मुठभेड़ के नाम पर अजय के घुटने में पुलिस ने मारी थी गोली, जिसका ऑपरेशन कराकर वो घर पर आराम कर रहा था
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश
लखनऊ
महोदय,
आज सुबह सतिराम यादव का मोबाइल नंबर 7379393449 से फ़ोन आया उन्होंने बताया कि उनके पवई लाडपुर, थाना सरायमीर, आज़मगढ़ स्थित घर पर कल रात साढ़े 11 बजे के करीब एक जीप से सरायमीर थाने के नायब तीन-चार पुलिस वालों के साथ आए और उनके बेटे अजय यादव को थाने चलने को कहा. जिसपर हमने कहा कि उसके पैर का ऑपरेशन हुआ है जिसमें मवाज भर गई थी और हड्डी में टीबी होने की वजह से डॉक्टर ने आराम करने को कहा है. जिस पर पुलिस वालों ने कहा कि नहीं चलना होगा पूछताछ कर छोड़ देंगे. हमने उसकी हालत के बारे में भी बताया की वो ऑपरेशन के बाद से जिस तख्त पर लेटा है उसी पर उसका खाना-पानी और यहां तक कि नित्य क्रिया भी वहीं हो रही है. पर वे माने नहीं और उसे लेकर जाने लगे. अजय ने मुझे चलने को कहा पर मैं अपनी बीमारी की वजह से जाने की स्थिति में नहीं था. दस मिनट बाद पुलिस आई और उसका मोबाइल घर से ले गई.
आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे कि अजय यादव के परिजनों ने इसके पहले भी अजय यादव को पुलिस द्वारा उठाकर उसके दाहिने पैर के घुटने में गोली मारकर मुठभेड़ दिखाकर फर्जी मुकदमों में जेल भेजने का आरोप लगाया था. जिसको राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान में लिया था. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक प्रतिनिधि के समक्ष अजय यादव के परिजनों ने अपनी लिखित शिकायत भी की है.
यह मानवाधिकार हनन का गंभीर मसला है. वहीं पुलिस की गोली से लगी चोट के बाद अजय यादव ऑपरेशन करवाकर अपने घर पर जिस स्थिति में थे उन्हें थाने की नहीं अस्पताल की जरूरत है. उनके पिता के अनुसार उनकी मां सुबह के वक्त थाने गईं तो वहां मालूम चला कि उसको किसी फर्जी मुकदमे में जेल भेजने की तैयारी चल रही ऐसा उनके पिता सतिराम यादव ने बताया. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के चलते आदेश दिया था कि देश की खचाखच भरी जेलों को खाली किया जाए और बिना जरूरी वजह के गिरफ्तारियां न की जाए. इसके बाद उ प्र विधिक सेवा प्राधिकरण के पहल पर सात साल से कम सजा वाले अपराधों में बंद विचाराधीन बंदियों को निजी मुचलके पर रिहा किया गया है. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य कारणों से भी अजय को जेल भेजने की सूचना से परिवार परेशान है.
आपसे निवेदन है कि अजय यादव के परिजनों को कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया गया कि उसे क्यों इस स्थिति में उठाया गया. उसकी सुरक्षा को लेकर उसके परिजन चिंतित हैं. ऐसे में अजय यादव की सकुशलता सुनिश्चित करते हुए रिहा किया जाए.
द्वारा-
राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच
9452800752
प्रतिलिपि-
1- माननीय मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली
2- माननीय मुख्य न्यायधीश उच्च न्यायालय, इलाहाबाद
3- राज्यपाल, उत्तर प्रदेश
4- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली
5- राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग, नई दिल्ली
6- गृह मंत्रालय, भारत सरकार
7- गृह मंत्रालय, उत्तर प्रदेश
8- राज्य मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश
9- राज्य पिछड़ा आयोग, उत्तर प्रदेश
10- जिलाधिकारी, आजमगढ़
11- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, आज़मगढ़