विशद कुमार
लातेहारः लातेहार जिले के मनिका प्रखण्ड अन्तर्गत जुंगुर गाँव पंचायत में पिछले 23 मई 2020 को निर्माणाधीन कूप के धँसने से 21 वर्षीय सोनी कुमारी, पिता गोपाल उराँव गंभीर रूप से घायल हो गयी है। घटना के समय वह मिट्टी में बुरी तरह दबकर बेहोश हो गई थी। वर्तमान में उनका इलाज मेदिनीनगर के एक निजी अस्पातल नारायण सुपर स्पेशलिटी में चल रहा है। लड़की का दाहिना पैर घुटने के नीचे बुरी तरह टूट गया है। कमर की हड्डी में भी काफी चोट आई है। दर्द के कारण वह अपने बल पर बिस्तर से उठ भी नहीं पाती है। चिकित्सक ने उनके पैर के आपरेशन की बात कही है। जिसका खर्च लगभग 80 हजार बताया गया है। गोपाल उराँव की आर्थिक हालत काफी कमजोर है।
घटना संबंध में सोनी ने बताया कि कूप मनरेगा मद से रंजीत उराँव के जमीन में बन रहा था। जिसका योजना कोड 3406004002/IF/7080901292256 है। घटना 23 मई 2020 के लगभग 11.00 बजे की है। उस वक्त 7-8 मजदूर कार्यरत थे। मजदूरों के नाम क्रमश: पुनम कुमारी पिता- धाना उराँव, सरिता कुमारी व सुनीता कुमारी दोनों के पिता जानदेव उराँव एवं पुनी कुमारी पिता स्व0 श्यामदेव उराँव हैं। सोनी कुमारी कुएँ से मिट्टी बाहर फेंककर निकास हेतु बने रास्ते से वापस घुस रहीं थी, तभी कुएँ के ऊपरी हिस्से का एक भाग अचानक उसके ऊपर गिर पड़ा और वह उसमें दब गई थी। आनन-फानन में वहाँ मौजूद मजदूरों ने मिट्टी हटाकर उसे बाहर निकाला।
लाक डाऊन के कारण कोई वाहन भी जल्दी नहीं मिल रही थी। अन्ततः एक कमाण्डर सवारी गाड़ी से डालटनगंज ले जाया गया। उसके पहले उसे सदर अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन वहाँ कई दलाल पीछे पड़ गये थे। इससे घबरा कर घर के लोग उसे राहुल अग्रवाल के यहाँ ले गये।
वगैर किसी रिकार्ड के मजदूर 27 अप्रैल 2020 से ही काम में लगे थे। सोनी कुमारी ने बताया कि गाँव की राजमणी देवी पति सोमर उराँव सभी लड़कियों को जबरदस्ती बुलाकर काम के लिए ले जाती थी। आन लाईन रिकार्ड चेक करने से स्पष्ट होता है कि उक्त मजदूरों को बिना मस्टर रोल (कार्य पुस्तिका) के ही काम कराया जा रहा था। इस वित्तीय वर्ष में पहला मस्टर रोल सं0 1833 सृजित की गई है जिसकी कार्य अवधि 21 से 27 मई 2020 है। इस मस्टर रोल में उन लड़कियों के नाम दर्ज नहीं है, जिनसे लाभुक द्वारा काम कराया जा रहा था।
पूर्व की घटनााओं से भी सबक नहीं ले रहा जिला प्रशासन
लातेहार जिले के मनिका प्रखण्ड में 2012 से लेकर अब तक निर्माणाधीन कूप धँसने की 4 बड़ी दुर्घनाएँ घट चुकी हैं। 2012 में पल्हेया में कूप धँसने से पानपती नामक लड़की की मिट्टी में दबकर मौत हो गई थी। उसका रोजगार कार्ड भी नहीं था। फिर सिंजो पंचायत में एक महिला की मृत्यु निर्माणाधीन कूप धँसने से हो गई थी। सबसे दर्दनाक घटना गत वर्ष 11 मई 2019 को बरवाईया पंचायत के चामा गाँव में हो गई थी, 3 मजदूर अन्य ग्रामीणों के आँखों के सामने जमींदोज हो गये थे। उनके शवों को निकालने के लिए पूरी रात जेसीबी का इस्तेमाल करना पड़ा था। एक मजदूर का सिर तो 2 दिनों बाद मिल पाया था।
क्या है ऐसी घटनाओं के लिए मनरेगा कानून में मुआवजा का प्रावधान
झारखण्ड नरेगा वाच के संयोजक जेम्स हेरेंज बताते हैं कि “मनरेगा अधिनियम 2005 की अनुसूचित II की कण्डिका 24 में कार्यरत मनरेगा मजदूरों को कार्य के दौरान दुर्घटना होने पर सरकारी खर्च से संपूर्ण इलाज का प्रावधान है। साथ ही अधिनियम 2005 की अनुसूचित II की कण्डिका 25 में अस्पताल में इलाजरत अवधि का मनरेगा मजदूर को मजदूरी दर का आधा राशि का भुगतान किये जाने का भी प्रावधान है।”