महिला किसानों की मेहनत रंग लाई, आम के फसल से गुलजार हुआ झारखंड का जान्हों

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विशद कुमार

रांचीः अगर मन में ठान लें और सही मार्गदर्शन मिले, तो इंसान को सफलता पाने से कोई भी नहीं रोक सकता है, ऐसा कर दिया गया है लातेहार जिले  मनिका प्रखंड अंतर्गत जान्हो के नौ महिला किसानों ने, बंजर जमीन से सोना उगाने की कहानी को चरितार्थ किया है। मनरेगा द्वारा संचालित बिरसा मुंडा आम बागवानी योजना के तहत उन्हें यह मौका मिला जिसका फायदा उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से करके दिखाया है।

मनिका प्रखंड के जान्हों गांव की बैइर टांड टोला की रहने वाली रीता देवी, सारो देवी, शकुंतला देवी, करमी देवी, आसपतिया देवी, सुमीता देवी, रजनी देवी, मुनी देवी, यशोदा देवी सहित अन्य महिलाओं ने यह ठाना है कि बाहर पलायान करने से बेहतर मनरेगा के साथ जुड़ कर अपने गांव में ही काम किया जाये। सीएफटी द्वारा गठित मजदूर ग्रुप की महिलाएं बैठक करके मनरेगा से जुड़कर काम करने का प्रस्ताव दिया। उसी समय बिरसा मुंडा आम बागवानी का पायलट कार्यक्रम मनिका के दुन्दू और उच्चवाबाल में चल रही थी। इस गांव की इन महिला मनरेगा मजदूरों को इन पैचों का भ्रमण कराया गया। कुछ किसानों को गुमला की आम बागवानी के पैच भी दिखाये गये।

इससे प्रेरित होकर इस गांव की महिला मनरेगा मजदूरों ने ठाना कि हमलोग अपने गांव में आम बागवानी ही करेंगे। 2016 में आयोजित ग्राम सभा ने जान्हों गांव के बैरा टांड में आम बागवानी के लिए प्रस्ताव पारित किया। योजना पारित होने के बाद सीएफटी को कार्यान्वयन करने वाली संस्था मल्टी आर्ट एसोसिएशन और एसपीडब्लूडी के तकनीकी टीम ने उन्हें मदद और प्रशिक्षण दिया, जिसके परिणाम स्वरूप 9 एकड़ में इस गांव की नौ महिलाओं ने अपने कंधे पर बिरसा मुंडा आम बगवानी को सफल करने की जवाबदेही लेते हुए काम की शुरूआत की।

महिलाओं और उस गांव के मनरेगा मजदूर, प्रखंड व जिला प्रशासन, तथा संस्था ने इन महिलाओं के मिशन को पूरा करने के लिये मदद शुरू की। आम बागवानी के बाद सभी किसानों को इंटर क्रोपिंग के लिए प्लांडू और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में संस्था के द्वारा भ्रमण कराया गया तथा प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद इस पैच के लगभग सभी लाभुकों ने सब्जी की खेती शुरू किया। इससे प्रत्येक वर्ष 70 से 80 हजार रुपये तक आमदनी होना शुरू हुई, जिससे इन महिला किसानों का हौसला और बढ़ा। अच्छी बात यह रही कि ये सब्जी पूरी तरह आर्गेनिक थी। इसके साथ ही साथ इस पैच में जुलाई 2019 से पालमारोजा घास की खेती भी किया गया, और घास की पेराई कर लगभग 2 लाख रुपये तक का पालमारोजा का तेल बेचा गया है। इसके साथ ही साथ इन महिला किसानों ने ओल की खेती भी शुरू की है। जान्हों आम बागवानी पैच में आज के दिन करीब 15 से 20 क्विंटल फसल देने वाली आम्रपाली और मल्लिका प्राजाति के आम पौधे लगे हुए हैं। आम की फसल इतनी अच्छी लगी है कि लगता पौधे की टहनियां टूट जायेंगी। आम फसल को देखकर इन महिला लाभुकों के चेहरे खुशी से दमक रहे हैं ।

जान्हो बिरसा मुंडा आम बागवानी के पैच में आम के इन फलों को देखकर अनायास ही आपके मुँह में पानी न आ जाये ये हमारी कोशिश होगी। दरअसल लातेहार जिले के मनिका प्रखंड अंतर्गत जान्हो गाँव में 9 महिला किसानों ने निराश झारखंडी ग्रामीण समुदाय को आत्म निर्भरता की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाया है। वो कभी ये दावा नहीं कर रही हैं कि स्वावलंबी बनने का यही एकमात्र राह है। बल्कि ये सन्देश दे रही हैं कि स्थानीय स्तर पर जो संसाधन हैं, उसका आप बेहत्तर और प्राकृतिक सामंजस्य के साथ इस्तेमाल करें। उस टोले में एक भी घर ऐसा नहीं है जहाँ आज से 6 साल पहले अपनी रोजी रोजगार के लिए बाहर नहीं जाते रहे हों। दिल्ली, सूरत, पंजाब, बनारस सभी इलाके में पलायन के दर्द को बहुत करीब से महसूस करते हैं ये लोग।

लेकिन यहाँ के लोग बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष भी करना सीखा। इनके संघर्ष की दास्ताँ कभी बाद में साझा करेंगे। फिलवक्त अपने घरों, खेतों के आस के पास खेती, बागवानी, पशुपालन, वृक्षारोपण जैसे कार्यों को इस कदर योजनाबद्द तरीके से करने लगे हैं कि अपनी धरती माता को सिंगारने के लिए साल के 365 दिन भी इनके लिए कम पड़ रहा है। ये आम बागवानी अपने संघर्ष के बदौलत 2016 में बिरसा मुंडा आम बागवानी, मनरेगा योजना के तहत शुरुआत की थी। आज इन पौधों में आम की फसल आ गयी, इससे किसान काफी खुश हैं।

आम बागवानी में सब्जी के साथ ओल भी लगाना शुरू किया है। इस बागवानी के किसान को हजारों की आमदनी बढ़ गयी है। जिस तरह नीम की कडवाहट के बाद गुड़ की मिठास बढ़ जाती है। आज इस टोले के लोगों को संघर्ष के बाद जो आम के फल मिल रहे हैं। आम की मिठास दोगुना हो गया है। किसानों के संघर्ष के इस मुहिम में दर्जनों स्टेक होल्डरों ने इनको काफी मदद किया है, आज सभी लोग उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहते हैं और आगे में साथ चलने की उम्मीद रखते हैं।

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