मनरेगा कर्मियों को बरगलाने और फुसलाने का उपायमात्र है खर्च का ढकोसला केवल

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* विशद कुमार  
राज्य भर के मनरेगा कर्मी 27वें दिन हड़ताल पर डटे रहे। ग्रामीण विकास विभाग के एक अधिकारी द्वारा यह कहा गया है कि, “राज्य के 140 प्रखंडों में मनरेगा कर्मी नियमानुसार प्रशासनिक व्यय से अपने वेतन का खर्च भी नहीं निकाल पाते हैं।” इसके जवाब में प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पाण्डेय ने कहा कि प्रखंड एवं पंचायतों में खर्च के लिए मनरेगा कर्मी तनिक भी दोषी नहीं है, बल्कि यह विभागीय अधिकारियों की जिद्द और मनमानी का परिणाम है।

पिछले पांच वर्षों में ग्रामसभा के द्वारा योजना को लेने के बजाय ऊपर से तैयार की गई योजनाओं को थोपने के कारण मनरेगा कार्य में काफी शिथिलता आई है। जिसका ठीकरा विभाग के अधिकारी मनरेगा कर्मियों पर फोड़ना चाहते हैं, जो सर्वथा अनुचित है। मनरेगा कर्मियों के सैलरी मद में मात्र 36 से 65 प्रतिशत तक का ही खर्च किया गया 

प्रदेश अध्यक्ष : अनिरुद्ध पाण्डेय
विभागीय अधिकारी सरकार का छीछालेदर कराने के उद्देश्य से ऐसी योजनाएं गांव में थोपना चाहते हैं, जो ना तो गांव के लिए उपयुक्त है, नहीं इसके क्रियान्वयन के लिए किसान व भूमि धारक रुचि रखते हैं। पांच हज़ार और दस हजार की योजना से केवल योजनाओं की संख्या बढ़ती है। एक ओर इसके क्रियान्वयन, अनुश्रवण और निगरानी में काफी मुश्किल होती है, तो दूसरी ओर फायदेमंद नहीं होने की वजह से लोग इन योजनाओं को लेना नहीं चाहते हैं। पिछले पांच वर्षों में ग्रामसभा के द्वारा योजना को लेने के बजाय ऊपर से तैयार की गई योजनाओं को थोपने के कारण मनरेगा कार्य में काफी शिथिलता आई है। जिसका ठीकरा विभाग के अधिकारी मनरेगा कर्मियों पर फोड़ना चाहते हैं, जो सर्वथा अनुचित है।
हड़ताल पर मनरेगा कर्मी
जहाँ तक वेतन का प्रश्न है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किस प्रखंड में कितना खर्च हुआ है। अगर एक रुपया भी खर्च ना हो, तो भी कर्मचारी को वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता है। खर्चा वेतन भुगतान के लिए न तो मानक है, नहीं बाध्यता। राज्य के पाँच हजार मनरेगा कर्मी मेहनतकश हैं और अपना काम ईमानदारी से करना जानते हैं। ना केवल मनरेगा योजना बल्कि सरकार के सभी कार्यक्रम में मनरेगा कर्मियों ने पूरी लगन और मेहनत के साथ काम किया है। खर्च का ढकोसला केवल मनरेगा कर्मियों को बरगलाने और फुसलाने का उपायमात्र है।
एक प्रेस बयान जारी कर मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव जोन पीटर बागे ने बताया :
जोन पीटर बागे ने आगे कहा कि जहाँ तक आकस्मिकता मद की बात है तो इसकी गणना पूरे खर्च का 6 प्रतिशत किया जाता है पिछले तीन वर्षों में राज्य द्वारा किये गए खर्च और आकास्मिता निधि का विवरणी निम्नांकित है –
2018-19
कुल व्यय- 1521.34 करोड़
6%के हिसाब से आकास्मिता राशि का निर्धारण-91.28 करोड़
सैलरी पर व्यय-51.10 करोड़
सैलरी पर व्यय – 55.9%
2019-20
कुल व्यय- 1700.71 करोड़
6%के हिसाब से आकास्मिता राशि का निर्धारण- 102.04 करोड़
सैलरी पर व्यय- 66.74 करोड़
सैलरी पर व्यय -65.4%
2020-21 (अब तक)
कुल व्यय- 873.19 करोड़
6%के हिसाब से आकास्मिता राशि का निर्धारण- 52.39 करोड़
सैलरी पर व्यय- 18.91 करोड़
सैलरी पर व्यय – 36%
उपरोक्त विवरणी से स्पष्ट है कि मनरेगा कर्मियों के सैलरी मद में मात्र 36 से 65 प्रतिशत तक का ही खर्च किया गया है बाकी की आकस्मिकता मद की राशि या तो दूसरे मद में खर्च की गई या तो निकाली ही नहीं गयी यदि केवल आकस्मिकता मद की ही बात करें तो मनरेगा कर्मियों का वेतन दुगना तक हो सकता है परंतु विभाग में लंबे समय से बैठे पदाधिकारी मनरेगा कर्मियों को गुलाम की तरह समझते हैं तथा हक की आवाज उठाने पर टारगेट करके बर्खास्त करने का कुकृत्य करने से भी गुरेज नहीं करते।
बार बार हड़ताल करने के संबंध में उन्होंने कहा कि विभाग के द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर कार्य का अत्याधिक दबाव, पंचायतों में लेबर लगाने और योजना प्रारम्भ करने तथा बंद करने के लिये न पूरा होने वाला टारगेट, सभी पंचायत को बिना स्थितियों का आकलन, सामाजिक आर्थिक परिदृश्यों को ध्यान में रखे बिना एक ही तरह के कार्य करने पर जोर, कम मजदूरी दर पर भी मजदूरों को जबरदस्ती कार्य पर लगाने का दबाव के कारण मनरेगा कर्मी त्रस्त हो जाते है, कार्य के अत्यधिक दबाव, गलती होने पर बर्खास्तगी का डर से हाल ही में दर्जनों मनरेगा कर्मियों की मृत्यु हो गयी इस पर विभाग के अधिकारियों द्वारा थोड़ी सी भी संवेदनशीलता दिखाई जाती तो तत्काल 25 लाख के मुआवजा दिया जाता।  लेकिन इन सब पर विभागीय अधिकारियों के द्वारा चुप्पी साध ली जाती है।
यदि हड़ताल बार बार किया जाता है तो इसके कारणों की समीक्षा क्यों नहीं की जाती ? उसका पूर्णकालिक समाधान क्यों नही किया जाता? उन्होंने कहा कि वार्ता से ही सारी समस्याओं का समाधान होगा, हम लोग अधिकारियों के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं इसके लिए सकारात्मक माहौल तैयार करने की जरूरत है।

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