ऊर्जा संचयन की दिशा में बीएचयू वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण अनुसंधान, सुझाया लिथियम आयन बैटरी का सस्ता व प्रभावी विकल्प
• सोडियम आयन बैटरी को जल्दी चार्ज करने के लिए उन्नत की कैथोड सामग्री
• पर्यावरण व लागत अनुकूल ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण नवोन्मेष
• ई-साइकिल में पहले ही किया जा चुका है सफल परीक्षण
• जी20 शिखर सम्मेलन के तहत गोवा में भी किया गया था इस नवाचार का प्रदर्शन
वाराणसी, 26.09.2023 – नवोन्मेष व नवसृजन की दिशा में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सदैव से अग्रणी भूमिका में रहे हैं। ऐसे में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान करते हुए विज्ञान संस्थान स्थित भौतिकी विभाग के प्रो. राजेंद्र सिंह व उनके शोधार्थियों ने उन्नत कैथोड सामग्री तैयार की है, जो सोडियम आयन बैटरियों को जल्दी चार्ज कर सकती हैं। यह कार्य ऊर्जा संचयन के परिदृश्य को परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। अनुसंधान टीम द्वारा विकसित इस कैथोड सामग्री उच्च क्षमता और दीर्घ बैटरी जीवन की गारंटी प्रदान करती है, जिससे शक्तिशाली और दीर्घकालिक सोडियम आयन बैटरी के अस्तित्व को आकार मिला है। इन नवाचारी कैथोड सामग्री से बने एक प्रोटोटाइप बैटरी पैक का पहले ही एक ई-बाइसिकिल में सफल परीक्षण किया जा चुका है।
पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरी को ऊर्जा संचयन के लिए एक चुनौतीपूर्ण विकल्प माना जाता है, लेकिन सोडियम आयन बैटरी द्वारा एक आसान विकल्प प्रस्तुत किया जा रहा है। लिथियम की तुलना में, सोडियम “प्रचुरता में उपलब्ध और सस्ता होता है, जो इसे एक पर्यावरण-सौहार्दपूर्ण विकल्प बनाता है। इसके साथ ही, सोडियम आयन बैटरियों की रासायनिक संरचना लिथियम के समान होती है, जिससे इनका आकर्षण बढ़ता है। लेकिन सुरक्षा, स्थिरता, और ऊर्जा घनत्व जैसी चुनौतियों ने इनके व्यापक “प्रयोग को रोका है।
भौतिकी विभाग में आचार्य प्रो. राजेंद्र कुमार सिंह के मार्गदर्शन वाले वैज्ञानिक दल ने इन चुनौतियों का समाधान किया है। टीम के अन्य सदस्यों में राघवेंद्र मिश्र, रुपेश कुमार तिवारी, अनुपम पटेल, अनुराग तिवारी, विकाश, शितांशु, और समृद्धि शामिल रहे। उन्होंने न केवल सोडियम निकल मैंगनीज कोबाल्ट ऑक्साइड (Na-NMC) और सोडियम निकल मैंगनीज आयरन ऑक्साइड (NFM) कैथोड सामग्री विकसित की, बल्कि नई सोडियम सुपरआयनिक कंडक्टिंग सॉलिड-स्टेट इलेक्ट्रोलाइट्स भी ड़िजाइन की जो खास सोडियम आयन बैटरियों के लिए हैं। इस विकास से बैटरी की सुरक्षा, स्थिरता, और ऊर्जा घनत्व में महत्वपूर्ण सुधार होता है। इस उपलब्धि को पूरा करने के लिए, एक औद्योगिक सहयोगी ने एक संगत बैटरी प्रबंधन प्रणाली (BMS) और एक उपयुक्त चार्जर विकसित किया है। इस खोज के परिणाम प्रसिद्ध और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं जैसे कि पॉवर सोर्सेस पत्रिका, एसीएस एप्लाइड मटीरियल्स और इंटरफेस, एनर्जी और ईंधन, एनर्जी स्टोरेज पत्रिका, और केमिकल इंजीनियरिंग पत्रिका आदि में प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रोफेसर राजेंद्र कुमार सिंह के अनुसार “सोडियम आयन बैटरी में लोगों को लागत-कुशल और प्रतिस्थापनी ऊर्जा संग्रहण समाधान प्रदान करने की चाबी है। यह अविष्कार इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीनीकरण ऊर्जा प्रणालियों, और कुल मिलाकर सतत ऊर्जा के अद्यतन को गति देने की संभावना है।”
इस अनुसंधान यात्रा में ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स का संघटन, NaNMC और NFM कैथोड सामग्री की संरचना और सिलेंड्रिकल सेल्स का निर्माण शामिल था। एक प्रोटोटाइप बैटरी पैक, जिसमें सोडियम आयन सिलेंड्रिकल सेल्स (42 V, 6Ah पैक) था, एक E-बाइसिकिल में परीक्षण किया गया, जिसमें एक ही चार्ज पर 54 किलोमीटर की दूरी और 30 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति थी।
सतत ऊर्जा और लागत-कुशलता की दृष्टि से इस अनुसंधान टीम द्वारा की गई ये खोज “मेक इन इंडिया” पहल के विचार व उद्देश्य के अनुरूप तो है ही, इस दिशा में प्रगति की नए मार्ग भी प्रशस्त करती है। यह कार्य सोडियम आयन बैटरी का वाणिज्यीकरण सुविधाजनक बनाने में सहायक सिद्ध होगा। कच्चे माल की उपलब्धता, लागत में कमी, और ऊर्जा कुशलता की संभावनाओं से सोडियम आयन बैटरी ऊर्जा संग्रहण के परिदृश्य को पुनर्परिभाषित कर सकती है और एक स्वच्छ भविष्य की राह प्रशस्त करने एवं सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सकती हैं।
सम्पर्क सूत्रः प्रो. राजेन्द्र कुमार सिंह – 9451000681