पंडित कुमार गंधर्व न केवल भारतीय संगीत बल्की समूचे भारतीय संस्कृति के एक कालजयी शिखर पुरुष रहे है। शिवपुत्र सिद्राम कोमकली उर्फ़ कुमार गंधर्व का जन्म 8 अप्रैल 1924 को कर्नाटक के बेलगावी में हुआ। उन्होंने संगीत की शिक्षा ग्वालियर घराने के सुविख्यात गुरु प्रोफ़ेसर बी. आर. देवधर और सुश्री अंजनी बाई मालपेकर से प्राप्त की। वे 1948 से मध्यप्रदेश के देवास में स्थाई हुए। उन्हें भारत सरकार के द्वारा सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। आपको केंद्रीय संगीत नाटक अकादेमी के द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार, एवं फेलोशिप से सम्मानित करने के अलावा मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राजकीय सम्मान, शिखर सम्मान, और राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से अलंकृत किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से भी विभूषित किया गया।
08 अप्रैल 2023 से शुरू हुए उनके जन्मशताब्दी वर्ष को पूरे देश में विभिन्न आयोजनों के माध्यम से मनाने की योजना कुमार गंधर्व प्रतिष्ठान देवास द्वारा नियोजित की गई है, जिसमे संगीत,नृत्य,नाट्य और साहित्य जैसी विविध-विधाओं के कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ विख्यात और स्वनामधन्य विभूतियों की शिरकत हो रही है।
जन्म शताब्दी वर्ष के इन कार्यक्रमों का आयोजन “कालजयी” शीर्षक के अंतर्गत मुंबई से शुरु हुआ जो बाद में पुणे कोल्हापुर औरंगाबाद भोपाल और बंगलुरु होते हुआ अब आगामी 7 और 8 अक्टूबर को वाराणसी में होने जा रहा है. यह आयोजन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि भवन सभागृह में दिनांक 7 अक्टूबर की शाम 5 बजे प्रारम्भ होगा. उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में श्री विश्वंभरनाथ मिश्र (महंत जी, संकट मोचन) और श्री हेमंत शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) होंगे, साथ ही श्री सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, दिल्ली) अध्यक्षता करेंगे।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले पंडित कुमार गंधर्व ने भक्ति संगीत को शास्त्रीय संगीत के मंच पर स्थापित किया। काशी नगरी के विशेष आध्यात्मिक महत्त्व को देखते हुए कालजयी का यह आयोजन भक्ति संगीत को समर्पित किया जा रहा है।
पहले सत्र में कुमारजी की पुत्री और शिष्या सुश्री कलापिनी कोमकली और कुमार जी के पौत्र श्री भुवनेश कोमकली निर्गुण पदों का गायन करेंगे। जिसके बाद श्री उदय भवालकर अपने ध्रुपद गायन की प्रस्तुति देंगे। इस सभा का समापन कुमारजी के सुशिष्य श्री मधुप मुदगल के गायन से होगा, जिसमे वे भक्ति पदों के अलावा गुरुबाणी प्रस्तुत करेंगे।
रविवार दिनांक 8 अक्टूबर की सुबह 10 बजे विशेष चर्चा सत्र में श्री मधुप मुदगल, सुश्री कलापिनी कोमकली, श्री कृष्णकांत शुक्ल और श्री भुवनेश कोमकली कुमारजी के सांगीतिक अवदान और व्यक्तित्व पर विमर्श करेंगे, जिसका संचालन श्री व्योमेश शुक्ल करेंगे। यह सभा श्री राजेश्वर आचार्य जी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न होगी। इसके बाद 11:30 बजे तीसरे सत्र के रूप में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं कला संकाय से स्वरवंदना शर्मा, संगीता पंडित और श्री रामशंकर सिंह कुमारजी के सांगीतिक योगदान पर विश्लेष्णात्मक टिपण्णी प्रस्तुत करेंगे. इस सभा का संचालन श्री के. अम्बरीश चंचल करेंगे, प्रोफ़ेसर के. शशि कुमार जी के मुख्य आथित्य में यह सभा संपन्न होगी.
आयोजन के अंतिम सत्र में श्री श्रीनिवास भीमसेन जोशी और श्री विराज जोशी हिंदी और मराठी भक्ति पदों को प्रस्तुत करेंगे, जिसके बाद सुश्री देवकी पंडित संत तुकाराम और ज्ञानेश्वरी के पदों कि प्रस्तुति देंगी. सभा का समापन श्री साजन और स्वरांश मिश्रा भक्ति पदों से करेंगे।
“कालजयी” के इस आयोजन में संगती कलाकार के रूप में सर्वश्री कुबेरनाथ मिश्र, शम्भूनाथ भट्टाचार्यजी, खरक सिंह, पांडुरंग पवार तबले पर, सर्वश्री धर्मनाथ मिश्रा, विनय मिश्रा और अभिषेक शिनकर हार्मोनियम पर, प्रताप अवाड पखावज पर और अनुरोध जैन पर्केशन पर होंगे. सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन श्री सौरभ चक्रवर्ती करेंगे.
कार्यक्रम “कालजयी” का आयोजन इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र वाराणसी, संगीत एवं मंच कला संकाय – काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में कुमार गंधर्व प्रतिष्ठान देवास मध्यप्रदेश के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। वाराणसी के श्रोताओं से आग्रह है कि भक्ति रस की इन प्रस्तुतियों में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित हो कर आयोजन को सफल बनाए।
धन्यवाद सहित
(कलापिनी कोमकली) (अभिजीत दीक्षित) (भुवनेश कोमकली)
प्रबंध न्यासी रीजनल डायरेक्टर सचिव
कुमार गंधर्व प्रतिष्ठान इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी कुमार गंधर्व प्रतिष्ठान