वाराणसीः हाई वेलनेस अंतर्राष्ट्रीय फेस्टा 2023 साउथ कोरिया में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद एवं योग के वैज्ञानिकों ने लहराया परचम। इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय फेस्टा में पहले दिन विभिन्न बीमारियों के रोगियों को आयुर्वेद एवं योग के माध्यम से उपचार हेतु सुझाव दिए गए। फेस्टा के दूसरे दिन कुल 14 सत्रों में व्याख्यान हुआ। प्रथम सत्र की शुरुआत में संकाय प्रमुख प्रोफेसर पी. के. गोस्वामी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद के इतिहास के बारे में बताया साथ ही क्षार सूत्र के शुरुआत प्रोफेसर पी जी देशपांडे के द्वारा किया गया तथा महामना मालवीय जी के इंटीग्रेशन के कॉन्सेप्ट की शुरुआत को बताया इस इंटीग्रेशन की तरफ पूरा विश्व चल रहा है।
दूसरे सत्र में प्रोफेसर जे एस त्रिपाठी ने आयुर्वेद में मानसिक चिकित्सा के बारे में बताया जिसमें सत्वावजय एवं देव्याप्राशय चिकित्सा के वैज्ञानिक पक्ष के बारे में जानकारी दी। तीसरे सत्र में प्रो. वाई. बी. त्रिपाठी ने आहार, विज्ञान एवं काशी का धार्मिक महत्व का वैज्ञानिक विश्लेषण किया। चौथा सत्र अमित कुमार का हुआ। जिसमें आसन एवं प्रणायाम का वैज्ञानिक पक्ष का महत्त्व बताया गया। पांचवें सत्र में भारत एवं कोरिया के इस कार्यकर्म के ऑर्डिनेटर वैद्य सुशील कुमार दुबे द्वारा नाड़ी परीक्षा का वैज्ञानिक पक्ष एवं उसके महत्त्व का विस्तृत वर्णन किया गया। छठे सत्र में डॉ. विजय कुमार श्रीवास्तव ने पंचकर्म चिकित्सा की विभिन्न विधियों का वर्णन किया। सातवें सत्र डॉ अरूण द्विवेदी ने शल्य चिकित्सा के तहत पेशाब संबंधी बीमारियों पर विस्तृत विवेचना करते हुए केस हिस्ट्री के वैज्ञानिक महत्व को बताया। आठवें सत्र में प्रो. शिव जी गुप्ता ने शल्य चिकित्सा के तहत एनोरेक्टल संबंधी बीमारियों एवं उनके उपचार पर वृहद चर्चा करते हुऐ यह बताया कि भारतवर्ष की यह बताया क्षारसूत्र की यह विधि पुरे विश्व में अब यह स्थापित है। और अंतिम और तीसरे दिन पारंपरिक ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न सत्रों का आयोजन हुआ जिसमें आयुर्वेद संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संकाय प्रमुख प्रोफेसर पी के गोस्वामी एवं आयुर्वेदाचार्य वैद्य सुशील कुमार दुबे पैनलिस्ट के रूप में मौजूद रहे। समापन सत्र में कोरियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से सभी वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।
उन्होंने कहा कि यदि भारतीय चिकित्सा पद्धति और कोरियन चिकित्सा पद्धति आपस में मिलकर कार्य करें तो भविष्य में मरीज के लिए बहुत बेहतर परिणाम होंगे। कोरिया देश ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ चिकित्सा के संबंध में कार्य करने के लिए अनुरोध किया, भारत के पास ज्ञान है कोरिया के पास तकनीक है अतः दोनों मिलकर के कार्य करेंगे तो बेहतर मार्ग बन सकता है, नाड़ी परीक्षा एवं शल्य क्रिया के विषय में उन्होंने विशेष अभिरुचि दिखाई है, इस संबंध में कोरिया पूरे विश्व का नेतृत्व करने के विषय में मन बना रहा है, यदि यह प्रयोग सफल होता है तो भारत एवं कोरिया का स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धन्यवाद एवं आभार प्रदर्शित किया है। इस पूरे कार्यक्रम के लिए भारत भारतीय पारंपरिक भोजन की उपलब्धता के लिए भारत से भोजन बनाने के लिए कुक भी साथ गए थे। कोरियन भाषा को इंग्लिश और हिंदी में ट्रांसलेट करने के लिए भारतीय दुभाषिए भी मौजूद थे। और यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि हमारे आयुर्वेद एवं योग के वैज्ञानिकों का पुरा खर्चा कोरियन सरकार द्वारा वहन किया गया। और अपने कार्यक्रम की सफलता को अंजाम देते हुए वैज्ञानिकों की टीम बुधवार रात्रि 10:00 बजे बाबतपुर हवाईअड्डे पर पहुंची।
धन्यवाद
वैद्य सुशील कुमार दूबे
मीडिया प्रभारी
आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी