रांची : झारखण्ड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि झारखण्ड के मनरेगा मजदूरों के लिए सरकार द्वारा घोषित बीमा को स्वागत किया है। यद्यपि यह प्रावधान पूर्व में एक्ट में निर्धारित है। एक्ट के सबसे दुखद पहलू यह है कि इसमें मनरेगा कर्मियों के लिए बीमा सम्बन्धी कोई प्रावधान नही है। मनरेगा कर्मियों का केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण न तो बीमा मिल पा रहा है न समान काम समान वेतन औऱ न ही सरकारी सेवकों के समान देय समस्त सुविधाएं। इसका कारण यह है कि मनरेगा एक्ट में कई बार संसोधन किया गया परंतु कर्मचारियों के हितार्थ बीमा, वेतन सुविधा, सामाजिक सुरक्षा औऱ अन्य चेप्टर में विगत 15 वर्षों में कोई संसोधन नही हुआ, राज्य सरकारों ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक केंद्र मनरेगा कर्मियों के देय सुविधाओं पर कोई संसोधन रिवीजन नही करता इसमे राज्य सरकार कुछ नही कर सकता है।

विगत हड़ताल में संघ ने सामाजिक सुरक्षा, बीमा, EPF औऱ वेतनमान के लिए सरकार को राजी भी किया परंतु 8 महीने से वह भी फाइलों औऱ वादों में दब गया, ऐसा लगता है कि ग्रामीण विकास विभाग ही वादा खिलाफी कर हर हड़ताल की नींव को रखता है।
संघ सरकार से मांग करती है कि हमारे द्वारा मृत 30 मनरेगा कर्मियों जिसमे 24 सामान्य और 6 कोविड 19 के कारण दिवंगत हुए है, उन सभी परिवारों /आश्रितों को सरकार घोषित मुवावजे को अविलम्ब भुकतान करे और विगत हड़ताल में हुए समझौते को तत्काल लागू हो।
सबसे दुःखद यह है कि वार्ता में शामिल माननीय मंत्री, पूर्व मनरेगा आयुक्त, पूर्व सचिव ग्रामीण विकास विभाग, माननीय विधायक सुदिव्य सोनू जी औऱ मुख्यमंत्री जी के नीजि सलाहकार सभी को नकार ग्रामीण विकास फिर मनरेगा कर्मियों को हड़ताल /आंदोलन की ओर धकेल रहा है।