वाम-दलों ने भरी हुंकार, सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन की है दरकार

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वाराणसी 9 अक्टूबर। साम्यवाद के भीतर लोकतंत्र और अ-लोकतंत्र की कई बहसें विद्यमान हैं, और इन्हीं बिंदुओं पर साम्यवाद की कई पार्टियाँ भी अस्तित्व में हैं। इन बहसों और पार्टी के बीच लगभग 30 वर्षों से जूझ रहे कॉमरेड कामता प्रसाद ने अपनी 53 वर्ष की अवस्था में सीपीआई अर्थात् भारत की कम्युनिस्ट पार्टी में स्थायी ठिकाना प्राप्त कर लिया है।

सीपीआई के सदस्य के रूप में कामता प्रसाद ने, दिनांक 8 अक्टूबर को वाराणसी के धौकलगंज ग्राम में अपना भाषण दिया। यह मंच था, आगामी 11 अक्टूबर को लखनऊ में समस्त वाम दलों के संयुक्त अधिवेशन हेतु, तैयारी कार्यक्रम का था। जहाँ जनता और साथी कॉमरेडों का लखनऊ चलने के लिए आव्हान किया गया।

अपने भाषण में कामता प्रसाद ने रूसी साम्यवाद का उदाहरण दिया विशेष रूप से पार्टी के गोपनीय सिद्धांत से आगे बढ़ने की बात की। उनका कहना था, और यही शीर्ष साम्यवादी विचारकों का मानना भी है कि समय आगे की ओर चलता है, अतः क्रांति बंदूक से हो और रक्तपात करके ही हो यह आवश्यक नहीं रह जाता है, क्योंकि मानवीय चेतना का स्तर भी बढ़ा है।

कामरेड कामता प्रसाद ने किसान और व्यवस्था कैसे उसका शोषण कर रही है, इस बारे में अपने विचार दिए। उनका कहना था, “खेती अब किसान के श्रमसाध्य उत्पादन के स्थान पर सघन पूंजीवादी संसाधनों द्वारा उत्पादित हो रही है।” उन्होंने ट्रैक्टर से लेकर बीज तक, कैसे कॉर्पोरेट पूंजी का प्रवेश हो चुका है इसे समझाया। साथ उन्होंने “बाजार और क्रय-शक्ति के बीच असंतुलन” को भी स्पष्ट किया।

कॉमरेड कामता प्रसाद ने बताया कि साम्यवादी आदर्श में कैसे लोगों के “श्रमिक हितों की” रक्षा की जाएगी और कैसे जो लोग अब श्रम नहीं कर सकते हैं, उनको कैसे संभाला जाएगा। और श्रमिक हित में मानसिक व शारीरिक श्रम के बीच के संतुलन को भी स्पष्ट किया।

इस पूरे कार्यक्रम में सीपीआई के जिला महासचिव कॉमरेड जयशंकर सिंह और अन्य साथी कॉमरेडों ने महंगाई और बाजार व श्रम के असंतुलन पर जोर देते हुए, इसे दूर करने की मांग दोहराई। और सभी साथियों से लखनऊ चलने का आव्हान दोहराया।
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प्रस्तुतिः हरिशंकर शाही

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