वाराणसीः आज कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बड़ागाँव थाने का माहौल बेहद खुशनुमा और उत्सवी था। सजावट देखते ही बन रही थी। आत्मीय और अनौपचारिक माहौल में अपनी रुआबदार मूँछों की वजह से आसानी से पहचान लिए जाने वाले सब-इंस्पेक्टर शुक्ला जी अपने सहकर्मियों संग हल्की बारिश का आनंद लेते नजर आए।
थाना प्रभारी श्री राजकुमार पांडेय जी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कुछ यूँ व्यस्त मालूम पड़े मानो अनुज के जनेऊ संस्कार में आए संभ्रांत-जनों का ख्याल रखने का गुरुतर दायित्व निभा रहे हों।
गोस्वामी तुलसीदास लिख गए हैंः श्याम-गौर किमि कहहुं बखानी, गिरा अनयन नयन बिनु बानी
थाने पर आनंद-मग्न उत्सवी जन-समूह का हिस्सा बनकर मन आह्लादित है लेकिन उतनी समर्थ भाषा कहाँ से लाऊँ जो आनंदातिरेक को व्यक्त कर सके। जीवन का वास्तविक आनंद सामूहिकता में है। ऐसे ही मौकों पर हँसी-ठिठोली के जरिए अपनत्व जताने का भी मौका मिला करता है। सब इंस्पेक्टर यादव जी पहले आर्म्ड फोर्सेस में थे। जब यह महाशय मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर रहे थे तो मुझे लगा कोई स्टूडेंट अपने अभिभावक के साथ आया हुआ है।
लेकिन जिस अंदाज में यह महाशय खुद को परिपक्व नागरिक साबित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे थे, उससे लग गया कि यंग ऑफिसर भी हो सकते हैं।
सब मम प्रिय सब मम उपजाए, सबसे अधिक मनुज मोंहि भाए। तुलसी
सुंदर हैं विहग, सुमन सुंदर, मानव तुम सबसे सुंदरतम। सुमित्रानंदन पंत
अपनी समस्त कमजोरियों समेत मनुष्य मुझे प्यारा हैः कार्ल मार्क्स
मनुष्य-मात्र की प्रसन्नता से भाव-विभोर होने वाले अलग-अलग दौर के मनीषियों ने मानव-प्रेम पर एक जैसा ख्यालात जाहिर किया है। पुलिस बल पर अनावश्यक गैर-जरूरी दबाव पड़ना बंद हो जाए तो थानों का माहौल हर दिन उत्सवी हुआ करेगा।
एक अन्य सब इंस्पेक्टर सूर्य प्रकाश पांडेय जी भी मिले थे। बता रहे थे कि किराए का कमरा लिया है और टिफिन सर्विस बँधवा रखी है। पुलिस बल के लोगों की जिंदगी, उनके संघर्ष और उनके सपने भी बिल्कुल आम जिंदगी जैसे ही होते हैं, उनकी उत्सवधर्मिता के साथ तादाम्य महसूस करके मुझे सुखाभास हो रहा है।
कामता प्रसाद