कोरोना के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए देश में लाकडाउन लागू किया गया है। लाकडाउन लगे हुए दो महीने पूरे होने वाले हैं। परंतु इस दरम्यान अनेक स्थानों पर लाकडाउन के निर्देशों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है। अनेक स्थानों पर हजारों लोग एकत्रित हो रहे हैं, ट्रकों, बसों और ट्रेनों में दूरी बनाए रखने के नियम की धज्जियां उड़ रही हैं, बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क पहने खुले आम सड़कों पर घूम रहे हैं। यद्यपि साधारण नागरिक द्वारा नियमों का उल्लंघन भी पूर्णतः अनुचित है परंतु यदि शासकीय अधिकारी ऐसा करे तो वह तो अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आएगा। ऐसा दिनांक 18 मई 2020 को कटनी में हुआ। वहां दद्दाजी का अंतिम संस्कार किया गया। इसमें संदेह नहीं कि दद्दाजी के देहांत का समाचार सुनकर उनके अनगिनत श्रद्धालु शोकमग्न हो गए। इसमें भी कोई संदेह नहीं कि वे सब भारी संख्या में उनके अंतिम दर्शन करना चाहते थे। परंतु क्या लाकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर ऐसा करना उचित था?
लाकडउन के दौरान अंतिम संस्कार में कितने लोग शामिल हो सकते हैं, इसकी संख्या तय है। परंतु दद्दाजी के अंतिम संस्कार में इस निर्धारित संख्या से कई गुना ज्यादा लोग शामिल हुए। और इस नियम का उल्लंघन जिले के कलेक्टर, एसपी और विधायकों ने भी किया। यह संभव है कि अंतिम संस्कार में शामिल हुए कई लोग कोरोना से संक्रमित हों और इस तरह उन्होंने रोग को फैलाने में मदद की हो।
क्या कलेक्टर का उत्तरदायित्व नहीं था कि वे ऐसी व्यवस्था बनाते जिससे नियमों का उल्लंघन किया बिना लोग अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर पाते? चार-पांच की संख्या में दूरी बनाते हुए भी श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती थी। व्यक्तिगत श्रद्धा का स्थान सामाजिक और संवैधानिक उत्तरदायित्व से ऊपर कदापि नहीं हो सकता।
-एल.एस. हरदेनिया
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