किसानों के समर्थन में नेताओं ने खोला मोर्चा

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बनारस : किसान आंदोलन के आह्वान पर जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन का असर जिले में भी देखने को मिला । विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने जिला कचहरी पर पहुँच कर धरना प्रदर्शन के माध्यम से किसानों की मांगों के समर्थन में अपनी एक जुटाता प्रदर्शित की । एक ओर जहाँ किसान संगठनों की ओर से वरुणा पल स्थित शास्त्री घाट पर धरना दिया गया वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लोगों ने अंबेडकर पार्क में धरना देकर किसान आंदोलन के देशव्यापी आह्वान को अपना समर्थन दिया । धरने का नेतृत्व पूर्व एम एल सी अरविंद सिंह , सी पी एम के प्रांतीय सचिव डा हीरालाल लाल यादव ने किया । धरने में शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से समाजवादी नेता विजय नारायण , कुंवर सुरेश सिंह , कांग्रेस के प्रवीण सिंह बबलू , मजदूर नेता अजय मुखर्जी , देवाशीष भट्टाचार्य , सीपीआई के नेता विजय कुमार , माकपा के जिला सचिव नंद लाल पटेल , अमृत जी एवं गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मोहम्मद आरिफ समेत दर्जनों लोग शामिल रहे ।

धरना दे रहे लोगों ने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि यह आंदोलन सिर्फ किसानों का नहीं बल्कि देश के 138 करोड़ लोगों के रोजी और रोटी से जुड़ा है । अगर ये कानून रद्द नहीं हुए तो देश के खाद्यान्न बाजार पर उद्योग पतियों का कब्जा हो जाएगा जिससे एक तरफ देश की खेती किसानी दमतोड़ देगी वहीं आमजन की रोटी खतरे में पड़ जाएगी । सार्वजनिक वितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी , राशन की दुकानों से गरीबों का सस्ता गल्ला बन्द हो जाएगा । देश के चंद पूंजीपति बाजार को अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर देंगे । इसलिए जानिए , समझिए , और उठिए , किसानों के साथ अपनी आवाज बुलंद करिए ।

 

पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह , डा हीरालाल, कुंवर सुरेश और डॉ मोहम्मद आरिफ की अगुवाई मे जिला मुख्याल पर धरना

धरने पर बैठे नेताओं ने सरकार और कारपोरेट घरानों की किसानों और मजदूरों के खिलाफ साजिश के खिलाफ जमकर नारे लगाए और तीनों कृषि बिल को काला कानून बताते हुए उन्हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग की । धरना दे रहे लोगों ने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि यह आंदोलन सिर्फ किसानों का नहीं बल्कि देश के 138 करोड़ लोगों के रोजी और रोटी से जुड़ा है । अगर ये कानून रद्द नहीं हुए तो देश के खाद्यान्न बाजार पर उद्योग पतियों का कब्जा हो जाएगा जिससे एक तरफ देश की खेती किसानी दमतोड़ देगी वहीं आमजन की रोटी खतरे में पड़ जाएगी । सार्वजनिक वितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी , राशन की दुकानों से गरीबों का सस्ता गल्ला बन्द हो जाएगा । देश के चंद पूंजीपति बाजार को अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर देंगे । इसलिए जानिए , समझिए , और उठिए , किसानों के साथ अपनी आवाज बुलंद करिए ।

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