18 सितंबर 2020 – पंजाब के किसान संगठनों द्वारा तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब बंद का आह्वान किया गया है। कारखाना मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पेंडू मज़दूर यूनियन व पंजाब स्टूडेंटस यूनियन (ललकार) की ओर से जन नेताओं राजविंदर, छिंद्रपाल व सुखदेव भूंदड़ी ने संयुक्त बयान जारी करते हुए इस आह्वान के समर्थन का ऐलान किया है।
संगठनों का कहना है कि यह तीन कृषि क़ानून मोदी हुकूमत द्वारा हालांकि जन-भलाई के दावे करते हुए लाए जा रहे हैं लेकिन वास्तव में इनका जन-भलाई के साथ कोई लेना-देना नहीं है। यह क़ानून पूंजीपति वर्ग को मुनाफों के तोहफे देने के लिए लाए जा रहे हैं। मोदी हुकूमत भारत के बड़े पूंजीपति वर्ग के हितों के अनुसार व आर.एस.एस. के अखंड हिंदू राष्ट्र के सपने को पूरा करने के लिए सख़्त केंद्रीकृत आर्थिक व राजनीतिक ढांचा निर्मित करना चाहती है। इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्यों की स्वायत्तता छीनी जा रही है। ये तीन नए कृषि क़ानून भी राज्यों की स्वायत्तता के ऊपर फासीवादी मोदी हुकूमत का तीखा हमला है जिसका हर इंसाफ़पसंद व्यक्ति को तीखा विरोध करना चाहिए।
संगठनों का कहना है कि इन कृषि क़ानूनों के तहत अनाज की सरकारी खरीद बंद करने के लिए सरकार बड़ा जन-विरोधी कदम उठाने जा रही है। सावर्जनिक वितरण प्रणाली के खात्मे की ओर यह घोर जन-विरोधी कदम है। अनाज मंडियों के खत्म होने से बड़े स्तर पर मज़दूर बेरोज़गार होंगे। पहले ही बेरोज़गारी आसमान छू रही है, इसके बाद हालत और भी भयानक हो जाएगी।
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