाई के फैसले की जानकारी दी जा चुकी है। इसके बावजूद ओम मेटल और लीडिंग कन्स्ट्रक्शन का अवैध खनन नहीं रूका है। इसी महीने में सितंबर 2020 में हाईकोर्ट रांची में पी.आई.एल. भी दायर किया गया है। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसलिए पारंपरिक ग्राम सभा नाचोसाई के तरफ से 25 सितंबर से 27 सितंबर तक तीन दिन का जनता कर्फ्यू लागू होगा और इस दरमियान किसी का भी बिना ग्राम प्रधान के आदेश से क्षेत्र में प्रवेश वर्जित रहेगा।”
वहीं प्रेस को संबोधित करते हुए नाचोसाई के ग्राम प्रधान रामकृष्णा सरदार ने कहा — ”ग्राम सभा इस लीज और खनन का शुरू से विरोध कर रही है। 12 जनवरी 2019 को ग्रामीणों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था। लेकिन लीडिंग कन्स्ट्रक्शन के ईशारे पर ग्रामीणों पर प्रशासन की ओर से दमन ढाहा गया। गाली-गलौज, मारपीट की गयी। महिलाओं के कपड़ें फाड़े गये। बच्चों, बूढ़ों, लड़कियों को भी नहीं छोड़ा गया। थाना में रखा गया। ग्राम सभा के सदस्यों पर अपराध की धारायें लगायी गयीं। तब भी विरोध जारी रहा, और तब तक विरोध जारी रहेगा, जब तक सदन गुटू और सुंडी डुंगरी में किरपड़ सुसुन अखाड़ा, माग बुरू बंगा मसना का स्थल अवैध खनन से मुक्त ना हो जाए। यहां आदिवासी अस्तित्व और पहचान बचाने को लेकर लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए गांव की पारंपरिक ग्रामसभा की ओर से 2016 से संघर्ष जारी है और अब इस पूरे जोन में सरकार को गहरी नींद से जागाने के लिए तीन दिन का जनता कर्फ्यू लागू रहेगा।”
बताते चलें कि पूर्वी सिंहभूमि के पोटका प्रखंड में सुदूर एक आदिवासी बहुल गांव है नाचोसाई। जमशेदपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नाचोसाई नदी, नाला, डुंगरी, पहाड़, जंगल की प्राकृतिक सम्पदा से भरा—पूरा है। यह गांव शांति से अपना इतिहास, अपनी संस्कृति, अपना धर्म जीता आ रहा है। किन्तु लूटेरे ठेकेदार व्यापारियों की गिद्ध नजर यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ गयी। ओम मेटल और लीडिंग कन्स्ट्रक्शन के संचालकों ने चंद स्थानीय दलालों की मिलीभगत से कुछ गांववालों को बहला—फुसला कर सादा कागज पर उनका हस्ताक्षर करा लिया। इसके आधार पर फर्जी ग्राम सभा का कागज बनाकर खनन लीज ले लिया। जहां उनका हस्ताक्षर करा लिया। इसके आधार पर फर्जी ग्रामसभा का कागज बनाकर खनन लीज ले लिया। जहां लीज मिला है, वहां सदन गुटू और सुंडी डुंगरी में किरपड़ सुसुन अखड़ा, माग बुरू बंगा, मसना का स्थल (आदिवासियों का पूजा स्थल) है। यहां जल, जंगल, जमीन पर समाज के अधिकार की चेतना मजबूती से कायम है। आदिवासी अस्तित्व और पहचान बचाने का जुझारूपन है। इन लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए गांव की पारंपरिक ग्रामसभा की ओर से 2016 से संघर्ष जारी है।
नाचोसाई की पारंपरिक ग्रामसभा इस लीज और खनन का शुरूआत से विरोध कर रही है। इसी क्रम में 12 जनवरी 2019 को ग्रामीणों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था। लीडिंग कंस्ट्रक्शन के इशारे पर ग्रामीणों पर प्रशासन की ओर से दमन बढ़ाया गया। गाली— गलौज मारपीट की गयी। महिलाओं के कपड़े फाड़े गये। बच्चों, बूढ़ो, लड़कियों को भी नहीं छोड़ा गया। थाने में रखा गया। ग्रामसभा के सदस्यों पर अपराध की धारायें लगायी गयीं। तब से विरोध जारी है।
इस बावत अंचल, डीसी कार्यालय, सचिव, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रपति तक को मेमोरेंडम दिया जा चुका है। 14 फरवरी 2020 करे ग्रामसभा की ओर से जन सुनवाई भी की गयी। इसमें लीजधारी और प्रशासनिक अधिकारियों को भी बुलाया गया था। जन सुनवाई में खनन को गलत माना गया। सरकार को जन सुनवाई के फैसले की जानकारी दी जा चुकी है। इसके बावजूद ओम मेटल और लीडिंग कंस्ट्रक्शन का अवैध खनन नहीं रूका है। इसी महीने सितम्बर 2020 में हाईकोर्ट रांची में भी पी.आई.एल भी दायर किया गया है।
इसी संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए ग्रामसभा ने ग्रामक्षेत्र में तीन दिनों का जनता कफ्यू लगाने का निर्णय किया है।