- विशद कुमार
मनरेगा संशोधन अधिनियम अनुसूची 2 (19) में यह प्रावधान है कि स्कीम के अधीन कोई नया काम आरम्भ किया जा सकता है यदि कम से कम 10 मजदूर काम के लिए उपलब्ध हों। जबकि इस गांव से 50 मजदूरों ने काम के लिए आवेदन किया था।
झारखंड के मनरेगा कर्मियों का राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ द्वारा 27 जुलाई से चला आ रहा अनिश्चित कालीन हड़ताल पिछले 11 सितंबर को दो महीने के लिए स्थगित कर दिया गया है। इसकी जानकारी संघ के सचिव जॉन पीटर बागे ने एक प्रेस बयान जारी कर दी। उन्होंने बताया कि 10 सितंबर को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया है कि एक महीने के अंदर मनरेगा कर्मियों की मांगों पर करवाई कर उसे पूरा किया जाएगा। अत: दो महीने के बाद पुनः सरकार द्वारा मनरेगा कर्मियों की मांगों पर की गई करवाई की समीक्षा करने के पश्चात आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। यह निर्णय संघ के सभी जिला अध्यक्षों एवं राज्य कमिटी के सदस्यों की अपसी सहमति से लिया गया।
संघ के सचिव जॉन पीटर बागे ने बताया कि 10 सितंबर को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया है कि एक महीने के अंदर मनरेगा कर्मियों की मांगों पर करवाई कर उसे पूरा किया जाएगा। अत: दो महीने के बाद पुनः सरकार द्वारा मनरेगा कर्मियों की मांगों पर की गई करवाई की समीक्षा करने के पश्चात आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। यह निर्णय संघ के सभी जिला अध्यक्षों एवं राज्य कमिटी के सदस्यों की अपसी सहमति से लिया गया।
बताते चलें कि झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ द्वारा 9 सितंबर को पत्रांक — JRM/09/2020 के तहत मुख्यमंत्री झारखंड एवं JRM/10/2020 के तहत राज्यपाल झारखंड को एक पत्र लिखकर अस्थाई / संविदा की नियुक्ति पर अविलंब रोक लगाने की मांग की गई। पत्र में कहा गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायादेश CIVIL APPEAL NO. 7423-7429 OF2018(Arising out of SLP (CIVIL)Nos.19832-19823 of. 2017) के कांडिल 14 के अनुसार अस्थाई अनुबंध पर नियुक्त नहीं किया जाना है। झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के पत्रांक संख्या-569 दिनांक 10.06.2020 एवं संविदा पर नियुक्त हेतु अन्य आदेशों के आलोक के अंतर्गत संविदा के आधार पर विभिन्न पदों (यथा ग्राम रोजगार सेवक, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी) पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन का प्रकाशन कर नियुक्ति की प्रक्रिया की जा रही है। पत्र में कहा गया कि इतना कम मानदेय में अनुबंध पर कर्मचारियों की नियुक्ति करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (क) का घोर उल्लंघन है, साथ ही श्रम विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन ₹24000 से कम मानदेय पर काम कराना एक प्रकार का शोषण है। पत्र के अनुसार झारखंड में लगभग 600000 (छ: लाख) संविदा कर्मी हैं, जो प्राय: आंदोलन करते रहे हैं। वर्तमान में मनरेगा कर्मी और झारखंड सहायक पुलिस कर्मी आंदोलनरत हैं। इसका मुख्य कारण भी कम मानदेय मिलना और अनुबंध / संविदा पर नियुक्ति करना है।
पत्र में निवेदन किया गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायादेश के आलोक में संविदा पर वर्तमान में कार्य कर रहे मनरेगा कर्मचारियों को स्थायीकरण सहित समान काम, समान वेतन का लाभ देते हुए उन्हें स्थायीकरण किया जाए, साथ ही अस्थाई / संविदा की नियुक्ति पर अविलंब रोक लगाई जाए। ताकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान किया जा सके।
इस पत्र के बाद ही मुख्यमंत्री हेमंत द्वारा ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को मनरेगा कर्मचारियों से वार्ता के लिए भेजा गया।
बतातें चलें कि मनरेगा कर्मियों के हड़ताल के बीच उच्च अधिकारियों द्वारा मनरेगा मजदूरों को तत्काल अपने गांव में ही काम देने दावा किया जाता रहा है, वहीं राज्य के कई क्षेत्रों में उनका दावा खोखला साबित होता दिखा है। उदाहरण के तौर लातेहार के महुआडाड़ को हम देख सकते हैं, जहां उनका यह दावा पूरी तरह खोखला साबित होता दिख रहा है। बता दें कि महुआडाड़ के चैनपुर पंचायत के अहिरपुड़ुआ गांव के 50 मजदूरों ने राज्यव्यापी ”काम मांगों, काम पाओ” अभियान के तहत 16 अगस्त को काम मांगा था। जिनमें 21 महिला श्रमिक भी शामिल हैं। काम मांग करने वाले 50 मजदरों में से 5 मजदूरों को काम दिया ही नहीं गया, वहीं 10 मजदूरों के रोजगार कार्ड को मजदूरों को वगैर जानकारी दिए ही प्रशासन द्वारा पहले ही रद्द कर दिए हैं। 13 मजदूरों को सेमरबुढ़नी गांव की अंजली देवी एवं राजकुमारी टोप्पो के आम बागवानी में 3 से 16 सितम्बर तक मजदूरों को काम आवंटित की गई।
जब मजदूर योजना स्थल पर काम करने पहुंचे, तो वहां लाभुकद्वय ने बताया कि उनकी योजनाओं में तो इस समय के किये जाने वाले सभी कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इसी प्रकार 8 मजदूरों को हरिनागुड़ा में बृजुलियुस मिंज के टाड़ में आम बागवानी एवं 10 मजदूरों को खापुरतल्ला गांव के जेवियर खलखो के आम बागवानी में दिया गया। 3 मजदूरों को औंराटाड़ के महिपाल मुंडा के आम बागवानी में काम आवंटित किया गया। लेकिन सभी योजनाओं में कार्य पहले ही पूरे हो चुके थे। मजदूरों को निराश होकर खाली हाथ लौटना पड़ा।
कार्यस्थल से खाली हाथ लौटते मजदूर
अहिरपुड़ुआ गांव की शीला देवी ने बताया कि 16 अगस्त को मैंने काम का आवेदन दिया, मुझे सेमरबुढ़नी गांव की राजकुमारी टोप्पो के आम बागवानी में काम दिया गया। जब मैं वहां गई तो देखा पौधा लग चुका था, पटवन व दो बार सफाई का काम भी हो चुका था। मुखिया राजेश टोप्पो ने बताया कि यहां काम नहीं है। अब मैंने बीडीओ महुआडाड़ को पत्र लिख कर गांव में ही काम की मांग की है। इसी गांव की कान्ति केरकेट्टा का भी वही कहानी है। वह बताती है कि मुझे 5 किमी. दूर पोटमाडीह में काम दिया गया। लेकिन तबियत की गड़बड़ी और दूर होने के कारण मैं वहां नहीं जा सकी।
कहना ना होगा कि प्रखंड प्रशासन द्वारा मजदूरों को जान बुझकर परेशान करने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है, ताकि मजदूर दुबारा काम मांगने की हिम्मत न करें। क्योंकि सरकार के अपने रिकॉर्ड बता रहे हैं अहीरपुड़ुआ गांव में ही कुल 6 योजनायें स्वीकृत हैं। जिसमें स्कूल घर से पश्चिमी चौड़ा तक नाला मरम्मती, डाबर से स्कूल तक नाला मरम्मती, आदर्श मिंज के खेत में डोभा निर्माण, सुरेश उरांव के चापाकल के पास सोखता गड्ढा निर्माण, वार्ड घर के चापाकल के पास सोखता गड्ढा निर्माण, दक्षिण की ओर नदी पार ललमटिया में टीसीबी निर्माण आदि हैं। मनरेगा संशोधन अधिनियम अनुसूची 2 (19) में यह प्रावधान है कि स्कीम के अधीन कोई नया काम आरम्भ किया जा सकता है यदि कम से कम 10 मजदूर काम के लिए उपलब्ध हों। जबकि इस गांव से 50 मजदूरों ने काम के लिए आवेदन किया था।